पंजाब चुनाव: भैंस अंग्रेजी, छोटी भैंस, देसी ब्रांड... इन कोड वर्ड के जरिए नेता समर्थक वोटर्स में बांट रहे शराब

बठिंडा नशा हटाओ यूथ बचाव संगठन के अध्यक्ष हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि शाम होते ही नेताओं के समर्थक अलग-अलग बस्तियों में जाकर शराब बांट रहे हैं। शाम होते ही प्रचार के नाम पर यह लोग बस्तियों में पहुंच जाते हैं। प्रचार की आड़ में शराब बांट दी जाती है। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 10, 2022 8:34 AM IST

बठिंडा। आज शाम को तीन भैंस चाहिए। दो छोटी, एक बड़ी। यह किसी पशु मंडी की बातचीत नहीं है, बल्कि पंजाब चुनाव में फ्री शराब की पेटियां पाने का कोड वर्ड है। राज्य में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए जमकर शराब बांटी जा रही है। चुनाव आयोग ने भले ही निगरानी टीमों का गठन कर दिया है। नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं पर भी नजर रखी जा रही है, लेकिन शराब बांटने का काम नहीं थमा है। यही वजह है कि नशे के मुद्दे को लेकर राजनीतिक दलों में चुप्पी है। हर किसी को वोट चाहिए... मगर नाराजगी मोल लेना कोई नहीं चाहता है। इसलिए पंजाब के प्रमुख मसलों में एक नशा चर्चा से गायब है। 

बठिंडा नशा हटाओ यूथ बचाव संगठन के अध्यक्ष हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि शाम होते ही नेताओं के समर्थक अलग-अलग बस्तियों में जाकर शराब बांट रहे हैं। शाम होते ही प्रचार के नाम पर यह लोग बस्तियों में पहुंच जाते हैं। प्रचार की आड़ में शराब बांट दी जाती है। उन्होंने बताया कि शराब मंगाने के लिए कोड वर्ड बनाए गए हैं। बड़ी भैंस का मतलब है- अंग्रेजी शराब की पेटी। छोटी भैंस का मतलब है, देशी शराब की पेटी। इस तरह के कोड वर्ड से शराब मांगने का काम हो रहा है। 

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सस्ते के चक्कर में जहर ना बांट दें नेता?
चीमा ने बताया कि दिक्कत यह है कि नेता मंच से तो नशा खत्म करने की बात करते हैं, लेकिन शाम होते ही नशा बांटने का काम शुरू कर देते हैं। हम यदि आवाज उठाते हैं तो इनके समर्थक मारपीट की धमकी देते हैं। कई बार पुलिस को शिकायत की। लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता साधु राम ने बताया कि चुनाव के दौरान शराब की तस्करी भी जोरों पर हो रही है। हमें इस बात की चिंता रहती है कि कहीं सस्ती शराब के चक्कर में लोगों में ऐसा नशा ना बांट दें, जो जानलेवा साबित हो जाए। 

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रिकॉर्डिंग ना हो जाए, इसलिए कोड वर्ड में बातचीत
साधुराम कहते हैं कि नेता समर्थकों की कोशिश होती है कि सस्ते से सस्ता नशा उपलब्ध कराया जाए। शराब की खेप मंगाने के लिए भी कोड वर्ड इस्तेमाल हो रहे हैं। क्योंकि प्रत्याशियों को डर है कि उनकी बातचीत रिकॉर्ड हो सकती है, इसलिए वह कोड वर्ड से बातचीत कर रहे हैं। शराब बांटने का काम ग्रामीण इलाकों में जोरों पर है। इसके बाद शहर की स्लम बस्तियों में भी शराब बांटी जा रही है। 

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महिलाओं को भी नशे के खिलाफ मैदान में आना चाहिए
नेता साधु राम कुसाला का कहना है कि चुनाव से पहले राजनीतिक दल नशा हटाने, नशा माफिया के खिलाफ कार्रवाई का वायदा करते हैं। लेकिन हकीकत में होता इसके विपरीत है। उन्होंने कहा कि नशे के कहर को मिटाने के लिए लोगों को खुद पहल करनी होगी। अन्यथा नेता नशे के सहारे चुनाव जीतकर जनता का शोषण करते रहेंगे। उन्होंने गैर सरकारी संगठनों, विशेषकर महिलाओं से नशीली दवाओं के खतरे के खिलाफ लड़ाई के लिए आगे आने का भी आह्वान किया।

नशा बांटने वालों को वोट ना दें लोग
कुसाला ने पंजाब की खातिर सभी पंजाबियों से भी अपील की कि वे शराब समेत ड्रग्स बांटने वाले किसी भी उम्मीदवार को वोट ना दें। पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉक्टर एस करूणा राजू ने बताया कि 22 दिन में 82 करोड़ की ड्रग्स पकड़ी जा चुकी है। इसमें करीब 74 करोड़ से ज्यादा का नशा और करीब साढ़े 7 करोड़ की शराब शामिल है। उन्होंने बताया कि नशे के खिलाफ लगातार काम किया जा रहा है। काफी मात्रा में कच्ची शराब भी पकड़ी गई है। नशे पर रोक लगाने के लिए आयोग की ओर से पूरी कोशिश की जा रही है। 

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इलाकों में निगरानी तेज कर दी गई: चुनाव आयोग
बॉर्डर से लेकर राज्यभर में सर्च अभियान भी चलाए जा रहे हैं। अर्धसैनिक बल और पुलिस की टीमों का गठन किया गया है।  इसके परिणाम भी सामने आ रहे है। किसी हालत में चुनाव में नशा नहीं चलने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मतदाता को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए। क्योंकि यदि वह सहयोग करें तो इस समस्या पर बहुत ही कारगर ढंग से काबू पाया जा सकता है। जहां तक शराब  बांटने के कोर्ड वर्ड की बात है तो इस पर भी ध्यान दिया जाएगा। शाम के वक्त ऐसे इलाकों की निगरानी तेज कर दी गई, जहां नशे की जानकारी मिल रही है।

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