गुजरात चुनाव में अहम है ये जिला, ठाकोर और आदिवासियों का गढ़.. ट्रांसपोर्ट हब के तौर पर भी मशहूर

Gujarat Assembly Election 2022: अरावली की पहाड़ियों से घिरे इस नए जिले को साबरकांठा से अलग किया गया है और नाम दिया गया है अरावली। तीन विधानसभा सीटों वाले इस जिले में ठाकोर और आदिवासियों का वर्चस्व है। 

Ashutosh Pathak | Published : Nov 25, 2022 9:41 AM IST

गांधीनगर। Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव में अरावली जिला ऐसा है, जिस पर सभी की निगाह है। इस जिले को हाल ही में साबरकांठा जिले से अलग कर बनाया गया है, जिसका मुख्यालया मोडासा है। चूंकि यह अरावली के पहाड़ियों से घिरा है, इसलिए इसका नाम अरावली रखा गया है। यह सीमावर्ती इलाका क्षेत्र है, ऐसे में विकास ज्यादा नहीं हुआ है और लोगों को इसी का इंतजार है। 

बता दें कि गुजरात विधानसभा चुनाव में दोनों चरणों के लिए नामांकन का दौर समाप्त हो चुका है। राज्य में पहले चरण की वोटिंग 1 दिसंबर को होगी, जबकि दूसरे चरण की वोटिंग 5 दिसंबर को होगी। वहीं, मतगणना दोनों चरणों की 8 दिसंबर को होगी। पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया 14 नवंबर अंतिम तारीख थी। दूसरे चरण के लिए नामाकंन प्रक्रिया की अंतिम तारीख 17 नवंबर थी। पहले चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए गजट नोटिफिकेशन 5 नवंबर को और दूसरे चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए 10 नवंबर को जारी हुआ था। स्क्रूटनी पहले चरण के लिए 15 नवंबर को हुई, जबकि दूसरे चरण के लिए 18 नवंबर की तारीख तय थी। नाम वापसी की अंतिम तारीख पहले चरण के लिए 17 नवंबर और दूसरे चरण के लिए 21 नवंबर को हुई। 

जिले में तीन विधानसभा सीट, मोडासा में ठाकोर सबसे ज्यादा 
हालांकि, जिले में तीन विधाानसभा सीट हैं, जिनमें मोडासा, भिलोदा और बायद विधानसभा सीट शामिल है। इस इलाके में आदिवासी अधिक हैं और सीमा तीन तरफ से राजस्थान से लगती है। मोडासा में वोटर्स की संख्या करीब दो लाख 70 हजार है। जिसमें ठाकोर जाति के लोग सबसे अधिक हैं और इनकी संख्या करीब एक लाख तक है। वहीं मुस्लिम वोटर्स की संख्या दूसरे नंबर पर है। कांग्रेस ने राजेंद्र सिंह ठाकोर को टिकट दिया है। वे मौजूदा विधायक भी हैं, जबकि भाजपा ने भीखू सिंह परमार को यहां से मैदान में उतारा है। 

खेती-किसानी कम मगर अच्छी, ट्रांसपोर्ट हब है मोडासा 
वहीं, मोडासा ट्रांसपोर्ट हब है। यहां बगल के शहर टिंटोई में गाड़ियों की बॉडी बनाने का कारोबार बड़े पैमाने पर फैला है। इसके साथ ही यहां पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से खनन का कारोबार भी लंबा-चौड़ा है। खेती-किसानी कम है, मगर जितनी भी है, अच्छी है और किसान संपन्न हैं। मोडासा के लोग मूल रूप से बिजनेस के साथ-साथ खेती के कारोबार में भी शामिल हैं। इसके अलावा क्रशर के काम से भी बहुत से लोग जुड़े हैं और यहां से गिट्टियां बड़े पैमाने पर गुजरात और राजस्थान के दूसरे जिलों में भेजी जाती हैं। यहां शामलाजी भगवान का मंदिर है, जो दूर-दूर तक मशहूर है। यह मंदिर जिस कस्बे में है, उसे भी शामलाजी ही कहते हैं और यह राजस्थान तथा गुजरात की सीमा को बांटता है। 

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