पानी पुरी बेचना पड़ा, टेंट में भूखे सोते थे, अब बने दोहरा शतक लगाने वाले सबसे युवा खिलाड़ी

Published : Oct 16, 2019, 06:51 PM ISTUpdated : Oct 16, 2019, 06:55 PM IST
पानी पुरी बेचना पड़ा, टेंट में भूखे सोते थे, अब बने दोहरा शतक लगाने वाले सबसे युवा खिलाड़ी

सार

मुंबई के युवा बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल बुधवार को प्रतिष्ठित विजय हजारे ट्रोफी में दोहरा शतक लगाने वाले तीसरे बल्लेबाज बन गए। इतना ही नहीं, 17 साल की उम्र में यशस्वी अब घरेलू क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले दुनिया के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए हैं।  

नई दिल्ली. मुंबई के युवा बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल बुधवार को प्रतिष्ठित विजय हजारे ट्रोफी में दोहरा शतक लगाने वाले तीसरे बल्लेबाज बन गए। इतना ही नहीं, 17 साल की उम्र में यशस्वी अब घरेलू क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले दुनिया के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए हैं। जायसवाल ने बुधवार को अलूर के केएससीए (KSCA)क्रिकेट मैदान पर खेले गए मुकाबले में ये कारनामा किया। उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी 2019 में झारखंड के खिलाफ 154 गेंदों में 203 रन बनाकर यह रिकॉर्ड अपने नाम किया। विजय हजारे टूर्नामेंट के इतिहास में यह पारी खेलकर जायसवाल ने इतिहास बनाया है। इस अद्भुत पारी में उन्होंने 12 छक्के भी लगाए और सर्वाधिक छक्के मरने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया।  

इस मामले में बन गए नौवें भारतीय बल्लेबाज
- इस पारी के साथ 17 साल के जायसवाल लिस्ट-ए क्रिकेट में दोहरा शतक जड़ने वाले नौवें भारतीय बल्लेबाज भी बन गए हैं। इससे पहले विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमशन ने केरल के लिए खेलते हुए गोवा के खिलाफ नाबाद 212 रन बनाकर इतिहास रच दिया था। वह विजय हजारे टूर्नमेंट के एक मैच में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। लिस्ट-ए वनडे मैच में रोहित शर्मा के नाम 3 और वीरेंदर सहवाग और सचिन तेंडुलकर के नाम एक-एक दोहरा शतक हैं।

यशस्वी में टेंट में रात गुजारी है
यशस्वी के पिता यूपी के भदोही में एक छोटी सी दुकान चलाते हैं। क्रिकेटर बनने के लिए 10 साल की उम्र में मुंबई आ गए। उनके रिश्तेदार संतोष का घर मुंबई के वर्ली में है, लेकिन वहां रहना भी मुश्किल था। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका घर बहुत छोटा था। इसलिए मुस्लिम यूनाइटेड क्लब के मैनेजर संतोष ने वहां के मालिक से गुजारिश करके यशस्वी के रूकने की व्यवस्था करा दें। व्यवस्था हुई और यशस्वी को वहां ग्राउंड्समैन के साथ टेंट में रहना पड़ता था।

पेट पालने के लिए गोलगप्पे भी बेचे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यशस्वी को पेट पालने के लिए गोपगप्पे भी बेचना पड़ा है। दरअसल यशस्वी खाने का जुगाड़ करने के लिए आजाद मैदान में राम लीला के दौरान गोपगप्पे और फल बेचने में मदद करते थे। 

जब सचिन ने बल्ला गिफ्ट किया
सचिन के बेटे अर्जुन और यशस्वी अच्छे दोस्त हैं। दोनों की मुलाकात बेंगलुरु में स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में हुई थी। एक बार अर्जुन ने यशस्वी की मुलाकात सचिन से करवाई। बात 2018 की है। अर्जुन यशस्वी को अपने घर ले गए। पहली मुलाकात में ही सचिन ने यशस्वी से प्रभावित होकर उन्हें अपना बल्ला गिफ्ट में दे दिया।

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