झोपड़ी में रहकर भी आसमान की बुलंदियां छूने की तमन्ना, क्या पूरे हो पाएंगे ज्योति के सपने?

कहते हैं गरीब होना अभिशाप है लेकिन जब यह अभिशाप किसी प्रतिभा के दमन का कारण बनने लगता है तो यह ज्यादा दर्द देता है। ऐसा ही कुछ यूपी के मिर्जापुर की रहने वाली टैलेंटेड क्रिकेट खिलाड़ी ज्योति यादव (Talented Cricketer Jyoti Yadav ) के साथ हो रहा है।
 

Cricketer Jyoti Yadav Dreams. एक तरफ भारत 2036 में ओलंपिक गेम्स की मेजबानी का दावा करने वाला है, वहीं बीसीसीआई इसी साल से महिला आईपीएल की भी शुरूआत करने जा रहा है। देश भर में खेलो इंडिया खेलो कैंपेन के जरिए टैलेंटेड प्लेयर्स की खोज भी जारी है। वहीं दूसरी कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी जरूरी सुविधाएं न मिलने की वजह से खुद को हताशा और निराशा के भंवर में ढूंढ रहे हैं। ऐसी ही एक टैलेंटेड महिला क्रिकेट खिलाड़ी ज्योति यादव हैं, जिनकी प्रतिभा ऐसी है कि मौका मिले तो झोपड़ी में रहने वाली यह खिलाड़ी आसमान की बुलंदिया चूम सकती है।

कौन हैं ज्योति यादव
जून 2022 में दिल्ली के कंझावल में डीएलसीएल का क्वालीफिकेशन कैंपेन आयोजित किया गया। इसमें अपने पिता के साथ पहुंची यूपी की ज्योति यादव को सेलेक्ट किया गया क्योंकि ज्योति ने क्वालीफाइंग राउंड में ही सेलेक्टर्स को प्रभावित किया। ज्योति दाएं हाथ की विस्फोटक बल्लेबाजी करने के साथ ही तेज गेंदबाजी भी करती हैं। कुल मिलाकर टी20 क्रिकेट के लिए वे बेहतरीन पैकेज हैं और ऑलराउंडर होने की वजह से ही उन्हें डीएलसीएल ने राजस्थान में होने वाले टूर्नामेंट के लिए सेलेक्ट किया है। यह टूर्नामेंट जनवरी 2023 में खेला जाना है लेकिन ज्योति की मजबूरी यह है कि उसने क्वालीफाई तो कर लिया है लेकिन आगे के ट्रैवल और रहने-खाने की व्यवस्था करने तक के पैसे उनके पास नहीं हैं। ज्योति कहती हैं कि उनका सपना टीम इंडिया के लिए खेलना है लेकिन बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने की वजह से उन्हें हर कदम पर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

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यूपी के छोटे से गांव की ज्योति
ज्योति यादव उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में आहीं (तिवारी का पुरा) गांव की रहने वाली हैं। धूप हो चाहे छांव, गर्मी, जाड़ा या फिर बारिश का मौसम गांव की पगडंडियों पर ज्योति की मेहनत को हर कोई देखता है। पिता काशीनाथ यादव से क्रिकेट के गुर सीखने वाली ज्योति लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती हैं और जब वे मैदान पर होती हैं तो लड़के भी उनकी काबिलियत पर तालियां बजाने से खुद को नहीं रोक पाते। यही वजह है कि बेहद गरीबी में जिंदगी गुजारने वाला यह परिवार बेटी को क्रिकेटर बनाने के सपने को पूरा करने में दिन-रात लगा हुआ है। 5 बहनों और 1 भाई के बीच चौथे नंबर की ज्योति से उसके परिवार को भी उम्मीदें और आसपास रहने वाले लोग भी चाहते हैं कि बिटिया का सपना हर हाल में पूरा होना चाहिए।

स्मृति मंधाना हैं ज्योति की आइडल
भारतीय महिला क्रिकेट की बेहतरीन खिलाड़ी स्मृति मंधाना को अपना आइडल मानने वाली ज्योति कहती हैं कि उनका सपना भारत की महिला क्रिकेट टीम के लिए खेलना है लेकिन सुविधाओं के अभाव में वे अपने सपने को जी नहीं पा रही हैं। 19 साल की ज्योति ने बताया कि उनके गांव में न कोई मैदान है और न ही कोई उन्हें प्रोत्साहित करने वाला है। उनके पास तो क्रिकेट का एक किट तक नहीं है लेकिन एक पुराने बल्ले और गेंद से वे रोजाना 7-8 घंटे प्रैक्टिस करती हैं। 9 साल की उम्र से ही क्रिकेट के प्रति ज्योति की दिवानगी उनकी उम्र के साथ बढ़ती जा रही है। ज्योति की मां ने कहा कि बेटी को जरा सी सुविधा और सरकार का सहयोग मिल जाए तो वह देश-प्रदेश का नाम रोशन कर सकती है।

पैसे की कमी से नहीं हो पा रही प्रोफेशनल ट्रेनिंग
ज्योति ने बताया कि उनके एक रिलेटिव हैं, जो उन्हें क्रिकेट के कैंपेन वगैरह की जानकारी देते हैं। दिल्ली भी वे उन्हीं के कहने पर पहुंची जहां उनका सेलेक्शन भी हो गया। लेकिन कई बार उनके पास ट्रेन की टिकट तक के पैसे नहीं होते हैं। एक बार उन्होंने प्रयागराज में क्रिकेट की प्रोफेशनल ट्रेनिंग लेने की शुरूआत की थी लेकिन 10 से 12 हजार प्रतिमाह का खर्च न दे पाने की वजह से उन्हें अकादमी से निकाल दिया गया। ज्योति कहती हैं उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन वे अब यूट्यूब से क्रिकेटिंग के टिप्स लेकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रही हैं। वहीं परिवार को उम्मीद है कि एक न एक दिन कोई संस्था या सरकार उनकी मदद जरूर करेगा।

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