inside story: पंजाब में चुनाव, सिद्धू प्रचार छोड़ वैष्णो देवी पहुंचे, शांति की तलाश में या दे रहे कोई संदेश?

अपने मुखर बयानों और कड़े तेवरों की वजह से नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब की राजनीति में हमेशा ही चर्चा में रहे हैं। कांग्रेस में वह जो बोल देते थे, वही फाइनल हो जाता था। लेकिन जनवरी के बाद उनके सितारे गर्दिश में आते नजर आ रहे हैं।

अमृतसर। पंजाब की राजनीति में बुरी तरह से फंसे देखे जा रहे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot singh Sidhu, Sidhu) अचानक वैष्णो दरबार पहुंच गए। उन्होंने अमृतसर के अपने सारे कार्यक्रम बीच में छोड़ दिए हैं। कई जगह उनको चुनावी प्रचार करने पहुंचना था, जिसमें वह नहीं जा सके। फिर पता चला कि वह वैष्णो दरबार गए हैं। उनके नजदीकी सूत्रों ने दावा किया कि उनका वैष्णो देवी का कार्यक्रम पहले से तय था। यह एक दिन का कार्यक्रम है। वह शाम तक वापस आ जाएंगे। सिद्धू को नजदीक से जानने वाले बताते हैं कि इसकी कई वजह हैं। एक तो यह है कि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ऐन मौके पर ऐसा कुछ करते हैं, जो चर्चा का विषय बने। वह चर्चाओं में रहना चाहते हैं। कुछ समय से वह चर्चा से गायब से हो रहे हैं। 

दूसरी वजह यह है कि जब भी सिद्धू ऐसा कुछ करते हैं तो वह कुछ ना कुछ चाहते हैं। अपनी पार्टी तक अपनी नाराजगी जताने का उनका यह पुराना तरीका है। कांग्रेस ही नहीं, बीजेपी में भी वह ऐन मौके पर ऐसा कुछ कर देते थे, जिससे पार्टी सोचने पर मजबूर हो जाती थी। तीसरी वजह यह भी हो सकती है कि सिद्धू ज्योतिष में काफी यकीन रखते हैं। इसलिए भी वह वैष्णो दरबार में दर्शन करने पहुंचे हैं। क्योंकि अमृतसर पूर्व से वह चुनाव लड़ने जा रहे हैं और ये सीट सबसे हॉट बन गई है।

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यह भी एक फैक्ट...
कांग्रेस सूत्रों की मानें तो आज शाम तक पंजाब में पार्टी का सीएम चेहरा घोषित हो सकता है। यह भी एक वजह है कि नवजोत सिंह सिद्धू माता के दरबार में गए हैं। जब भी पार्टी के भीतर सिद्धू से संबंधित कोई निर्णय आता है, तब वह धार्मिक स्थल पर होते हैं। 

कड़ी चुनौती का सामना कर रहे सिद्धू 
अपने मुखर बयानों और कड़े तेवरों की वजह से नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब की राजनीति में हमेशा ही चर्चा में रहे हैं। कांग्रेस में वह जो बोल देते थे, वही फाइनल हो जाता था। लेकिन जनवरी के बाद उनके सितारे गर्दिश में आते नजर आ रहे हैं। उनकी कोशिश थी कि पार्टी सीएम उम्मीदवार उन्हें घोषित करे। लेकिन सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के काम की वजह से पार्टी यह जोखिम लेने से बचती रही। अब सिद्धू ने अकाली दल पर हमला बोलते हुए सीनियर लीडर बिक्रम मजीठिया को घेर लिया है। 

मजीठिया को चैलेंज किया तो मुकाबला आमने-सामने का हो गया
मजीठिया के खिलाफ ड्रग्स केस का मामला दर्ज होते ही सिद्धू ने इसे नशे के खिलाफ एक अभियान करार दिया। दिक्कत तब आनी शुरू हुई, जब मजीठिया सुप्रीम कोर्ट से जमानत ले जाए। मजीठिया ने इस बार सिद्धू के खिलाफ अमृतसर ईस्ट से नामांकन कर दिया। तब सिद्धू ने चैलेंज किया कि मजीठिया दो सीट पर क्यों लड़ रहे? यदि दम है तो मेरे खिलाफ अमृतसर ईस्ट से ही लड़ें, ना कि मजीठा से भी। इस चैलेंज को स्वीकार करते हुए मजीठिया ने मजीठा विधानसभा सीट छोड़ दी। 

चन्नी हो गए अचानक मजबूत
मजीठिया ने जोरदार हमला सिद्धू पर बोल दिया है। इस वजह से सिद्धू अमृतसर में फंस गए हैं। जानकारों का कहना है कि उन्हें निकलने का रास्ता नजर नहीं आ रहा है। रही सही कसर कांग्रेस ने पूरी कर दी। चन्नी को दो जगह से टिकट दे दिया। एक चमकौर साहिब से, दूसरा भदौड़ से। इस तरह से पंजाब में यह संदेश गया कि कांग्रेस चन्नी को सीएम फेस बना रही है। 

ऐसे फंसे गुरु, सारे दावे फेल हो गए 
इस सब से सिद्धू खुद को फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं। हालांकि चुनाव से पहले वह बार बार अपना पद छोड़ने की धमकी देते रहे हैं। एक बार उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष पद से भी रिजाइन कर दिया था। जिसे पार्टी ने अस्वीकार कर दिया। लेकिन इसके बाद सिद्धू की घेराबंदी कुछ इस तरह से हुई कि अब वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। 

सिद्धू का सियासी वजूद दांव पर लगा
अमृतसर के स्थानीय पत्रकार मुकेश कुमार शर्मा ने बताया कि सिद्धू को इस सीट पर पहली बार इतनी कड़ी चुनौती मिली है। मजीठिया का अमृतसर में प्रभाव है। कांग्रेस में जो घटनाक्रम चन्नी को लेकर चला, इससे सिद्धू की स्थिति कमजोर हुई है। अभी तक जो यह मानकर चल रहे थे कि सिद्धू ही कांग्रेस हैं, वह मिथक अब टूट रहा है। इस स्थिति में सिद्धू असहज हो रहे हैं। खासतौर पर तब, जब वह अपनी सीट पर अपने करियर की सबसे बड़ी चुनौती से दो चार हो रहे हैं। इस बार उनका अपना सियासी वजूद दांव पर लगा हुआ है। क्योंकि यदि यह सीट पर लूज कर जाते हैं तो उनका पूरा सियासी करियर ही खराब हो जाएगा।

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