कभी BJP का गढ़ था.. आज कांग्रेस के पास, जानिए किस वजह से लोग हो गए 'सरकार' से नाराज

Gujarat Assembly Election 2022: पिछले विधानसभा चुनाव में अमरेली जिले के लोगों ने भाजपा को निराश कर दिया था। पाटीदार आंदोलन का असर काफी हुआ और इस वजह से पार्टी को पांच में से एक भी विधानसभा सीट पर जीत नहीं मिली थी। 

Ashutosh Pathak | Published : Nov 18, 2022 12:21 PM IST / Updated: Nov 18 2022, 06:19 PM IST

गांधीनगर। Gujarat Assembly Election 2022:  गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा इस बार अमरेली में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। पार्टी पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2017 के असेंबली इलेक्शन में कांग्रेस से हार चुकी है। यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है और मौजूदा कांग्रेस विधायक परेश धनानी लोगों के बीच खासे लोकप्रिय हैं। 

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा इस जिले की सभी पांच विधानसभा सीट हार गई थी। भाजपा इस बार कुछ सीटें जीतकर अपनी मान-प्रतिष्ठा बचाने की कोशिश में जुटी है। बता दें कि यह जिला कभी भाजपा का गढ़ हुआ करता था, मगर बीते तीन विधानसभा चुनाव से यह उसका नहीं रहा। 

पाटीदार आंदोलन की वजह से भाजपा को नुकसान ज्यादा हुआ!
पिछले विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले यहां आरक्षण को लेकर पाटीदार आंदोलन शुरू हुआ और इसका काफी हद तक असर यह हुआ कि पार्टी को वोटर्स के गुस्से का सामना करना पड़ा। इस आंदोलन की वजह से पार्टी को अमरेली जिले में पूरी तरह खाली हाथ रहना पड़ा। इस जिले में हार भाजपा और उसके नेताओं के लिए एक कड़वा अनुभव था। पार्टी राज्य में सत्ता में जरूर आई, मगर उसकी सीटों की संख्या सैंकड़े से घटकर दहाई में आ गई। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष और इफको के चेयरमैन दिलीप संघानी, जो कि भाजपा नेता भी हैं की मानें तो, अमरेली जिले की सभी पांच विधानसभा सीट को खोने से जिले में भाजपा की साख खत्म हुई है और उसका नाम यहां खराब हुआ है। 

संघानी, रुपाला और कचड़िया इस बार मिलकर काम करेंगे 
संघानी के अनुसार, यहां से कद्दावर नेता पुरुषोत्तम रुपाला और सांसद नारनभाई कचड़िया, जो कि इस समय मोदी सरकार में मंत्री भी हैं, तथा मैंने  यह तय किया कि इस बार हम सब मिलकर काम करेंगे और जीत के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देंगे। संघानी के मुताबिक, अमरेली जिले में पांच विधानसभा सीट आती हैं। इनमें धारी, अमरेली, लाठी, सावरकुंडला और राजुला विधानसभा सीट शामिल है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो पिछले विधानसभा चुनाव की स्थिति और उसका परिदृश्य इस बार के चुनाव से काफी अलग था। हो सकता है कि पार्टी इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करे और कुछ अमरेली जिले की कुछ सीट उसके हाथ लग जाए। यही  नहीं, 2022 के विधानसभा चुनाव में पाटीदार आरक्षण आंदोलन का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है और इस आंदोलन से जुड़े कई नेता अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं। अमेरली पहले भाजपा का गढ़ था, मगर पिछले विधानसभा चुनाव में पाटीदार बहुल इस सीट पर पटेलों  ने भाजपा के खिलाफ वोट किया था। इससे पार्टी के खाते में एक भी सीट नहीं आई। 

महिलाएं और युवा सरकार से ज्यादा नाराज! 
यही नहीं, दावा किया जा रहा है कि इस बार भी महंगाई एक बड़ा मुद्दा है और महिलाएं इसी खास वजह से भाजपा से नाराज हैं। आवश्यक वस्तुओं के दाम लगातार बढ़ने से उनका बजट बिगड़ा है। उद्योग-धंधे नहीं होने से युवा बड़े शहरों में नौकरी करने गए हैं। ऐसे में ग्रामीण इलाकों में आपको बच्चे या बूढ़े ही मिलेंगे। यही नहीं, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष संदीप पांड्या के अनुसार, भाजपा राज्य में 27 साल से है, मगर अमरेली काफी पिछड़ा है और इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया है। बता दें कि अमरेली जिले की पृष्ठभूमि ग्रामीण है और करीब 98 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर निर्भर है। पांड्या के अनुसार, किसान वैसे भी भाजपा से नाराज है, खासकर इस वजह से भी कि पार्टी ने उनकी आय बढ़ाने के लिए जो दावे और वादे किए थे, उनमें से कुछ भी नहीं हुआ। राज्य में कुल 182 विधानसभा सीट पर वोटिंग दो चरणों में होनी है और 1 तथा 5 दिसंबर को मतदान होगा। वोटों की गिनती 8 दिसंबर को होगी। 

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