अहमदाबाद की वो 16 सीट जहां भाजपा का इस बार पलड़ा भारी, जानिए कहां-कौन-किसे दे रहा टक्कर

Gujarat Assembly Election 2022: अहमदाबाद जिले में शहरी 16 सीट पर 2012 के चुनाव में भाजपा को 14 सीट पर जीत मिली, जबकि 2017 के चुनाव में उसे दो सीटों का नुकसान हुआ था तथा महज 12 सीट से ही संतोष करना पड़ा। 

Ashutosh Pathak | Published : Dec 4, 2022 9:23 AM IST

गांधीनगर। Gujarat Assembly Election 2022:  गुजरात विधानसभा चुनाव में अहमदाबाद ऐसा जिला है, जहां इस बार सभी दल फोकस कर रहे हैं, क्योंकि इस जिले में 21 सीट हैं। एक साथ अगर 21 सीट पर काम करने और इसे अपनी झोली में डालने को हर कोई बेचैन दिख रहा है। हालांकि, इसकी आधी से अधिक सीटें भाजपा की परंपरागत सीट रही हैं और भाजपा इस बार भी आश्वस्त है कि इन सीटों के अलावा वो बाकी सीट भी जीत कर जिले में क्लीन स्वीप कर लेगी। 

दरअसल, इस जिले की शहरी आबादी का 90 प्रतिशत हिस्सा पिछले 32 साल से भाजपा के साथ मजबूती से खड़ा है। शहरी क्षेत्र की दो प्रमुख सीट है मणिनगर और घाटलोदिया। मणिनगर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2002 से 2014 तक यानी तीन बार चुनाव लड़ा। वहीं, घाटलोदिया पाटीदार बहुल सीट है और इस सीट से पहले आनंदीबेन पटेल जीतती थीं, जो बाद में मुख्यमंत्री बनीं और बाद में भूपेंद्र पटेल जीते, जो मौजूदा मुख्यमंत्री हैं और अगली विधानसभा के लिए पार्टी के सीएम फेस भी हैं। ऐसे में अगर कहें कि घाटलोदिया ने राज्य को दो-दो सीएम दिए तो गलत नहीं होगा। भूपेंद्र पटेल 2015 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के चरम पर होने के बावजूद 2017 में यहां से एक लाख 17 हजार के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी। 

भूपेंद्र को टक्कर देने के लिए याग्निक मैदान में 
भाजपा ने भी पहले ही ऐलान कर रखा था कि अगर वह राज्य की सत्ता में बनी रही, तो घाटलोदिया को चुनाव के बाद एक बार फिर शीर्ष पद यानी मुख्यमंत्री पद दिया जाएगा। कांग्रेस ने इस बार भूपेंद्र पटेल को टक्कर देने के लिए अपने राज्यसभा सांसद डॉक्टर अमी याग्निक को प्रत्याशी बनाया है। मणिनगर विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ रही है, इसलिए पार्टी इन दोनों सीटों को लेकर बहुत चिंतित नहीं है। वहीं, जमालपुर खड़िया और दरियापुर सीट पर अल्पसंख्यक (मुस्लिम समुदाय) का वर्चस्व है। इसके अलावा वेजलपुर और दानीलिम्डा में भी मुस्लिम वोट अच्छी खासी संख्या में हैं। वहीं, 6 सीट जिसमें घाटलोदिया, ठक्करबापा नगर, साबरमती, मणिनगर, निकोल और नरोदा शामिल है, में पाटीदार समुदाय के वोटर बड़ी संख्या में हैं। 

एआईएमआईएम प्रत्याशी ने नाम वापस ले लिया 
अहमदाबाद की 21 में से 16 सीटों काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है, ये शहरी क्षेत्र में आती हैं। इनमें 2012 के विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा को 14 सीट मिली, जबकि कांग्रेस को दरियापुर और दानीलिम्डा सीट से ही संतोष करना पड़ा। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा से दो और सीट, जिनमें बापूनगर और जमालपुर खड़िया शामिल है, भाजपा से झटक ली। ऐसे में भाजपा को 12 और कांग्रेस को 4 सीटें मिलीं। इसके बाद इस बार एआईएमआईएम ने दरियापुर, दानीलिम्डा, बापूनगर और जमालपुर खड़िया के साथ-साथ वेजलपुर में भी प्रत्याशी उतारा था। दरअसल, बापूनगर से एआईएमआईएम के प्रत्याशी शहनवाज पठान ने नामांकन वापस ले लिया। यही नहीं, आप ने भी शहर की इन सभी 16 सीट पर प्रत्याशी उतारे हैं। 

जमालपुर में 50 प्रतिशत वोटर मुस्लिम 
दरअसल, पिछले चुनाव में बापूनगर में कांग्रेस प्रत्याशी रहे हिम्मत सिंह पटेल ने भाजपा विधायक जगरूप सिंह राजपूत को करीब तीन हजार वोट से हराया था। हालांकि, एआईएमआईएम के प्रत्याशी ने नामाकंन वापस ले लिया, जिससे कांग्रेस राहत की सांस ले सकती है, मगर सपा उम्मीदवार अल्ताफ खान पठान और आम आदमी पार्टी उसके लिए मुश्किलें अब भी पैदा कर रही है। ऐसे में कांग्रेस का वोट आप में बंटा तो भाजपा यह सीट फिर से जीत सकती है। इसके अलावा, जमालपुर खड़िया विधानसभा सीट भी भाजपा के पक्ष में जा सकती है। यहां दो लाख से ज्यादा वोटर हैं, जिसमें करीब 50 प्रतिशत यानी लगभग एक लाख मुस्लिम वोटर हैं और यही भाजपा के लिए चिंता वाली बात थी। मगर इस बार 2012 के निर्दलीय उम्मीदवार साबिर काबलीवाला इस बार एआईएमआईएम से उम्मीदवार है। 

8 को आएगा दोनों चरणों का रिजल्ट 
साबिर 2012 में कांग्रेस के लिए मुसीबत बने और इसमें भाजपा के भूषण भट्ट जीत गए। पिछली बार साबिर मैदान में नहीं थे, तो कांग्रेस के इमरान जीत गए। मगर इस बार साबिर फिर आ गए और साथ में आप भी आई है। साबिर को कुछ महीने महीने पहले एआईएमआईएम ने गुजरात इकाई का अध्यक्ष बनाया है। बता दें कि गुजरात की कुल 182 विधानसभा सीटों में से अहमदाबाद शहर की 16 सीटों सहित 93 सीटों पर सोमवार को मतदान होगा। इससे पहले, 89 सीटों पर वोटिंग 1 दिसंबर को हुई थी। दोनों ही चरणों के रिजल्ट 8 दिसंबर को आएंगे। 

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