पंजाब चुनाव : राधा स्वामी सत्संग प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों से मिले अमित शाह, जानिए क्या है सियासी मायने

शाह ने कहा कि आज राधा स्वामी ने डेरा प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों से सत्संग ब्यास में मुलाकात हुई। राधा स्वामी सत्संग ब्यास लगातार कई दशकों से समाज में आध्यात्मिक चेतना जगाकर मानवता और समाज सेवा के लिए कार्य कर रहा है। यह अपने आप में अद्भुत और प्रेरणादायी है। 

अमृतसर : पंजाब चुनाव (Punjab Chunav 2022) में डेरों की महत्ता काफी है, यही कारण है कि चुनाव नजदीकआते ही सियासी दलों की नजदीकियां बढ़ जाती हैं। बुधवार को पंजाब दौरे पर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) डेरा राधा स्वामी ब्यास पहुंचे। राधा स्वामी सत्संग के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों (Gurinder Singh Dhillo) से मुलाकात की। इस मुलाकात की एक तस्वीर भी केंद्रीय गृहमंत्री ने शेयर की है। शाह बुधवार को भारतीय जनता पार्टी, पंजाब लोक कांग्रेस और अकाली दल (संयुक्त) गठबंधन के उम्मीदवारों के पक्ष में चुनावी रैली को संबोधित करने फिरोजपुर पहुंचे। फिरोजपुर में रैली को संबोधित करने के बाद अमित शाह डेरा ब्यास पहुंचे।

शाह ने कहा यह अद्भुत-प्रेरणादायी
इस मुलाकात के बाद अमित शाह ने तस्वीर शेयर करते हुए कहा आज राधा स्वामी ने डेरा प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों से सत्संग ब्यास में मुलाकात हुई। राधा स्वामी सत्संग ब्यास लगातार कई दशकों से समाज में आध्यात्मिक चेतना जगाकर मानवता और समाज सेवा के लिए कार्य कर रहा है। यह अपने आप में अद्भुत और प्रेरणादायी है। 

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पीएम ने भी की थी मुलाकात

बता दें कि इससे पहले रविवार को नई दिल्ली में पंजाब के ब्यास स्थित राधा स्वामी सत्संग डेरा के मुखी बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों से पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने मुलाकात की थी। पीएम ने यह मुलाकात पंजाब में रैली से एक दिन पहले की थी। जिसके बाद सियासी गलियारों में इसकी खूब चर्चा हुई थी।

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क्या है सियासी मायने

इस मुलाकात के कई सियासी मायने भी हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ बताते हैं कि पंजाब में राधा स्वामी डेरे का मजबूत आधार है। पंजाब के अलावा दूसरे कई राज्यों में भी डेरे के अनुयायी हैं। डेरा ब्यास के अनुयायी कई सीटों पर चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की ताकत रखते हैं। साल 1891 में बाबा जैमल सिंह ने डेरा ब्यास की स्थापना की थी। डेरा जमीनी स्तर पर जुड़ा है और अभी तक सियासत से दूर रहा है। डेरे ने खुले तौर पर कभी राजनीति की बात नहीं होती और न घोषणाएं होती हैं। सियासी मजबूती ही कारण है कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) भी सीएम बनने के बाद दो बार डेरा ब्यास जा चुके हैं। अकाली नेता बिक्रम मजीठिया का भी यहां आना-जाना लगा रहता है।

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