1998 में आए भयंकर तूफान में परिवार से बिछुड़ गया था बेटा..ऐसे पहुंचा घर

कहते हैं कि दुनिया गोल है। कई बार घूम-फिरकर हम फिर से मिल जाते हैं ऐसा ही 38 साल के इस शख्स के साथ हुआ। यह 16 साल की उम्र में तूफान की चपेट में आकर भटक गया था। उसकी छत्तीसगढ़ी बोली..उसे अपने घर खींच लाई।
 

Asianet News Hindi | Published : Mar 5, 2020 5:35 AM IST

बिलासपुर, छत्तीसगढ़. ये दुनिया गोल है..कई बार हम घूम-फिरकर फिर वहीं आकर खड़े हो जाते हैं। यह शख्स इसका उदाहरण है, जो 22 साल पहले अपने परिवार से बिछुड़ गया था। उस वक्त इसकी उम्र 16 साल थी। हुआ यूं था कि इसका परिवार छत्तीसगढ़ से गुजरात में मजदूरी करने गया था। अचानक पिता की तबीयत खराब हुई, तो पूरा परिवार वापस गांव आ गया। लेकिन यह शख्स वहीं रहा। इसी दौरान वहां भयंकर साइक्लोन तूफान आया। इस आपदा में करीब 300 मजदूर लापता हो गए। यह शख्स भटकते हुए मुंबई के एक गांव पहुंच गया। इसके सिर में चोट लगने से मेमोरी चली गई थी। उसे कुछ भी याद नहीं रहा। लिहाजा, कुछ मजदूर उसे अपने साथ कर्नाटक ले गए। 22 साल ये शख्स कर्नाटक में मजदूरी करता रहा। एक दिन इसे बाजार में कुछ लोग मिले। वे छत्तीसगढ़ के मजदूर थे और अपनी स्थानीय बोली में बात कर रहे थे। अपनी बोली सुनकर इस शख्स को पुराना घटनाक्रम याद आया। इस तरह ये शख्स फिर से अपने घर पहुंच गया।

कुछ भी नहीं समझ पा रहा था...
38 साल का जमील खान मुंगेली जिले के गांव आछी डोंगरी का रहने वाला है। वो 1988 में अपने पिता शेरू, मां कुरैशा बानो और छोटे भाई-बहनों के साथ गुजरात के जामनगर में मजदूरी करने गया था। तूफान में चोट लगने से उसे कुछ भी याद नहीं रहा। यहां तक कि कोई बोली तक नहीं समझ पा रहा था। इस तरह उसे इशारों में लोगों से बात करनी पड़ी। मुंबई से यह कुछ मजदूरों के साथ काम की तलाश में कर्नाटक के गांव मुतांगी हुमानाबाद(जिला बीदर) चला गया। कुछ दिन पहले की बात है। जमील बाजार गया था। वहां कुछ लोग छत्तीसगढ़ी में बात कर रहे थे। यह बोली सुनकर जमील को कुछ याद आया। उसने इन लोगों से बात की। फिर अपने गांव का पता बताया। उन लोगों ने जमील की मदद की। उसे बताया कि वो किस ट्रेन में बैठकर वहां जा सकता है। इस तरह जमील सबसे पहले अपने मामा के घर पहुंचा।

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जमील ने बताया कि पहले तो लोगों ने उसे पहचाना ही नहीं। बाद में जब उसने पूरा घटनाक्रम बताया..तब मां गले मिलकर रोने लगी। जमील ने इस दौरान वहां शादी कर ली थी। उसने कहा कि अब वो अपनी पत्नी और बच्चों को यही लेकर आ जाएगा। मां कुरैशा बानो ने बताया कि वो जमील को ढूंढ़ने तीन बार गुजरात गए, लेकिन फिर मायूस होकर रह गए। करीब 7 साल पहले जमील के पिता का निधन हो गया था।

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