पंजाब में नई सरकार के सामने बिजली सब्सिडी चुकाने की चुनौती, जानें कितना करना होगा भुगतान?

बिजली सब्सिडी के लिए 31 मार्च तक सरकार को 8500 करोड़ रुपए का भुगतान पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (PSPCL) को करना है।  सब्सिडी की यह राशि नई सरकार को देनी होगी। सरकार अब तक 11,500 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है।

चंडीगढ़। पंजाब चुनाव में मुफ्त बिजली देने को लेकर लगभग सभी दलों ने एक से बढ़कर एक दावे किए। आम आदमी पार्टी जहां घरेलू उपयोग के लिए भी रियायती बिजली देने का वायदा करती रही, वहीं कांग्रेस और अकाली दल भी पीछे नहीं रहे। इन दावों के विपरीत सरकार गठित होते ही पहली चुनौती होगी बिजली सब्सिडी के 8,500 करोड़ रुपए चुकाने की। पंजाब में चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले कांग्रेस की चन्नी सरकार ने घरेलू सेक्टर को 3 रुपए प्रति यूनिट की दर से सस्ती बिजली देने की घोषणा की थी। 

बिजली सब्सिडी के लिए 31 मार्च तक सरकार को 8500 करोड़ रुपए का भुगतान पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (PSPCL) को करना है।  सब्सिडी की यह राशि नई सरकार को देनी होगी। सरकार अब तक 11,500 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है। इसके अलावा वर्ष 2022-2023 के दौरान पंजाब सरकार को सब्सिडी राशि समेत 4000 करोड़ रुपये की एक और बिजली सब्सिडी का भुगतान करना होगा। 

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बिजली सब्सिडी की राशि समय पर देना मुश्किल
पहले सालाना बिजली सब्सिडी 10,500 करोड़ रुपये थी, जो अब बढ़कर 14,500 रुपये हो जाएगी। हालांकि सरकार ने विधानसभा चुनाव को देखते हुए सस्ती बिजली देने की घोषणा की है, लेकिन पावरकॉम के लिए बिजली सब्सिडी की राशि समय पर देना मुश्किल है। हर बार पुरानी सरकार के खाते से बिजली सब्सिडी की राशि नई सरकार के खाते में आती है. इसके लिए नई सरकार को पावरकॉम का बकाया चुकाना होगा।

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वोट के लिए ऐसी घोषणाएं कर देते हैं राजनीतिक दल
राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर डॉक्टर हरपाल सिंह चीमा का मानना है कि वोट हासिल करने के लिए इस तरह की घोषणाओं से ना तो प्रदेश का भला होता, ना ही समाज का। सरकारों को चाहिए कि वह लोगों की आमदनी बढ़ाने की बात करे। इस तरह की योजनाएं लागू की जाएं जिससे लोगों के पास पैसा आए, ताकि वह बिजली बिलों समेत हर खर्च आसानी से वहन करें। मगर, राजनीति दलों का एजेंडा सिर्फ मतदाता का वोट हासिल करना है। इसके लिए वह इस तरह की घोषणाएं कर देते हैं। 

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घोषणाओं से बढ़ता है राजकोषीय घाटा, उठानी पड़ती मुश्किलें
चुनाव नजदीक देख कर बिजली की दर कम कर देना सही नहीं है। इससे प्रदेश का राजकोषीय घाटा बढ़ता है। अब यदि प्रदेश में दूसरी पार्टी की सरकार बनती है तो वह बिजली की सब्सिडी के कर्ज के लिए पिछली सरकार को कोसती रहेगी, लेकिन चुनाव के अंतिम दिनों में खुद भी सस्ती बिजली देना शुरू कर देते हैं। यह क्रम पंजाब में काफी समय से चल रहा है। अब इस पर रोक लगनी चाहिए। क्योंकि इससे किसी का भला नहीं हो रहा है।

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