चुनाव से पहले खुलकर सामने आए NCP के मतभेद, भुजबल ने अजीत पवार पर लगाए गंभीर आरोप

महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले असंतोष से जूझ रही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में मतभेद मंगलवार को खुलकर सामने आ गया जब वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने बारामती के विधायक अजीत पवार को पिछले महीने उस दिन इस्तीफा देने के लिए खरी खोटी सुनायी

Asianet News Hindi | Published : Oct 15, 2019 4:05 PM IST / Updated: Oct 15 2019, 11:57 PM IST

मुम्बई. महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले असंतोष से जूझ रही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में मतभेद मंगलवार को खुलकर सामने आ गया जब वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने बारामती के विधायक अजीत पवार को पिछले महीने उस दिन इस्तीफा देने के लिए खरी खोटी सुनायी जिस दिन शरद पवार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कार्यालय जाने वाले थे।

 पवार के कदम से बंटा ध्यान
उन्होंने कहा कि ‘भावनात्मक आधार’ पर अजीत द्वारा दिये गये इस्तीफे से शरद पवार के कदम से ‘ध्यान’ बंट गया, अन्यथा इस अहम चुनाव से पहले राकांपा को बहुप्रतीक्षित राजनीतिक फायदा मिलता।

अजीत ने कहा था कि कुछ राकांपा नेताओं की ‘जिद’ के चलते 2000 में शिवसेना बाल ठाकरे की गिरफ्तारी हुई, जो एक ‘गलती’ थी।

वैसे अजीत ने शिवसेना के पूर्व नेता भुजबल का नाम नहीं लिया जो उस समय (बाल ठाकरे को गिरफ्तार किये जाने के समय) कांग्रेस-राकांपा सरकार में गृह मंत्री थे।

कभी नहीं रही ठाकरे को मुश्किल में डालने की मंशा 
भुजबल ने कहा कि उनकी शिवसेना संस्थापक को ‘मुश्किल’ में डालने की मंशा कभी नहीं रही। उन्होंने कहा, ‘‘बाल ठाकरे को गिरफ्तार करने का मुद्दा उसी समय ही खत्म हो गया था। मैंने श्रीकृष्णा आयोग द्वारा मुम्बई दंगे पर तैयार की गयी फाइल पर दस्तखत किये थे। बी आर अंबेडकर की प्रतिमा की बेअदबी मामले में मुझे क्लीनचिट मिल जाने के बावजूद
इस विषय पर सामना में एक खबर छपने के बाद मैंने (ठाकरे के विरूद्ध) मानहानि का मामला दर्ज किया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने बाद में वह मामला वापस ले लिया था। उसके बाद मुझे बालासाहब और उद्धव ठाकरे ने ‘मातोश्री’ आने के लिए निमंत्रित किया था। मैं वहां अपने परिवार के सदस्यों के साथ गया था और वहां करीब तीन चार घंटे रहा।’’

अजीत के इस्तीफे से हुआ नुकसान 
शरद पवार के भतीजे अजीत के अचानक इस्तीफे पर भुजबल ने कहा कि वह विधायक के रूप में इस्तीफा देने के लिए दो और दिनों तक इंतजार कर लेते।उन्होंने कहा, ‘‘ (27 सितंबर को) इस्तीफा देने की क्या बाध्यता थी जब पवार ने घोषणा कर दी थी कि वह मुम्बई में ईडी कार्यालय जायेंगे। वह (अजीत) कहते हैं कि वह भावुक व्यक्ति हैं। लेकिन वह दो और दिन अपनी भावना पर नियंत्रण कर लेते। उस दिन शरद पवार के प्रति भारी जनसमर्थन था, लेकिन उनके (अजीत के) कृत्य से उस दिन ध्यान बंट गया। मुझे अचरच होता है कि इससे किसे फायदा हुआ।’’

अजीत के इस्तीफे से पवार परिवार में दरार की अटकलें लगने लगी थीं। बाद में अजीत ने स्पष्ट किया था कि वह यह देखकर दुखी थे कि उनके चाचा को ‘उनकी वजह से’ महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले में ‘गलत तरीके से’ फंसाया जा रहा है।

प्रवर्तन निदेशालय ने इस कथित घोटाले के सिलसिले में अजीत, शरद पवार और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

धनशोधन के एक मामले में जमानत पर चल रहे भुजबल नासिक जिले के यवला विधानसभा क्षेत्र से राकांपा उम्मीदवार हैं।

[यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है]

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