सांस लेना दूभर कर चुकी पराली से निपटने इस लेडी ने निकाला गजब उपाय

इन दिनों पराली का मुद्दा ज्वलंत बनाया हुआ है। दिल्ली तो जैसे 'आपातकाल' के दौर से गुजर रही है। बरहाल, छत्तीसगढ़ की रहने वालीं एक न्यूट्रिशियन ने पराली से निपटने गजब तरीका निकाला है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 21, 2019 1:39 PM IST

धमतरी. यह हैं सुमिता पंजवानी। सुमिता पेशे से न्यूट्रिशियन हैं। अपने काम के बीच से वे कुछ समय समाज के लिए भी निकालती हैं। इन दिनों पराली का मुद्दा ज्वलंत बनाया हुआ है। दिल्ली तो जैसे 'आपातकाल' के दौर से गुजर रही है। इसके अलावा हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में पराली ने लोगों को सांस लेना दूभर कर रखा है। सरकारें और तमाम संगठन अपने-अपने स्तर पर पराली की समस्या से निपटने के तौर-तरीके खोज रहे हैं। इन्हीं सब कोशिशों के बीच आपको बता दें कि सुमिता ने पराली से निपटने एक गजब तरीका खोजा है। वे पराली से सेनेटरी नैपकिन बना रही हैं। वे पिछले तीन साल से इस पर रिसर्च कर रही हैं। उनकी रिसर्च सक्सेस रही है। अब बस सरकार के पैमाने पर खरा उतरने कुछ टेस्ट और करना बाकी हैं।


उल्लेखनीय है कि किसान पराली जला देते हैं, जिससे उठने वाला धुआं प्रदूषण फैलाता है। सुमिता ने यह रिसर्च  इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर की मदद से की है। वे मानती हैं कि यह प्रयोग दो तरह से फायदेमंद रहेगा। पहला, पराली जलाने से निजात मिलेगी। दूसरा, किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन भी मिलेगा।

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सुमिता जबलपुर के जवाहरलाल कृषि विश्वविद्यालय में जूनियर साइंटिस्ट रह चुकी हैं। वे बताती हैं कि पराली में काफी मात्रा में सेल्यूलोज होता है। उसे विशेष केमिकल से निकाला जाता है। इसके बाद यह कॉटन की तरह हो जाता है। बाकी अपशिष्ट खाद के तौर पर यूज किया जा सकता है। सुमिता बताती हैं कि यह नैपकिन महज 2-3 रुपए में मिल जाएगा। वहीं यह पर्यावरण के लिहाज से भी सुरक्षित है।

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