शिवसेना ने सामना के जरिए दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की तारीफ की है। उन्होंने लिखा, दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी जान लगा दी है। महाराष्ट्र उनके हाथ से गया और झारखंड में करारी हार हुई।
नई दिल्ली. शिवसेना ने सामना के जरिए दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की तारीफ की है। उन्होंने लिखा, दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी जान लगा दी है। महाराष्ट्र उनके हाथ से गया और झारखंड में करारी हार हुई। कम-से-कम दिल्ली में झंडा लहराए, ऐसा भारतीय जनता पार्टी को लग रहा होगा तो इसमें गलत क्या है? दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के लिए देशभर के 200 सांसद, भाजपा के सारे मुख्यमंत्री और पूरा केंद्रीय मंत्रिमंडल काम पर लग चुका है। लेकिन इसके बावजूद एक केजरीवाल ही इन सब पर भारी पड़ते दिख रहे हैं।
"केजरीवाल सरकार का काम एक आदर्श"
"केजरीवाल की नीतियों और उनकी कार्यशैली पर मतभेद हो सकते हैं लेकिन सीमित सत्ता हाथ में होने के बावजूद और केंद्र द्वारा बार-बार गतिरोध पैदा करने के बावजूद स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य नागरी सुविधाओं के बारे में उनकी सरकार का काम एक आदर्श के रूप में देखा जा सकता है। केजरीवाल सरकार के कार्यों का आदर्श सामने रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रिमंडल द्वारा दिल्ली मॉडल को अन्य राज्यों में लागू करने में कोई हर्ज नहीं था।"
"केजरीवाल के विजन का प्रयोग देशभर में करना चाहिए"
सामना में लिखा गया, "केजरीवाल के विजन का प्रयोग देशभर में करना चाहिए था। लेकिन प्रचार के दौरान भाजपाई खुमारी इतनी निचले स्तर तक पहुंच गई है कि बाकी सारे मुद्दे एक तरफ रह गए, उल्टे केजरीवाल को ही झूठा साबित करने के लिए सारा तंत्र लगा दिया गया है। कोई किसी राज्य में अच्छा काम कर रहा होगा और वो हमारी विचारधारा का न हो तब भी अच्छे को अच्छा कहना तथा अच्छे काम को आगे ले जाना ही देश के लोकनायकों का कर्तव्य होता है। परंतु अब इतना बड़ा दिल किसका बचा है?"
"दिल्ली के सरकारी स्कूल अंतरराष्ट्रीय स्तर के"
अखबार ने लिखा, "दिल्ली के सरकारी स्कूलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बन जाने पर उसकी (भाजपा) बड़ाई करने में उनके पेट में सर्जिकल स्ट्राइक का मरोड़ क्यों उठता है, ये बात समझ में नहीं आती। गरीबों के बच्चे दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करते हैं और ये स्कूल आदर्श साबित हुए हैं। मोहल्ला क्लिनिक की योजना अच्छे तरीके से काम कर रही है। पानी और बिजली के बिल माफ कर दिए गए या आधे कर दिए गए।"
"केजरीवाल ने जो वचन दिए, वे पूरे हो गए"
"इसका मतलब 5 साल पहले केजरीवाल ने जो वचन दिए थे, वे पूरे हो गए और इसके लिए श्री मोदी या श्री शाह को केंद्र सरकार की ओर से केजरीवाल जैसे मुख्यमंत्री का नागरिक सत्कार करके नई परंपरा शुरू करनी चाहिए। लेकिन ऐसा न करते हुए भाजपा के बड़े नेता और मंत्री दिल्ली में चुनाव जीतने के लिए हिंदू बनाम मुसलमान का राजनीतिक कीचड़ उछाल रहे हैं। भाजपा वाले केजरीवाल का इस कदर विरोध करते हैं कि उन्हें केजरीवाल की हनुमान भक्ति भी पसंद नहीं।
"भाजपा वाले राम भक्त तो केजरीवाल हनुमान भक्त"
"हुआ ये कि भाजपा वाले जैसे रामभक्त हैं, उसी प्रकार केजरीवाल हनुमान भक्त हैं। वे शनिवार को हनुमान मंदिर गए और वहां उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ किया। भाजपा को ये बात पसंद नहीं आई। उल्टा उन्होंने इसे एक ढोंग बताते हुए बुरा-भला कहा। सच कहें तो श्री राम के बिना हनुमान अधूरे हैं और ढोंग के बारे में बोलना पड़े तो इस बारे में कोई किसी को न सिखाए।"
"आतंकवादी के सबूत तो हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठी है सरकार"
अखबार ने लिखा, "वर्तमान राजनीतिक स्थिति हमाम में सब ढोंगी हैं वाली है। भाजपा के प्रचार का एक ये भी मुद्दा है कि केजरीवाल आतंकवादी हैं। अगर उनके आतंकवादी होने के सबूत होंगे तो सरकार हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठी है? उसे कार्रवाई करनी चाहिए। 2014 में दिल्ली के 70 प्रतिशत मतदाताओं ने केजरीवाल को मतलब आतंकवादी को मतदान किया, ऐसा भाजपा का कहना है क्या? प्रधानमंत्री मोदी की प्रचार सभा में मुद्दे क्या हैं? बाटला हाउस और अनुच्छेद-370। भारतीय जनता पार्टी को देश के प्रधानमंत्री को इतना नीचे नहीं ले जाना चाहिए।"
"दिल्ली में भाजपा सूखे तालाब में कमल खिला रही है"
"प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगनेवालों को मतदाता सबक सिखाएं। अगर मोदी का कहना दिल्ली के मतदाताओं ने नहीं माना तो लाखों मतदाताओं को देशद्रोही घोषित करके आगामी सरकार को बर्खास्त किया जाएगा क्या? देश के प्रधानमंत्री को ऐसे कीचड़ में नहीं उतरना चाहिए और उतर ही चुके हैं तो थोड़ा संयम बरतें। राजनीति सभी करते हैं लेकिन विकास के मुद्दे पर बहुत कम बोलते हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री ने सर्जिकल स्ट्राइक का समर्थन किया, फिर भी वे हार गए। इसका मतलब ये है कि लोगों के जीवन की समस्याएं कुछ अलग हैं। उन्हें दूर करें। उस पर बोलें। दिल्ली में कांग्रेस का अस्तित्व ज्यादा नहीं बचा है। भाजपा सूखे तालाब में कमल खिला रही है। उनके इस नए फूलोत्पादन के लिए हमारी शुभकामनाएं!
"केजरीवाल ने अलग तरह का प्रयोग किया है"
"केजरीवाल ने गत 5 वर्षों में किए गए कामों को दिखाकर ही वोट मांगे हैं। देश की राजनीति में ये अलग तरह का प्रयोग है। राजनीतिक मतभेदों के पार जाकर इस प्रयोग का स्वागत किया जाना चाहिए। दिल्ली के मतदाता समझदार हैं। उन्हें समझदारी का डोज देने की आवश्यकता नहीं है।"