पंजाब चुनाव: कांग्रेस के वीडियो ट्वीट से सियासी हलचल तेज, अबकी बार कौन होगा सीएम फेस?, शाम 7 बजे ऐलान संभव

पंजाब में 20 फरवरी को मतदान होना है और 10 मार्च को नतीजे आएंगे। नामांकन की एक फरवरी को आखिरी तारीख है। 4 फरवरी तक नाम वापस लिए जा सकते हैं। 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने 77 सीटें जीतकर राज्य में पूर्ण बहुमत हासिल किया था और 10 साल बाद शिअद-भाजपा सरकार को बाहर कर दिया।

Asianet News Hindi | Published : Feb 2, 2022 11:33 AM IST / Updated: Feb 02 2022, 05:04 PM IST

मनोज ठाकुर, चंडीगढ़। पंजाब में विधानसभा चुनाव हैं और कांग्रेस में सीएम फेस को लेकर अंदरुनी अदावत चल रही है। इस बार के चुनाव में सीएम फेस कौन? चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) या नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu)? हाल-फिलहाल में अब इन दो नामों की ही चर्चाएं तेज हैं। अंतिम निर्णय संगठन को करना है। कांग्रेस सूत्रों की मानें तो दोनों नेताओं के लिए आज का दिन अहम हो सकता है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस आज शाम 7 बजे तक पंजाब में सीएम फेस का ऐलान कर सकती है।

इधर, अपने सियासी जीवन में सबसे कड़ी चुनौती का सामना कर रहे प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के लिए आज का दिन काफी अहम हो सकता है। दरअसल, पार्टी की ओर से एक वीडियो ट्वीट किया गया। इसमें चन्नी और सिद्धू को केंद्र में रखा गया है। वीडियो में दोनों नेताओं के कॉमन शॉट हैं। तीन-तीन शॉट्स में चन्नी और सिद्धू को दिखाया गया। एक शॉट्स कॉमन है। पार्टी की ओर से ट्वीट में इशारा किया गया कि जुड़े रहें शाम 7 बजे तक। पार्टी के एक सीनियर लीडर ने Asianet News Hindi से बातचीत में स्वीकार किया कि आज सीएम फेस की घोषणा हो सकती है। 

नए साल से सिद्धू के सितारे में गर्दिश में?
नए साल से सिद्धू के सितारे थोडे़ गर्दिश में नजर आ रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से सिद्धू का उत्साह थोड़ा कम नजर आ रहा है। जब से उनके सामने अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया आए, तब से सिद्धू थोड़ा परेशान भी हैं। रिसर्च डेस्क (आरडीआइपी) के सीनियर  रिसर्चर वीरेंद्र भारत ने बताया कि जब से बिक्रम मजीठिया ने सिर्फ अमृतसर ईस्ट सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया, तब से सिद्धू परेशान हैं। उनकी पंजाब में चर्चा कम हो रही है। दूसरा, पिछले सप्ताह से चन्नी को जिस तरह से कांग्रेस में तवज्जो मिल रही है, इससे पंजाब के मतदाता यह मान बैठे हैं कि चन्नी ही कांग्रेस के सीएम फेस होंगे। यह सब बातें सिद्धू के खिलाफ जा रही हैं। 

छटपटाहट का नतीजा है वैष्णो माता के दरबार जाना?
यह बात पार्टी हाइकमान भी समझ रहा है। कहीं ना कहीं आज का वीडियो यह संदेश देने के लिए भी जारी किया गया कि पार्टी हाइकमान की प्राथमिकताओं में सिद्धू भी हैं। आज दिनभर के घटनाक्रम भी सिद्धू की असहजता दिखा रहे हैं। ऐसा लग रहा है सिद्धू दबाव बना रहे हैं। उनका अचानक से वैष्णो माता दरबार जाना भी इसी छटपटाहट का नतीजा है। वीरेंद्र भारत का मानना है कि सिद्धू को पता है कि सीएम चेहरा अब किसी भी वक्त घोषित हो सकता है। सिद्धू अब यह चाहते हैं कि या तो चुनाव उनके नाम पर लड़ा जाए या फिर चन्नी का नाम भी क्लियर कट सामने ना आए। बस, एक संशय-सा बना रहे, जिससे यह भ्रम बना रहे कि सिद्धू सीएम की रेस से बाहर नहीं हैं। 

अकाली दल की घेराबंदी में फंसे सिद्धू
यह इसलिए भी जरूरी है कि अब जिस तरह से अकाली दल ने सिद्धू की घेराबंदी करना शुरू की है, इससे वह फंसे गए हैं। मजीठिया से टक्कर सिद्धू तभी ले सकते हैं, जब उन्हें पूरी कांग्रेस का समर्थन मिले। इस मौके पर पंजाब में पार्टी की ओर से उठाया गया हर कदम सीधे तौर पर सिद्धू को प्रभावित करेगा। सिद्धू ने वैष्णो दरबार से एक ट्वीट भी किया- मैं सच की लड़ाई के लिए वैष्णो देवी की यात्रा पर हूं। माता वैष्णो पंजाब का भले करें। 

