नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को मतदान हुआ। एग्जिट पोल में एक बार फिर आम आदमी पार्टी की सरकार बनती दिख रही है। ऐसे में भाजपा का सत्ता के लिए 22 साल का सूखा इस बार भी बरकरार रहता दिख रहा है। हालांकि, भाजपा का दावा है कि नतीजे इससे उलट आएंगे। ऐसे में हम दिल्ली के राजनीतिक ऐतिहास के बारे में बता रहे हैं।
नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को मतदान हुआ। एग्जिट पोल में एक बार फिर आम आदमी पार्टी की सरकार बनती दिख रही है। ऐसे में भाजपा का सत्ता के लिए 22 साल का सूखा इस बार भी बरकरार रहता दिख रहा है। हालांकि, भाजपा का दावा है कि नतीजे इससे उलट आएंगे। ऐसे में हम दिल्ली के राजनीतिक ऐतिहास के बारे में बता रहे हैं।
1993 का चुनाव: भाजपा ने 49 सीटें जीतीं
दिल्ली 1956 में बिना विधानसभा चुनाव वाला केंद्र शासित प्रदेश बना था। 1993 में यहां पहला विधानसभा चुनाव हुआ। भाजपा को 42.80% वोट मिले। इसी के साथ भाजपा ने 70 में से 49 सीटें जीतीं। वहीं, कांग्रेस को 34.50% वोटों के साथ 14 सीटें मिलीं। वहीं, अन्य को 7 सीटों पर जीत हासिल हुई।
भाजपा ने पांच साल की सत्ता में 3 सीएम बदले। मदनलाल खुराना दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री बने। लेकिन जैन हवाला केस में उनका नाम आने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद साहिब सिंह वर्मा को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया। इससे पहले वे राज्य के शिक्षा मंत्री थे। चुनाव से पहले पार्टी ने उन्हें हटाकर सुषमा स्वराज को राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया।
शीला दीक्षित ने जमाई पारी
सुषमा स्वराज को सीएम बनाने का भाजपा का दांव नहीं चला। पार्टी को 1998 में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस को 52 सीटें मिलीं। वहीं, भाजपा सिर्फ 15 पर सिमट गई। शीला दीक्षित को सीएम बनाया गया। शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने तीन चुनाव जीते। वे 1998 से 2013 तक मुख्यमंत्री रहीं।
2013 में अपनी भी सीट नहीं बचा पाईं शीला दीक्षित
अन्ना हजारे के आंदोलन ने कांग्रेस की जड़े हिला दीं। इसी आंदोलन से निकले अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन किया। 2013 में आप की लहर में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। शीला दीक्षित नई दिल्ली से केजरीवाल के खिलाफ चुनाव हार गईं। हालांकि, आप से ज्यादा फायदा भाजपा को हुआ। भाजपा ने 31 सीटें जीतीं। लेकिन बहुमत ना होने के चलते सरकार बनाने से इनकार कर दिया। इसके बाद केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई। लेकिन उन्हें 49 दिन बाद ही इस्तीफा देना पड़ा।
2015: आप की आंधी में उड़ी भाजपा और कांग्रेस
केजरीवाल के इस्तीफा देने के बाद 2015 में दिल्ली में फिर विधानसभा चुनाव हुए। लेकिन इस बार लहर और तेज थी। दिल्ली की 70 सीटों में से आप ने 67 पर जीत हासिल की। 2013 में सबसे बड़ी पार्टी और कुछ महीने पहले लोकसभा चुनाव में सभी 7 सीटें जीतने वाली भाजपा सिर्फ 3 सीट जीत पाई। केजरीवाल दोबारा मुख्यमंत्री बने और अपना पूरा कार्यकाल किया।