7 सबसे बड़ी वजहः गांधी परिवार ने की खानापूर्ति, शर्मनाक हार की हैट्रिक की ओर कांग्रेस

केंद्र शासित राज्य में विधानसभा की सभी 70 सीटों पर मतगणना की प्रक्रिया शुरू है शुरुआती रुझानों में आप को बम्पर सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं बीजेपी भी पिछले चुनाव के मुक़ाबले बेहतर करती नजर आ रही है

Asianet News Hindi | Published : Feb 11, 2020 3:33 AM IST / Updated: Feb 11 2020, 08:14 PM IST

नई दिल्ली। केंद्र शासित राज्य में विधानसभा की सभी 70 सीटों पर मतगणना की प्रक्रिया शुरू है। नतीजे में आप को बम्पर सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं। बीजेपी भी पिछले चुनाव के मुक़ाबले बेहतर करती नजर आ रही है। मगर दिल्ली में सबसे ज्यादा वक्त तक शासन करने वाली कांग्रेस की हालत बेहद खराब है। मतगणना रुझान की मानें तो पार्टी दिल्ली में लगातार तीसरी बार (2013, 2015 और 2020 में) शर्मनाक हार की ओर नजर आ रही है। आइए जानते हैं दिल्ली में कांग्रेस की हार की क्या सात बड़ी वजहें क्या रहीं...

#1. गांधी परिवार ने की खानापूर्ति :-
कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में सबसे ऊपर गांधी परिवार के तीन सदस्यों सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का नामा था। मगर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की चुनाव में सक्रियता देखकर कहा जा सकता है प्रचार की खानपूर्ति भर की गई। जहां बीजेपी और आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं ने पूरी ताकत झोंक दी, कांग्रेस के दिग्गज आखिरी वक्त में प्रचार करने घर से बाहर आए।

#2. जमीन पर संगठन की कमजोरी:-  
विधानसभा चुनाव के दौरान दिल्ली में जमीन पर कांग्रेस का संगठन नहीं दिखा। कार्यकर्ताओं में मायूसी थी। और इसका असर पार्टी के कैम्पेन पर साफ नजर आया।

#3. कद्दावर चेहरे की कमी:-
दिल्ली इकाई में कद्दावर चेहरों की कमी साफ नजर आई। दिल्ली यूनिट के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा चुनाव में और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन की मौजूदगी बेहद कमजोर नजर आई। दिल्ली इकाई में पार्टी के दूसरे दमदार नेता भी सुस्त नजर आए। महाबल मिश्र पर तो आप के टिकट पर लड़ रहे बेटे के लिए कैम्पेनिंग का आरोप लगा।

#4. शीला दीक्षित का विकल्प नहीं ढूंढ नहीं पाई :-
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन के बाद अब तक पार्टी यूनिट को उनके कद के नेता का विकल्प नहीं मिल पाया है। दिल्ली में पार्टी के पास कपिल सिब्बल, सुभाष चोपड़ा और अजय माकन जैसे नेता हैं मगर जनता के बीच किसी की अपील शीला दीक्षित जैसी नहीं है। शीला के निधन के बाद दिल्ली विधानसभा के लिए कांग्रेस का ये पहला चुनाव है।

#5. आंतरिक मतभेद का शिकार रही पार्टी :-
पिछले कुछ विधानसभा चुनाव (हरियाणा और महाराष्ट्र) में कांग्रेस के आंतरिक मतभेद सामने आए। दिल्ली में भी ये देखने को मिला। शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने स्टार कैम्पेनर की लिस्ट में शामिल नहीं होने को लेकर पार्टी के नेताओं पर ही आरोप लगा दिए।

#6. मैदान में नहीं उतरे महारथी :-
आप और बीजेपी के सामने पार्टी के दिग्गजों ने पहले ही हथियार डाल दिए थे। विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए पार्टी चाहती थी कि बड़े नेता भी चुनाव लड़े, मगर निश्चित हार की आशंका में बड़े नेताओं ने मैदान में उतरने से मना कर दिया। तमाम दिग्गजों ने अपने बेटे-बेटियों और रिशतेदारों को आगे कर दिया। कई दिग्गज पार्टी छोड़कर बाहर चले गए।

#7. कोर वोट बैंक पर पकड़ हुई कमजोर :-
दिल्ली में दलित और मुसलमान हमेशा से कांग्रेस का वोटबैंक रहे हैं। लेकिन केंद्र शासित राज्य में आप के उदय के साथ कांग्रेस का ये वोट बैंक दरक गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में वोट लेने के मामले में कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी और लगा कि पार्टी एक बार फिर कोर वोट बैंक के सहारे विधानसभा चुनाव में कुछ करिश्मा करेगी पर ऐसा नहीं हुआ। 

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