जाखड़ का बयान भी मायने रखता है 
यह भी संयोग है कि आज ही इलेक्शन कैंपेनिंग कमेटी के चेयरमैन सुनील जाखड़ का बयान सामने आया। उन्होंने कहा कि दो वोट वाले को सीएम बनाया गया। यह अन्याय था, अब आगे यह अन्याय नहीं होने देंगे। इससे यह भी समझा जा रहा है कि सुनील जाखड़ भी किसी ने किसी स्तर पर चन्नी के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन, सवाल यह है कि वह सिद्धू के पक्ष में भी खुलकर नहीं हैं। ऐसे में उनका यह बयान कांग्रेस के लिए परेशानी की बात हो सकती है। क्योंकि कांग्रेस में इससे तनाव और बढ़ सकता है, जो पार्टी के लिए किसी ना किसी स्तर पर नुकसान पहुंचा सकता है। चन्नी को आगे कर दलितों को साधने का कांग्रेस का दांव भी अब खाली जाता दिखाई दे रहा है। 

सिद्धू का मजबूत पक्ष, जो सीएम रेस में बनाए है
सिद्धू जट सिख वोट को कांग्रेस के साथ जोड़े रख सकते हैं। उनकी पंजाब में मजबूत छवि है। भीड़ जुटा सकते हैं। कैंपेन को एक नई दिशा दे सकते हैं। सीधी लड़ाई में यकीन रखते हैं। अकाली दल और आप पर मुखर तरीके से आक्रामक हो सकते हैं। इतनी आक्रमकता पंजाब कांग्रेस के दूसरे किसी नेता में नहीं है। यदि उन्हें सीएम चेहरा नहीं बनाया गया तो इससे कांग्रेस का भी नुकसान हो सकता है। मजीठिया के साथ अमृतसर ईस्ट से उनकी लड़ाई अपेक्षाकृत आसान हो सकती है। अगर चन्नी को सीएम फेस बनाया गया तो जट सिख वोट छिटक सकता है। प्रदेश में जट सिख 19 प्रतिशत है। जो पूरी तरह से अकाली दल की ओर जा सकता है। सिद्धू के होने से इस वोटर्स में सेंध लगाना संभव हो सकता है। 

दिक्कत क्या है सिद्धू के सीएम चेहरा घोषित होने में?
पार्टी में बगावत हो सकती है। क्योंकि कई नेताओं को सिद्धू का सीएम फेस घोषित करना रास नहीं आ रहा है। अकाली दल के साथ उनका व्यक्तिगत टकराव है। इसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। मजीठिया प्रकरण इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। अपनी बात पर अड़ जाते हैं। राजनीतिक दांवपेच में माहिर नहीं है। सीधे और स्पष्ट है। इससे जितने उनके प्रशंसक है, उतने ही विरोधी भी है। 

चन्नी क्यों होना चाहिए सीएम फेस?
दलित फेस हैं। 111 दिन के कार्यकाल में खुद को साबित किया। कांग्रेस चन्नी को दलित सीएम के तौर पर प्रचारित कर देशभर में इसका लाभ लेना चाह रही है। इसलिए चन्नी को आगे बढ़ाया जा रहा है। चन्नी पार्टी का सॉफ्ट चेहरा हैं, जो सभी को साध सकते हैं। उन्होंने प्रदेश में कांग्रेस को मजबूती दी है। मतदाता का विश्वास जीता है। कैप्टन के जाने के बाद जब पार्टी को संभालने की हरसंभव कोशिश की। पार्टी के प्रति सत्ता विरोधी लहर को कम किया। इस वजह से अब कांग्रेस सत्ता पंजाब में मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। वह अपने कार्यकाल में अपने काम गिनवा कर मतदाता को पार्टी के साथ जोड़ रहे हैं। 

कमजोरी क्या है चन्नी के सीएम फेस से 
दलितों का एक बड़ा तबका हमेशा ही कांग्रेस के साथ रहा है। इसलिए इस तर्क में ज्यादा दम नहीं कि चन्नी के होने से दलित कांग्रेस के साथ जुड़ेंगे। चन्नी मुखर नेता नहीं हैं। हमलावर विपक्ष का जवाब उसी तरह से नहीं दे सकते। पार्टी के अंदर विरोध हैं। सीनियर नेता स्वीकार नहीं कर सकते हैं। यदि चन्नी को सीएम चेहरा घोषित कर दिया तो सिद्धू की बगावत को पार्टी और चन्नी शायद सहन ना कर पाएं।

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