क्या भारत में आएगी Covid19 की एक और लहर, क्यों संक्रमण रोकने में फेल हुआ चीन, पढ़िए रिपोर्ट

 विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में कोविड-19 की कम संख्या होने के पीछे हाइब्रिड रोग प्रतिरोधक(hybrid immunity) क्षमता यानी कोविड के संक्रमण के बाद आई नेचुरल इम्यूनिटी को माना जा रहा है, लेकिन चीन की आबादी के एक बड़े हिस्से को वैक्सीनेशन के बावजूद मामलों में तेजी आ सकती है। 

नई दिल्ली. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में कोविड-19 की कम संख्या होने के पीछे हाइब्रिड रोग प्रतिरोधक(hybrid immunity) क्षमता यानी कोविड के संक्रमण के बाद आई नेचुरल इम्यूनिटी को माना जा रहा है, लेकिन चीन की आबादी के एक बड़े हिस्से को वैक्सीनेशन और पूर्व संक्रमण के संयोजन(वायरस में बदलाव) से यह सुरक्षा नहीं मिल पा रही है, जिससे वहां मामलों में तेजी आ सकती है।  विशेषज्ञों ने चीन में लोगों के लिए उपलब्ध वैक्सीन की प्रभावकारिता(efficacy of the vaccines ) पर भी सवाल उठाया है।


भारत महामारी की शुरुआत के बाद से इस समय सबसे कम COVID-19 संख्या देख रहा है, जबकि चीन ने हाल के दिनों में वायरल बीमारी की रिकॉर्ड संख्या देखी है। मंगलवार(6 दिसंबर) को सुबह 8 बजे भारत सरकार द्वारा शेयर की गई संख्या के अनुसार, पिछले 24 घंटों में, भारत ने 165 COVID-19 मामलों की वृद्धि दर्ज की, जबकि सक्रिय मामलों की संख्या घटकर 4,345 रह गई है।

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भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 7 मई, 2021 को देश में मामलों की दैनिक संख्या 4,14,188 (4.1 लाख से अधिक) थी। अगले महीने, 10 जून, 2021 को मौतों की संख्या बढ़कर 6,148 हो गई थी। दूसरी ओर, विश्व स्वास्थ्य संगठन(World Health Organisation) के अनुसार, चीन ने 24 घंटे में 19,903 मरीजों की लिस्ट दी है। यहां हाल के दैनिक मामले अप्रैल के मध्य में एक दिन में लगभग 1,000 मामलों के पिछले रिकॉर्ड की तुलना में कहीं अधिक हैं। हालांकि चीन ने पिछले हालात से सबक लेते हुए काफी हद तक सफलता के साथ एक अत्यंत प्रतिबंधात्मक नियंत्रण रणनीति( extremely restrictive containment strategy) अपनाई है।

महामारी की शुरुआत के बाद से कोविड के मामलों पर नज़र रखने वाले गौतम मेनन ने दोनों देशों के बीच केस ट्रैजेक्टरी में अंतर के बारे में बताते हुए कहा कि भारतीय आबादी बड़े पैमाने पर हाइब्रिड इम्युनिटी के माध्यम से सुरक्षित है, चीन की आबादी के एक बड़े हिस्से में वह इम्युनिटी नहीं हो सकती है। अशोका यूनिवर्सिटी में फिजिक्स और बायोलॉजी डिपार्टमेंट्स के प्रोफेसर गौतम मेनन ने बतााय-"फैक्ट यह है कि कई नए वेरिएंट्स भारत में घूम रहे हैं, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने या मौतों में कोई महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई है। इससे पता चलता है कि भारतीय आबादी बहुत हद तक संकर प्रतिरक्षा(hybrid immunity) के माध्यम से सुरक्षित है।

मेनन ने कहा-"चीन जैसे देशों के लिए, जिन्हें कुछ जनसंख्या-स्तर की प्रतिरक्षा( population-level immunity) सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से वैक्सीनेशन पर निर्भर रहना पड़ता है। इसका मतलब यह है कि उनकी आबादी के एक बड़े हिस्से में उस तरह की प्रतिरक्षा नहीं हो सकती है, जो इन नए वायरस से बचने एक वैक्सीनेशन और एक पूर्व संक्रमण का संयोजन (prior infection) प्रदान कर सकता है।" मेनन ने कहा कि कड़े उपायों के साथ(जिसका इस्तेमाल चीन कर रहा है) अपनी आबादी की रक्षा करना एक नकारात्मक पहलू है।

