भारत के लिए आसान नहीं होगा पिंक बॉल टेस्ट, गुलाबी गेंद से आ सकती हैं 5 मुश्किलें

गुलाबी गेंद लाल गेंद से बहुत अलग बर्ताव करती है। रात का समय यह गेंद ज्यादा स्विंग करती है, जबकि स्पिन को बहुत ही कम मदद मिलती है। रात में गिरने वाली ओस चीजों और भी मुश्किल बनाती है। इससे गेंदबाजों को गेंद पकड़ने और फील्डिंग में दिक्कत आती है।

नई दिल्ली. भारत और बांग्लादेश के बीच खेली जा रही टेस्ट सीरीज का दूसरा मैच कोलकाता में पिंक बॉल से खेला जाएगा। यह मैच दोपहर 1 बजे से शुरू हेकर रात तक चलेगा। रात का समय होने के कारण लाल की जगह गुलाबी गेंद का इस्तेमाल होगा। गुलाबी गेंद लाल गेंद से बहुत अलग बर्ताव करती है। रात का समय यह गेंद ज्यादा स्विंग करती है, जबकि स्पिन को बहुत ही कम मदद मिलती है। रात में गिरने वाली ओस चीजों और भी मुश्किल बनाती है। इससे गेंदबाजों को गेंद पकड़ने और फील्डिंग में दिक्कत आती है। गुलाबी गेंद 60 ओवरों में ही पुरानी हो जाती है और इस गेंद अस्सी ओवर पूरे करना मुश्किल होता है।

शाम के समय दिखाई नहीं देती पिंक गेंद
पिंक से बॉल के साथ पहली समस्या इसकी विजिबिलिटी को लेकर है। शाम के समय आसमान का रंग गुलाबी हो जाता है और गेंद का रंग भी गुलाबी होने के कारण यह गेंद दिखाई नहीं देती है। इस वजह से बल्लेबाजी के अलावा कैच पकड़ने में भी दिक्कत आती है। शाम के समय जब गेंदबाज सूर्य की विपरीत दिशा से बॉलिंग करता है तो बल्लेबाज को रात के मैच जैसा नजारा दिखाई देता है, पर अगले ओवर में सूर्य की रोशनी चेहरे पर पड़ती है और आंखें चौंधिया जाती हैं। 

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भारत में बड़ा फैक्टर है ओस
भारत जैसे देश में रात के समय जमकर ओस गिरती है, खासकर ठंड के मौसम में शाम से ही ओस गिरनी शुरू हो जाती है। ऐसे में डे-नाइट टेस्ट भारतीय खिलाड़ियों के लिए बड़ी चुनौती पेश करेगा। फील्डिंग के अलावा स्पिन गेंदबाजों को गेद पकड़ने में दिक्कत आती है, जिससे गेंद टर्न नहीं करती। स्पिन गेंदबाज भारत की मजबूत कड़ी हैं खासकर एशियाई पिच में अश्विन जडेजा की जोड़ी पर ही विकेट लेने का सारा दारोमदार होता है। पिंक बॉल से भारत की मजबूत कड़ी कमजोर हो सकती है। 

60 ओवरों में ही नरम पड़ जाती है गुलाबी गेंद
आमतौर पर लाल गेंद आसानी से 80 ओवरों तक चलती है और स्पिन पिच पर तो कई कप्तान 100 ओवरों तक पुरानी गेंद से ही गेंदबाजी कराते हैं, पर पिंक बॉल 60 ओवरों में ही नरम पड़ जाती है। इसके बाद गेंद टर्न और स्विंग होनी भी बंद हो जाती है साथ ही गेंद का शेप बिगड़ने लगता है इससे बल्लेबाजी भी प्रभावित होती है और खेल नीरस हो जाता है। 

पिंक बॉल में ज्यादा होता है लैटरल मूवमेंट
पिंक बॉल लाल गेंद की तुलना में ज्यादा स्विंग करती है। इस वजह से बल्लेबाज को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है। जल्दी खेलने पर बाहरी किनारा लगने की संभवना होती है। इसके अलावा गुलाबी गेंद जल्दी ही नरम पड़ जाती है इसलिए इसमें रिवर्स स्विंग की भी कोई संभावना नहीं होती है। दूसरी पारी में भारत के सबसे सफल गेंदबाज मोहम्मद शमी रिवर्स स्विंग पर काफी ज्यादा निर्भर करते हैं और रिवर्स स्विंग न होने पर शमी की गेंदबाजी कमजोर हो सकती है। 

गुगली पढ़ने में आती है दिक्कत
गुलाबी गेंद से पहले रणजी मैच खेल चुके चेतेश्वर पुजारा ने भी लाल गेंद से आने वाली दिक्कतों पर बात की है। लाल गेंद के साथ पुजारा का रिकॉर्ड काफी बेहतर है, पर उनके साथी बल्लेबाजों ने बताया कि गुलाबी गेंद से स्पिनर के वैरिएशन पढ़ना मुश्कल होता है। खासकर गुगली को पढ़ने में ज्यादा समस्या आती है। बांग्लादेश के पास किसी अच्छे लेग स्पिन बॉलर का न होना भारत के लिए राहत की बात है, पर जिन देशों के पास अच्छे लेग स्पिनर हैं उनके खिलाफ खेलने में भारत को परेशानी हो सकती है।      
 

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