बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि ओमीक्रोन वेरिएंट को बच्चों पर मामूली असर पड़ता है, अगर किसी बच्चों को कोरोना वायरस के संक्रमण नजर आते हैं तो उन्हें सिर्फ गले में खराश और हल्का बुखार ही रहता है।
नई दिल्ली : देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) का संक्रण तेजी से फैल रहा है। देश में कुछ दिनों से तीन लाख से अधिक कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। इसी बीच एक दावा किया जा रहा है कि बच्चों पर ओमीक्रोन वेरिएंट (omicron variant) का असर मामूली है। इस पर देश के कई बाल रोग विशेषज्ञों ने कहा कि अभिभावक ओमीक्रोन को लेकर अधिक डर गए हैं, इसलिए वे अपने बच्चों को अस्पताल में भर्ती करवा रहे हैं, जबकि सच्चाई तो यह है कि कोरोना की तीसरी लहर के दौरान भी बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने की बहुत कम आवश्यकता पड़ रही है।
फरवरी या मार्च में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम से खतरा
न्यूज 18 की रिपो्र्ट के अनुसार, हालांकि बाल रोग विशेषज्ञों ने कहना है कि फरवरी या मार्च में बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम का खतरा है सकता है, लेकिन यह भी बहुत ही रेयर होगा यानी बहुत ही कम बच्चों में होगा। डॉक्टरों का कहना है कि इसका मतलब यह नहीं कि बच्चों को अस्पताल नहीं ले जाना चाहिए। अगर बच्चे में किसी तरह की असहजता है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
बच्चों को कोरोना का मामूली लक्षण
गुजरात में प्रमुखस्वामी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ सोमशेखर निंभालकर ने न्यूज 18 को बताया कि तीसरी लहर से पहले भी बच्चों को रेयर केस में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ती थी, लेकिन ओमीक्रोन में भी इससे कम मामले सामने आ रहे हैं। अगर किसी बच्चों को कोरोना वायरस के संक्रमण नजर आते हैं तो उन्हें सिर्फ गले में खराश और हल्का बुखार ही रहता है। उन्होंने बताया कि दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन में ओमिक्रॉन के कारण बच्चों में मल्टीपल इंफ्लामेटरी सिंड्रोम (multisystem inflammatory syndrome in children -MIS-C) के मामले सामने नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि हम यह उम्मीद कर रहे हैं कि सभी गर्भवती महिलाएं भी वैक्सीन की डोज ले लें, जिससे आने वाले बच्चों भी पर इसका असर न हो।
बच्चे रेयर केस में होते हैं कोरोना संक्रमित
करीब आधे दर्जन से ज्यादा बाल रोग विशेषज्ञों ने बताया कि कोरोना की सभी लहरों में बच्चों में कोरोना के मामूली लक्षण ही दिखाई दिए हैं और अगर उन्हें कोरोना हुआ भी तो एक सप्ताह के भीतर वे इससे ठीक हो जा रहे हैं। विशेषज्ञ ने कहा कि इस बार कोरोन अधिक घातक नहीं है। कुछ ही मामलों में बच्चों को पेड्एट्रिक्स आईसीयू में जाना पड़ता है। इसका मतलब यह हुआ कि इस बार बच्चों को कोविड के कारण आईसीयू में भर्ती नहीं होना पड़ा है। उन्हें संयोग से कैंसर, लिवर, किडनी, हार्ट जैसी बीमारियों के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है और जब इस परिस्थिति में उनका टेस्ट किया गया तो वे संयोग से पॉजिटिव पाए गए।
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