कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को तेजी से टेस्टिंग से ही नियंत्रित किया जा सकता है। आरटी-पीसीआर जांच की धीमी गति को देखते हुए आईसीएमआर (ICMR) ने कोरोना नमूनों की जांच के लिए ड्राई स्वैब जांच को भी मंजूरी दे दी है। जल्द ही सीएसआईआर का सीसीएमबी इस जांच के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करेगा।
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को तेजी से टेस्टिंग से ही नियंत्रित किया जा सकता है। आरटी-पीसीआर जांच की धीमी गति को देखते हुए आईसीएमआर (ICMR) ने कोरोना नमूनों की जांच के लिए ड्राई स्वैब जांच को भी मंजूरी दे दी है। जल्द ही सीएसआईआर का सीसीएमबी इस जांच के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करेगा।
नॉर्मल आरटी-पीसीआर से ड्राई स्वैब आरटी-पीसीआर अधिक भरोसेमंद
सीएसआईआर की सीसीएमबी लैब ने ड्राई स्वैब आरटी-पीसीआर (dry swab RT-PCR) प्रणाली विकसित की है। आरटी-पीसीआर टेस्टिंग की ये तकनीक नॉर्मल आरटी-पीसीआर से करीब 30 से 40 प्रतिशत तक सस्ती है। साथ ही ड्राई स्वैब आरटी-पीसीआर जांच के दौरान रिजल्ट भी काफी तेजी के आते हैं।
क्या है ड्राई स्वैब आरटी-पीसीआर टेस्ट ?
ड्राई स्वैब आरटी-पीसीआर कोविड संक्रमण का पता लगाने के लिए मौजूदा मानक आरटी-पीसीआर की ही एक टेक्निक है। यह सीएसआईआर-सीसीएमबी द्वारा विकसित एक ड्राई स्वैब आरएनए-निष्कर्षण-मुक्त परीक्षण विधि है। डाइग्नोसिस के लिए इस प्रणाली में वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम (वीटीएम) में सैंपल कलेक्ट करने वाला स्टेप और फिर उसके बाद आरएनए आइसोलेट करने वाला स्टेप हटा दिया है।
क्या होता है आरटी-पीसीआर टेस्ट ?
आरटी-पीसीआर टेस्ट का पूरा नाम रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज चेन रिएक्शन है। इसकी जांच प्रयोगशाला में की जाती है। इस टेस्ट के जरिए व्यक्ति के शरीर में वायरस का पता लगाया जाता है। इसमें वायरस के आरएनए की जांच की जाती है। ज्यादातर सैंपल नाक और गले से म्यूकोजा के अंदर वाली परत से स्वैब लिया जाता है।
नए आरटी पीसीआर टेस्ट से बचेगा समय
कोरोना वायरस के अधिक संक्रामक रूप के सामने आने के कारण वैज्ञानिकों के सामने चुनौती आ खड़ी हुई है। वे इससे निपटने के लिए और अधिक प्रयास कर रहे हैं। इस समय नमूनों की जांच को बढ़ाने के लिए हैदराबाद स्थित सीसीएमबी केंद्र ने आरटी पीसीआर जांच की क्षमता को कई गुना बढ़ाने के लिए ऐसी विधि विकसित की है जो कि समय भी बचाती है और किफायती भी है।
ऐसे होगा न्यू आरटी-पीसीआर टेस्ट
इस नई विधि में जांच के नमूनों को वायरल ट्रांसफर माध्यम में डालने के लिए की जरूरत नहीं है। यह सूखे रूप में चंद मिनटों में आरटी पीसीआर जांच के लिए तैयार होगा। इससे यह मौजूदा जांच के लिए 30 से 40 फीसदी सस्ता होगा। इस संबंध में सीएसआईआर-सीसीएमबी के निदेशक राकेश मिश्रा बताते हैं कि डाइग्नोसिस के लिए सीएसआईआर की लैब सीसीएमबी ने ये प्रणाली विकसित की है। इसमें वीटीएम में सैंपल कलेक्ट करने वाला स्टेप और फिर उसके बाद आरएनए आइसोलेट करने वाला स्टेप हटा दिया है। इसलिए ये तरीका बेहद सरल और एक्यूरेसी वाला है, जितना कि स्टैंडर्ड आरटी पीसीआर वाला मेथड है।
इस विधि को देश के कई शोध और संस्थानों ने मान्यता दे दी है और इसके उपयोग को आईसीएमआर ने भी अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। ये विधी अभी किए जा रहे जांच के मानकों के अनुरूप है। नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी संस्थान ने इस विधि का उपयोग करते हुए 50 हजार से ज्यादा नमूनों की जांच की है। इस विधि की तकनीक को अपोलो अस्पताल, मैरी लाइफ और स्पाइस जैसे सेवा प्रदाताओं को भी दिया गया है।
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