क्रिकेट के इतिहास का काला दिन, जब कोलकाता के मैदान पर रो पड़े थे विनोद कांबली

कोलकाता के ईडन गार्डन्स मैदान पर भी यह अब तक की सबसे शर्मनाक घटना है। साल 1996 का वर्लडकप भरत में खेला जा रहा था। दर्शकों ने स्टेडियम में आग लगा दी, बोतलें, जूते-चप्पल और जो भी हाथ में आया मैदान में फेंकने लगे। मैच रैफरी क्लाइव लॉयड ने मैच रोक दिया और श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया।
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 20, 2019 4:57 AM IST

नई दिल्ली. 13 मार्च 1996 का दिन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में काले पन्ने के रूप में दर्ज है। कोलकाता के ईडन गार्डन्स मैदान पर भी यह अब तक की सबसे शर्मनाक घटना है। साल 1996 का वर्लडकप भरत में खेला जा रहा था। टीम इंडिया सेमीफाइनल में पहुंच चुकी थी और उसका मुकाबला श्रीलंका से था। मैच की शुरु हुआ और भारत ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। भरतीय कप्तान के इस फैसले के साथ ही यह मैच विवादास्पद हो चुका था।

अजहर ने निर्णय लेकर चौंका दिया

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कोलकाता की ड्राई पिच पर भारत के पास पहले बैंटिंग करके बड़ा स्कोर बनाने का अच्छा मौका था और दूसरी पारी में स्पिन गेंदबाजों को मदद मिलने की भी उम्मीद थी, पर अजहर ने पहले बॉलिंग का फैसला कर सभी चौका दिया। उस वर्ल्ड कप में श्रीलंका लगातार स्कोर चेज करके मैच जीत रही थी और जयसूर्या, कालुवितर्णा की जोड़ी जमकर रन बना रही थी। शायद यही बात भरतीय कप्तान के दिमाग में थी। इसी वर्ल्ड कप के पिछले मैच में श्रीलंका ने 271 रनों का पीछा करते हुए दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में भारत को हरा दिया था।  

8 रन पर आउट हुए सिद्धू

पहले बल्लेबाजी करने आई श्रीलंका की ओपनिंग जोड़ी नहीं चली पर, अरविंद डी सिल्वा 66 और महानमा 58 की मदद से श्रीलंका ने 251 रन बना लिए। लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंडिया की भी शुरुआत अच्छी नहीं रही और ओपनर नवजोत सिंह सिद्धू सिर्फ 8 रन बनाकर आउट हो गए। सचिन तेंडुलकर और संजय मांजरेकर ने पारी कों संभाला पर, 65 रन बनाकर सचिन भी आउट हो गए। भारत का स्कोर 98 रन पर 2 विकेट था। इसके बाद 120 रन तक भारत के 8 विकेट गिर चुके थे।  

दर्शकों ने लगा दी आग 

विनोद कांबली 10 रन पर खेल रहे थे कि कोलकाता में दर्शकों की भीड़ हिंसक हो गई। दर्शकों ने स्टेडियम में आग लगा दी, बोतलें, जूते-चप्पल और जो भी हाथ में आया मैदान में फेंकने लगे। मैच रैफरी क्लाइव लॉयड ने मैच रोक दिया और श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया। यह सब देख विनोद कांबली खुद को नहीं रोक पाए और रोते हुए मैदान से बाहर गए। इस तरह से यह दिन भारत के इतिहास में काल पन्ने के रूप में दर्ज हो गया।  
 

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