बिहार क्रिकेट संघ (सीएबी) के सचिव और आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के याचिकाकर्ता आदित्य वर्मा ने कहा कि सौरव गांगुली और जय शाह के कूलिंग ऑफ पीरियड को हटाने के मसले पर जबॊ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी तो उनका वकील इसका विरोध नहीं करेगा।
स्पोर्ट्स डेस्क। बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह के कार्यकाल बढ़ाए जाने को लेकर अभी उहापोह की स्थिति है। आज बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट संघों में सुधार के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हुई। खबर है कि अब सुप्रीम कोर्ट में ये मामला दो हफ्ते बाद लगेगा। सुप्रीम कोर्ट बीसीसीआई की उस अर्जी पर विचार कर सकता है, जिसमें पिछले साल चुने गए अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह का कार्यकाल बढ़ाए जाने की मांग की गई है। बीसीसीआई चाहता है कि उसके यहां बिताए कार्यकाल के हिसाब से ही पदाधिकारी को पद से अलग करने पर फैसला हो।
बिहार क्रिकेट संघ नहीं करेगा विरोध
बिहार क्रिकेट संघ (सीएबी) के सचिव और आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के याचिकाकर्ता आदित्य वर्मा ने कहा कि सौरव गांगुली और जय शाह के कूलिंग ऑफ पीरियड को हटाने के मसले पर जबॊ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी तो उनका वकील इसका विरोध नहीं करेगा।
गांगुली और शाह का बने रहना जरूरी
सीएबी के सचिव वर्मा ने कहा है कि बोर्ड में स्थायित्व के लिए गांगुली और शाह का बने रहना जरूरी है। बता दें कि सचिव वर्मा 2013 स्पॉट फिक्सिंग मामले के मूल याचिकाकर्ता हैं। इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा पैनल का गठन किया, जिसकी सिफारिशों पर दुनिया के सबसे धनी बोर्ड के संविधान में आमूलचूल सुधार किए गए थे।
क्या कहता है बीसीसीआई का संविधान?
बीसीसीआई के नये संविधान के मुताबिक, राज्य संघ या बोर्ड में छह साल के कार्यकाल के बाद तीन साल की विराम अवधि पर जाना अनिवार्य है। गांगुली और शाह ने पिछले साल अक्टूबर में पदभार संभाला था और तब उनके राज्य और राष्ट्रीय इकाई में छह साल के कार्यकाल में केवल नौ महीने बचे थे। गांगुली के छह साल इस महीने के आाखिर में पूरे होंगे जबकि माना जा रहा है कि शाह ने कार्यकाल पूरा कर लिया है।