पब्लिक हेल्थ एंड पॉलिसी एक्सपर्ट चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि भारत और चीन में COVID-19 का प्रक्षेपवक्र( trajectory ) तुलनीय नहीं है। यानी उसके संक्रमण का फैलाव। लहरिया ने कहा, ''भारत में तीन प्रमुख लहरें थीं, कोविड-19 टीकों के दो शॉट्स के साथ हाई कवरेज जो अत्यधिक प्रभावशाली रहीं। इसकी तुलना में, चीन में अब तक कोई बड़ी लहर नहीं थी।'' लहरिया का आशय भारत में कोविड की तीनों लहरों के दौरान वैक्सीनेशन के कवरेज और उसके असर से है।

उन्होंने कहा, "चीन में इस्तेमाल किए जाने वाले टीकों का प्रभाव कम होता है और बुजुर्ग आबादी में कवरेज कम होता है। इसके अलावा, महामारी के 31 महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी, हर देश दूसरों से अलग है।"

महामारी विज्ञानी रामनन लक्ष्मीनारायण(Epidemiologist Ramanan Laxminarayan) ने कहा कि COVID-19 एक चुनौतीपूर्ण बीमारी है, लेकिन कुछ बुनियादी तरीकों से यह अनुमान के मुताबिक व्यवहार करती है।

उन्होंने कहा- "चीन की दुर्दशा यह है कि अधिकांश आबादी को वैक्सीन लगाया गया है, हालांकि एक वैक्सीन के साथ जिसकी प्रभावकारिता सवालों के घेरे में है। भारत में यह संभावना नहीं है, जहां बड़ी पहली और दूसरी लहर ने अधिक आबादी को संक्रमित किया, जबकि इस बीमारी को चीन में कड़े नियंत्रण में रखा गया है।" 

उन्होंने आगे कहा-"परिणामस्वरूप चीन में, जनसंख्या प्रतिरक्षा(population immunity) कम है। इसलिए, 2020 की भारत की बुरी खबर 2022 और उसके बाद की अपेक्षाकृत सुरक्षित स्थिति के पीछे एक प्रमुख कारण है।"

बता दें कि  लक्ष्मीनारायण, वन हेल्थ ट्रस्ट के डायरेक्टर हैं,  जिसे फार्मली सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स और पॉलिसी, वाशिंगटन के रूप में जाना जाता है।


चीन ने कोरोनावैक और सिनोफार्मा कोविड-19 टीकों(CoronaVac and Sinopharm COVID-19) का उपयोग किया है। इसक इस्तेमाल मुख्य रूप से विश्व स्तर पर, विशेष रूप से कम धनी देशों में किया गया है। न्यू ऑमिक्रॉन सबवैरिएंट्स ने हाल ही में अमेरिका, चीन, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में मामलों में वृद्धि की है, जिससे यह आशंका बढ़ गई है कि भारत में मामले फिर से बढ़ सकते हैं। इस तरह की आशंकाओं को दूर करते हुए मेनन ने कहा कि चीन के विपरीत, निकट भविष्य में भारत में कोविड की संख्या में वृद्धि की संभावना बहुत कम है, जब तक कि कोई पूरी तरह से नया संस्करण नहीं आता है, जो ओमिक्रॉन और उसके वंशजों से बहुत अलग हो।

लहरिया ने कहा, "चूंकि चीन में नए मामले सामने आ रहे हैं, इसलिए भारत को चिंता करने की जरूरत नहीं है। सिर्फ इसलिए कि चीन में बढ़ोतरी का मतलब भारत के लिए जोखिम नहीं है। लक्ष्मीनारायण; मेनन और लहरिया से सहमत हैं। उन्होंने कहा कि भारत में चीन जैसी लहर की संभावना नहीं है, लेकिन असंभव नहीं है।

"यह इस बात पर निर्भर करता है कि क्या नए स्ट्रेन्स हैं, जो हमारी इम्यूनिटी के मौजूदा स्तरों द्वारा संरक्षित हैं।"  हालांकि, लहरिया ने आगाह किया कि भारत को एक और लहर का सामना करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। 

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