गुजरात चुनाव में दो ऐतिहासिक सीट.. पोरबंदर और आणंद, जानिए इस बार किसकी हो सकती है बाजी

Gujarat Assembly Election 2022: पोरबंदर जहां महात्मा गांधी की जन्मस्थली है, वहीं आणंद सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्मभूमि है। पोरबंदर और आणंद पर 1995 से भाजपा का ही कब्जा था, मगर 2017 में आंणद कांग्रेस के पास चली गई। 

Ashutosh Pathak | / Updated: Nov 27 2022, 03:45 PM IST

गांधीनगर। Gujarat Assembly Election 2022:  गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार वैसे तो कई सीटों पर मुकाबला दिलचस्प है, मगर दो जिले की सीटें ऐसी हैं, जिन पर देशभर की निगाह है। ये दो सीटें हैं पोरबंदर और आणंद। जीं हां, ऐतिहासिक दृष्टि से दोनों ही महत्वपूर्ण सीटें हैं। इनमें एक है महात्मा गांधी की जन्मभूमि पोरबंदर और दूसरी है सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्मस्थली आणंद। पिछले विधानसभा चुनाव में जहां पोरबंदर पर भाजपा का कब्जा था, वहीं आणंद पर कांग्रेस का। पोरंबदर में जहां भाजपा प्रत्याशी बाबूभाई बोखिरिया ने जीत दर्ज की थी, वहीं आणंद में कांग्रेस नेता कांतिभाई सोढा परमार ने यह सीट भाजपा से 25 साल बाद ली। जी हां, आणंद पर उससे पहले 25 साल तक भाजपा का ही कब्जा था, मगर पिछले विधानसभा चुनाव में यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। 

हालांकि, इस बार भी पोरबंदर और आणंद में भाजपा तथा कांग्रेस ने  पुराने प्रत्याशियों को ही मैदान में उतारा है। बता दें कि पहले चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए गजट नोटिफिकेशन 5 नवंबर को और दूसरे चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए 10 नवंबर को जारी हुआ था। स्क्रूटनी पहले चरण के लिए 15 नवंबर को हुई, जबकि दूसरे चरण के लिए 18 नवंबर की तारीख तय थी। नाम वापसी की अंतिम तारीख पहले चरण के लिए 17 नवंबर और दूसरे चरण के लिए 21 नवंबर को हुई। गुजरात विधानसभा चुनाव में दोनों चरणों के लिए नामांकन का दौर समाप्त हो चुका है। राज्य में पहले चरण की वोटिंग 1 दिसंबर को होगी, जबकि दूसरे चरण की वोटिंग 5 दिसंबर को होगी। पहले चरण के लिए प्रचार अभियान 29 नवंबर की शाम पांच बजे खत्म होगा। वहीं, मतगणना दोनों चरणों की 8 दिसंबर को होगी। पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया 14 नवंबर अंतिम तारीख थी। दूसरे चरण के लिए नामाकंन प्रक्रिया की अंतिम तारीख 17 नवंबर थी। 

भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चुनौती आसान नहीं, आप भी मैदान में 
पोरंबदर सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है। 1995 के विधानसभा चुनाव में भाजपा यहां जीती। फिर 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। कांग्रेस नेता अर्जुन मोढवाडिया ने लगातार दो बार भाजपा को हराया, मगर 2012 और 2017 में फिर यह सीट भाजपा के पास वापस आ गई। इस बार भी कांग्रेस ने अर्जुन मोढवाडिया को ही मैदान में उतारा है। कांग्रेस अर्जुन को पिछले पांच बार से इस सीट पर प्रत्याशी बना रही है। करीब यही स्थिति भाजपा की भी है और चौथी बार बाबूभाई को ही मैदान में उतारा गया है। 2017 में बाबूभाई ने अर्जुन को 1855 वोट से हराया। इस सीट पर खारवा समाज की आबादी अधिक है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए  चुनौती आसान नहीं है, क्योंकि इस बार आम आदमी पार्टी भी यहां से मैदान में है। आप ने जीवन जुंगी को टिकट दिया है। 

25 साल बाद भाजपा से जीती कांग्रेस, इस बार क्या होगा 
दूसरी ओर सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्मस्थली आणंद है। यहां 1995 से 2012 के विधानसभा चुनाव तक यानी लगातार पांच बार भाजपा जीती, मगर 2017 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कांतिभाई सोढा परमार ने यह सीट जीत ली। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने योगेश पटेल बापजी को टिकट दिया था, जो कांतिभाई से 5286 वोट से हार गए। दरअसल, पिछली बार पाटीदार आंदोलन की वजह से भाजपा को कई पारंपरिक सीटों का भी नुकसान हुआ था, जिनमें से एक यह भी थी। इस सीट पर अन्य पिछड़ा वर्ग, पाटीदार, क्षत्रिय जातियों की संख्या अधिक है। भाजपा ने एक बार फिर योगेश पटेल बापजी को और कांग्रेस ने कांतिभाई सोढा परमार को मैदान में उतारा है। इसके अलावा, आम आदमी पार्टी ने गिरिश शांडिल्य को उम्मीदवार बनाया है। 

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