अनिल चौधरी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में डंगरोल गांव के हैं। कोरोना वायरस की महामारी के बाद से लॉकडाउन में वो अपने गांव में ही हैं। उन्हें भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच वनडे सीरीज में अंपायरिंग करनी थी लेकिन सीरीज रद्द होने के बाद घर आना पड़ा।
स्पोर्ट्स डेस्क। दूर-दराज के इलाकों में अभी भी मोबाइल नेटवर्क की दिक्कतें हैं। इस वजह से लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। आईसीसी के अंतरराष्ट्रीय पैनल में शामिल भारतीय अंपायर अनिल चौधरी को भी लॉकडाउन में ऐसी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ा। हालांकि उन्होंने इसका हल निकाल लिया और अब उनकी वजह से गांववालों की जिंदगी बदल गई है।
दरअसल, अनिल चौधरी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में डंगरोल गांव के हैं। कोरोना वायरस की महामारी के बाद से लॉकडाउन में वो अपने गांव में ही हैं। उन्हें भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच वनडे सीरीज में अंपायरिंग करनी थी लेकिन सीरीज रद्द होने के बाद घर आना पड़ा और लॉकडाउन में वो यहीं फंसकर रह गए। अनिल चौधरी ने अब तक 20 वनडे और 27 टी20 मुकाबलों में अंपायरिंग की है।
पेड़ पर चढ़ने के बाद मिलता था नेटवर्क
रिपोर्ट्स के मुताबिक अनिल चौधरी को गांव में मोबाइल नेटवर्क की दिक्कतों से जूझना पड़ा। गांव में नेटवर्क की हालत ऐसी थी कि किसी से बातचीत करने के लिए भी काफी दूर जाना पड़ता था। पेड़ चढ़ने के बाद मुश्किल से थोड़ा नेटवर्क मिलता था। जाहिर सी बात है कि जीरो नेटवर्क की वजह से किसी का भी जीवन ऐसे माहौल में रुक जाएगा। अनिल भी इसी तरह की मुश्किलों से दो चार हुए।
नेटवर्क ने बदल दी गांव की जिंदगी
लेकिन अनिल ने एक टेलीकॉम कंपनी ने संपर्क किया और उनके गांव में मोबाइल टावर लग गया। अनिल के मुताबिक नेटवर्क मिलने से अब गांव के लोगों की जिंदगी बदल रही है। बच्चे घर में ही ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं और लोगों को फोन कॉल के लिए अब गांव से बाहर नहीं जाना पड़ता। गांव के लोग अब मोबाइल इंटरनेट से जुड़ी कई सुविधाएं घर बैठे पा रहे हैं।