मछली-बंगाली-गैस सिलेंडर.. इनसे जुड़ा परेश रावल का वो बयान जिस पर बढ़ गया बवाल, माफी तो मांगी मगर ये बात भी कही

Gujarat Assembly Election 2022: दिग्गज बॉलीवुड अभिनेता और भाजपा के पूर्व सांसद परेश रावल ने गुरुवार को वलसाड जिले में एक जनसभा में मछली, बंगाली और गैस सिलेंडर को जोड़ते हुए एक बयान दिया था, मगर इस पर बवाल बढ़ गया। 

Ashutosh Pathak | Published : Dec 2, 2022 9:26 AM IST

गांधीनगर। Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव में अब राजनीतिक दल दूसरे चरण की वोटिंग की तैयारी में जुटे हैं। हालांकि, पहले चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कांग्रेस की ओर से किए गए जुबानी हमले और विवादास्पद बयान के अलावा ऐसे अन्य विवादित बयान सामने नहीं आए, मगर भाजपा नेता और दिग्गज अभिनेता परेश रावल ने गैस सिलेंडर, मछली और बंगालियों को जोड़ते हुए एक बयान दे डाला, जिस पर बवाल मचा तो बाद में परेश रावल ने माफी भी मांग ली। 

गुजरात के वलसाड जिले में गुरुवार को एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते परेश रावल ने गैस सिलेंडर, बंगाली समुदाय और मछली को जोड़ते हुए एक बयान दिया था। दरअसल, गुजरात में पहले चरण में वोटिंग के दौरान भी गैस सिलेंडर एक मुद्दे के तौर पर दिखा। जिसके बाद गुरुवार की शाम एक सभा को संबोधित करते हुए परेश रावल ने कहा, गैस सिलेंडर महंगे हैं, मगर सोचो कि उनकी कीमत कम हो जाएगी और लोगों को रोजगार भी मिलेगा। लेकिन अवैध तरीके से देश में घुस आए रोहिग्या प्रवासी और बांग्लादेशी दिल्ली की तरह आपके आसपास भी रहने लगे तो क्या होगा? गैसे सिलेंडर का क्या करोगे। बंगालियों के लिए मछली पकाओगे क्या? 

बंगालियों को चुभ गई बात 
परेश रावल के इस बयान पर बवाल बढ़ गया था। खासकर, बंगाली समुदाय के लोगों को यह नागवार गुजरा। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत कुछ प्रमुख शख्सियतों ने भी इस बयान को लेकर रावल पर तंज कसा। बता दें कि  राज्य में दूसरे चरण की वोटिंग 5 दिसंबर को हैं और रिजल्ट 8 दिसंबर को जारी होगा। 

मछली कोई मुद्दा नहीं, गुजराती भी खाते हैं 
हालांकि, इस बयान पर बवाल मचा तो रावल ने शुक्रवार को गुजरात में एक रैली को संबोधित करते हुए माफी मांग ली। 67 साल के परेश रावल ने कहा कि उनका यह बयान देश में अवैध तरीके से घुसे बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को लेकर था। भाजपा के पूर्व सांसद परेश रावल ने कहा कि निश्चित तौर पर मछली कोई मुद्दा नहीं है, क्योंकि गुजराती भी मछली पकाते और खाते हैं। मगर मैं बंगाली शब्द को लेकर स्पष्ट कर दूं कि मेरा मतलब अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं से था। अगर फिर भी आप में से किसी की भावना को ठेस पहुंची है, तो मैं माफी मांग लेता हूं। 

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