भारत के टी-20 में सबसे सफल क्रिकेटरों में से एक सुरेश रैना 27 नवंबर को अपना 34वां जन्मदिन मनाने वाले हैं। अपने जन्मदिन से तीन दिन पहले रैना ने एनजीओ ग्रेसिया रैना फाउंडेशन के जरिये देशभर के 34 स्कूल्स में टॉयलेट, पीने का पानी और बच्चों के स्वास्थ को लेकर प्रोग्राम शुरू किया। रैना ने अपनी पत्नी प्रियंका के साथ मिलकर गाजियाबाद के एक सरकारी स्कूल से इसकी शुरुआत की।
स्पोर्ट्स डेस्क: भारत के सफल क्रिकेटर्स में गिने जाने वाले सुरेश रैना 27 नवंबर को 34 साल के हो जाएंगे। रैना ना सिर्फ क्रिकेट बल्कि सोशल वर्क में भी काफी आगे रहते हैं। अपने जन्मदिन पर उन्होंने पूरे भारत के 34 स्कूलों में टॉयलेट और पीने का पानी प्रोवाइड करने के लिए प्रोग्राम शुरू किया है। इसकी फोटोज रैना ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर की। रैना ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर इस प्रोग्राम की शुरुआत की। साथ ही बच्चों के साथ मिलकर केक भी काटा। बता दें कि सुरेश रैना पीएम मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के एंबेसडर भी रहे हैं।
34वें जन्मदिन पर 34 स्कूल को तोहफा
सुरेश रैना ने अपने 34 वें जन्मदिन पर उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर और एनसीआर के करीब 34 सरकारी स्कूल को कायाकल्प के लिए चुना है। सुरेश रैना जिन 34 स्कूलों में विकास के कार्य कराएंगे, उनमें करीब 10 हजार बच्चे पढ़ते हैं। रैना ने इन स्कूलों में स्वच्छता और पेयजल सुविधाओं का वादा किया है। इससे इन स्कूलों में पढ़ने वाले 10,000 से अधिक बच्चों का स्वास्थ्य और स्वच्छता सुनिश्चित होगी।
चलाएं जाएंगे खास कार्यक्रम
सुरेश रैना द्वारा बर्थडे पर की गई इस पहल को 'युवा अन्स्टोपेबल' के सहयोग से पूरी होगी। इसमें स्वच्छता और पेयजल सुविधाओं के अलावा किशोर प्रजनन और यौन स्वास्थ्य कार्यक्रम पर विशेष जोर दिया जाएगा। इन स्कूलों में स्मार्ट क्लासें भी बनाई जाएंगी। इसके तहत स्कूलों में पेयजल की व्यवस्था, लड़कों और लड़कियों के लिए अलग अलग टॉयलेट, हैंड वॉशिंग, डिश वॉशिंग, स्मार्ट क्लास जैसी सुविधाएं शुरू की जाएंगी। इसके अलावा रैना और उनकी पत्नी 500 महिलाओं को राशन किट भी देंगे।
क्या है ग्रेसिया रैना फाउंडेशन
सुरेश रैना और उनकी पत्नी प्रियंका ने 2017 में ग्रेसिया फाउंडेशन की शुरुआत की थी। इस फाउंडेशन का नाम रैना की बेटी के नाम पर है। इसका उद्देश्य गरीबों और जरूरतमंदों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों को सशक्त बनाना है।
क्या है 'युवा अन्स्टोपेबल'युवा अन्स्टोपेबल
ये अमिताभ शाह द्वारा बनाया गया एक गैर-लाभकारी संगठन है। यह भारत में समाज के विभिन्न वंचित वर्गों (बेहतर स्वच्छता, पेयजल सुविधाओं, छात्रवृत्ति, डिजिटल कक्षाओं और व्यवहार-परिवर्तन प्रशिक्षण जैसे माध्यम के जरिए) को सशक्त बनाने के लिए काम करता है। अभी तक इस एनजीओ के जरिए 8 लाख छात्रों को लाभ पहुंचा है। इसके अलावा 1800 स्कूलों का कायाकल्प किया जा चुका है।