पंजाबी समुदाय का दिल कौन जीतेगा? कभी दिल्ली में पंजाबी थे सत्ता के किंगमेकर

दिल्ली में करीब 30 फीसदी आबादी पंजाबी समाज की है। इनमें 10 फीसदी से ज्यादा पंजाबी खत्री शामिल हैं इसके अलावा बाकी पाकिस्तान से आए वैश्य समुदाय शामिल है। इस दौर पर में दिल्ली की सियासत के किंगमेकर माने जाते थे।

Asianet News Hindi | Published : Jan 29, 2020 5:27 AM IST / Updated: Jan 29 2020, 11:15 AM IST

नई दिल्ली. राजधानी में विधानसभा चुनाव एक-एक सीट की लड़ाई पर सिमटता जा रहा है। दिल्ली की सियासत पर काबिज रहने वाला पंजाबी समुदाय एक दौर में बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता था, लेकिन अब इस समुदाय पर किसी एक पार्टी का वर्चस्व नहीं रह गया है। इसीलिए सत्ता पर काबिज अरविंद केजरीवाल से लेकर बीजेपी तक डोरे डाल रही है जबकि कांग्रेस अपने प्रदेश अध्यक्ष के जरिए उन्हें साधने में जुटी है।

आजादी के बाद से ही पंजाबियों की अच्छी तादाद दिल्ली में रही है। 90 के दशक के पहले वहां पंजाबी, वैश्य, मुस्लिम और दलित समीकरण हावी था, इन्हीं बिरादरी के नेताओं को सांसद और विधायक बनने का मौका मिलता था मुख्य रूप से कांग्रेस और बीजेपी दो ही पार्टियां थी जिनमें पंजाबी मूल के नेताओं का ही बोलबाला था लेकिन अब तीसरी ताकत के रूप में केजरीवाल की एंट्री हो गई है।

Latest Videos

पंजाबी बहुल सीटें

दिल्ली में करीब 30 फीसदी आबादी पंजाबी समाज की है। इनमें 10 फीसदी से ज्यादा पंजाबी खत्री शामिल हैं इसके अलावा बाकी पाकिस्तान से आए वैश्य समुदाय शामिल है। इस दौर पर में दिल्ली की सियासत के किंगमेकर माने जाते थे।

दिल्ली में पंजाबी बहुल करीब एक दर्जन विधानसभा सीटें हैं। विकासपुरी, राजौरी गार्डन, राजेंद्र नगर हरी नगर, तिलक नगर, जनकपुरी, मोती नगर,राजेंद्र नगर, ग्रेटर कैलाश, जंगपुरा, कालकाजी,  गांधी नगर, मॉडल टाऊन, लक्ष्मी नगर और रोहिणी विधानसभा सीट है।

कांग्रेस ने सबसे ज्यादा पंजाबी समुदाय के 11 उम्मीदवार उतरे हैं तो आम आदमी पार्टी ने भी 10 प्रत्याशी पर दांव लगाया है। वहीं, बीजेपी ने सात पंजाबी उम्मीदवारों को टिकट दिया है।  

1960 से अब तक हावी रहा पंजाबी नेतृत्व

1960 से अब तक दिल्ली में पंजाबी नेतृत्व सर्वाधिक असरदार रहा है। मदनलाल खुराना, विजय कुमार मल्होत्र व केदारनाथ साहनी यहां के सबसे मजबूत राजनीति चेहरे थे। बीजेपी इन्हीं तीन पंजाबी नेताओं के सहारे दिल्ली की सत्ता पर काबिज रही है। 1983 में पंजाबी मतों के सहारे जीत दर्ज किया था और पंजाबी समुदाय के मदनलाल खुराना सीएम बने थे। इसके बाद बीजेपी ने विजय कुमार मलहोत्रा को सीएम कैंडिडेट के रूप में प्रोजेक्ट किया था।

Share this article
click me!

Latest Videos

CM बनते ही दूसरी कुर्सी पर बैठी Atishi , आखिर क्यों बगल में खाली छोड़ दी 'गद्दी' । Arvind Kejriwal
सिर्फ एक क्लिक आपको पहुंचा सकता है जेल, आपके फोन में भी तो नहीं हैं ऐसे वीडियो । Child Pornography
RSS और BJP की चुप्पी! संजय सिंह ने फिर से दोहराए Arvind Kejriwal के पूछे 5 सवाल
Pitru Paksha 2024: बिना पैसा खर्च किए कैसे करें पितरों को खुश ?
कहीं आपके घी में तो नहीं है जानवरों की चर्बी, ऐसे करें चेक । Adulteration in Ghee