आईसीएमआर ने कहा- कोविड-19 की व्यापकता की जांच के लिए सीरो-सर्वे कराएं राज्य, जारी की गाइडलाइन

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिर्सच (आईसीएमआर) ने राज्यों में कोरोना की व्यापकता की जांच के लिए सीरो सर्वे कराने के लिए कहा है। इसके लिए आईसीएमआर ने राज्यों के लिए गाइडलाइन जारी की है।

Asianet News Hindi | Published : May 31, 2020 6:44 AM IST / Updated: May 31 2020, 12:54 PM IST

नई दिल्ली. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिर्सच (आईसीएमआर) ने राज्यों में कोरोना की व्यापकता की जांच के लिए सीरो सर्वे कराने के लिए कहा है। इसके लिए आईसीएमआर ने राज्यों के लिए गाइडलाइन जारी की है। इसमें आईसीएमआर ने हाई रिस्क हेल्थ केयर वर्कर्स, फ्रंट लाइन वर्कस, सिक्योरिटी स्टाफ, कैदियों और कंटेनमेंट जोन के लोगों का सीरो टेस्ट करने के लिए कहा है। इससे यह पता चल जाएगा कि कितने लोग संक्रमित हुए थे। इतना ही नहीं इस टेस्ट से उन लोगों के बारे में भी जानकारी मिल जाएगी, जो संक्रमित हुए थे, लेकिन उनमें कोई लक्षण नहीं था। 

आईसीएमआर ने पिछले हफ्ते पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर सीरो सर्वे पूरा किया है। यह टेस्ट आईसीएमआर द्वारा बनाई गईं किट द्वारा होगा। अधिक संख्या में किट बन सकें इसके लिए आईसीएमआर ने इस तकनीकी को कंपियों को भी दे दिया है। इस सर्वे के तहत हेल्थ केयर वर्कर्स, फ्रंट लाइन वर्कस, सिक्योरिटी स्टाफ, कैदियों और कंटेनमेंट जोन के लोगों का भी टेस्ट किया जाएगा। आईसीएमआर के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि इस टेस्ट से हमें कोविड-19 वायरस के फैलने की ग्राउंड रिपोर्ट मिल सकेगी।

क्या है पायलेट सीरो सर्वे...
पायलेट सीरो सर्वे के तहत किसी व्यक्ति विशेष के ब्लड सेंपल की जांच की जाती है। इस टेस्ट में आईजीजी एंटीबॉडीज की पहचान की जाती है। आईजीजी एक ऐसी एंटीबॉडी है जो बीमारी के कुछ समय बाद डेवलप होती है। एलीसा मेथड एक एंजाइम बेस्ड लेबोरेटरी टेस्ट है जिसकी मदद से खून में ऐसी एंटीबॉडीज की पहचान की जाती है जो पास्ट इन्फैक्शन को पहचानता है। वहीं इस टेस्ट सिस्टम की मदद से सभी तरह के वायरल इन्फैक्शन की पहचान भी की जा सकेगी जो 5-7 दिन पहले हुए हैं।

कोविड-19 वायरस की पहचान करने के लिए लगातार नई तकनीकों का इजाद हो रहा है जो कई तरह की बीमारियों की पहचान में मददगार साबित हो रही हैं। आईजीजी एंटीबॉडीज सामान्यतय: संक्रमण के दो हफ्ते बाद बनना शुरू होती हैं और मरीज के ठीक होने के बाद भी कई महीनों तक शरीर में रह सकती हैं। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि इस सिस्टम की मदद से पूरी कंप्लीट जांच नहीं की जा सकती है लेकिन सार्स-कोव-2 वायरस के पास्ट इन्फैक्शन को पहचाना जा सकेगा।

सर्वे से ऐसे मिलेगी मदद
सीरो सर्वे की मदद से यह पहचान लगाई जाएगी कि सार्स-कोव-2 इंन्फैक्शन किस दर से राज्यों में फैल रहा है। इस सर्वे के बाद मिले आंकड़ों के अनुसार बीमारी को लोगों के बीच फैलने से रोकने के लिए पॉलिसी तैयार की जा सकेगी। आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे के वैज्ञानिकों ने सार्स-कोव-2 के एंटीबॉडीज के डिटेक्शन के लिए आईजीजी एलीसा टेस्ट को इजाद किया है

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