पंजाब चुनाव: नवांशहर से अंगद सिंह सैनी निर्दलीय इलेक्शन लड़ेंगे, BJP में जाने की अटकलों को खारिज किया

नवांशहर से विधायक अंगद सिंह का परिवार राजनीति से लंबे समय से जुड़ा रहा है। अंगद के पिता प्रकाश सिंह के चाचा दिलबाग सिंह साल 1962 में पहली बार नवांशहर के विधायक बने थे। वे लगातार 6 बार नवांशहर के विधायक रहे।

नवांशहर। पंजाब की सियासत में मंगलवार को नया मोड़ आ गया। नवांशहर से सिटिंग विधायक अंगद सिंह सैनी को लेकर बड़ी खबर है। कांग्रेस से टिकट काटे जाने के बाद अंगद सिंह ने ऐलान किया है कि वे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नवांशहर से चुनाव लड़ेंगे। अंगद ने आज समर्थकों की बैठक बुलाई थी। इसमें सभी से बातचीत करने के बाद आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। 

बताते हैं कि समर्थक भी चाहते थे कि अंगद सिंह चुनाव लड़ें। हालांकि यह साफ कर दिया गया कि वह अब किसी दूसरी पार्टी को जॉइन नहीं करेंगे। पहले यह माना जा रहा था कि अंगद सिंह भाजपा में जा सकते हैं। लेकिन उन्होंने इन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नवांशहर से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। 

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पत्नी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गईं, इसलिए कटा अंगद का टिकट?
दरअसल, अंगद सिंह की पत्नी अदिति सिंह यूपी के रायबरेली से सिटिंग विधायक हैं। वे हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई हैं और इस बीजेपी के टिकट पर रायबरेली से चुनाव लड़ रही हैं। कहा जा रहा है कि अंगद की पत्नी के बागी होने की वजह से कांग्रेस हाइकमान नाराज चल रहा है। इसका खामियाजा अंगद सिंह को भुगतना पड़ा। इधर, अंगद सिंह को अब तक यही उम्मीद थी कि कांग्रेस की अंतिम लिस्ट में उनका नाम आ जाएगा, लेकिन अंत में उन्हें निराशा मिली। 

अंगद को मिल रहा स्थानीय लोगों का समर्थन
अब अंगद सिंह ने भी कांग्रेस से बगावत कर दी है। उन्हें यहां लोगों का अच्छा खासा समर्थन मिल रहा है। आज की सभा में भी अच्छी खासी भीड़ थी। बताया जा रहा है कि अंगद सिंह के निर्दलीय प्रत्याशी खड़ा होने से कांग्रेस के लिए समस्या पैदा हो सकती है। कांग्रेस ने अंगद सिंह की जगह इस बार नवांशहर से सतबीर सिंह सैनी को टिकट दिया है। जबकि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के बागी बल्लु पाठक को टिकट दिया है। अब अंगद के भी यहां आने से मुकाबला खासा रोचक बन गया है। 

गुटबाजी नहीं उबर पा रही कांग्रेस
जिस तरह से कांग्रेस के बागियों की संख्या बढ़ती जा रही है, उससे निश्चित ही पार्टी को दिक्कत आ सकती है। क्योंकि इससे पार्टी के कार्यकर्ता भी नाराज हैं। राजनीतिक समीक्षक वीरेंद्र भारत ने बताया कि अंगद सिंह का टिकट काटने की कोई वजह नहीं है। यह कांग्रेस की गुटबाजी का परिणाम है, जिससे पार्टी को नुकसान हो रहा है। गुटबाजी से पार्टी अभी भी उभर नहीं पा रही है। यदि जल्दी ही इस समस्या पर काबू नहीं पाया गया तो पार्टी के लिए आने वाले दिनों में मुश्किल और बढ़ सकती है। उन्होंने बताया कि नवांशहर में अंगद सिंह की अच्छी पकड़ है। वह कांग्रेस के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। इसका लाभ अकाली दल को मिल सकता है।

कौन हैं अंगद सिंह?
नवांशहर से विधायक अंगद सिंह का परिवार राजनीति से लंबे समय से जुड़ा रहा है। अंगद के पिता प्रकाश सिंह के चाचा दिलबाग सिंह साल 1962 में पहली बार नवांशहर के विधायक बने थे। वे लगातार 6 बार नवांशहर के विधायक रहे। उनके बाद साल 1997 में दिलबाग सिंह के बेटे चरणजीत सिंह विधायक बने। साल 2002 में अंगद के पिता प्रकाश सिंह नवांशहर से चुनाव जीते। 2012 में अंगद सिंह की माता गुरइकबाल कौर ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 2017 में अंगद सिंह को कांग्रेस ने नवांशहर से उम्मीदवार बनाया और पहले ही चुनाव में जीतकर विधानसभा पहुंचे। इससे पहले साल 2008 में अंगद नवांशहर यूथ कांग्रेस के महासचिव भी चुने गए थे। अंगद शिमला के बिशप काटन स्कूल और मोहाली के यादविंदरा पब्लिक स्कूल में पढ़े हैं।

जानिए अंगद की पत्नी अदिति के बारे में?
अदिति सिंह यूपी के रायबरेली से विधायक हैं। अदिति और अंगद ने 3 साल पहले ही शादी की थी। अंगद के पिता प्रकाश सिंह सैनी और अदिति के पिता अखिलेश सिंह करीब 20 साल दोस्त रहे हैं। अदिति सिंह के पिता कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते थे और बाहुबली के तौर पर भी उनकी पहचान थी। साल 2019 अगस्‍त में अदिति के पिता अखिलेश सिंह का निधन हुआ था। अखिलेश रायबरेली सदर सीट से 5 बार विधायक रह चुके थे। रायबरेली में उनकी अच्‍छी-खासी पैठ थी और गांधी परिवार से नजदीकियां भी थीं। अदिति सिंह ने विदेश से पढ़ाई की है। अदिति सिंह ने 2017 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता। उन्होंने पिता अखिलेश सिंह की राजनीतिक विरासत संभाली। अदिति के नाम यूपी विधानसभा की सबसे युवा सदस्य का रिकॉर्ड भी दर्ज है।

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