
लखनऊ: यूपी में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha Election 2022) को लेकर केन्द्रीय चुनाव आयोग (Election Commission) ने कुल 257 प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है। आयोग ने पिछले लोकसभा व विधानसभा चुनाव में इन लोगों द्वारा चुनाव लड़ने और परिणाम आने के एक महीने बाद समय से और सही ढंग से अपने चुनावी खर्च का ब्यौरा आयोग को नहीं दिया। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार इन 257 लोगों में से 34 लोग 2019 का लोकसभा का चुनाव लड़े थे,बाकी 213 लोग 2017 में विधान सभा चुनाव के प्रत्याशी थे।
नहीं दिया था चुनावी खर्च की ब्यौरा
हालांकि इन 257 लोगों में सर्वाधिक संख्या निर्दलीय उम्मीदवारों की ही हैं। लेकिन कुछ प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने भी पिछले विधान सभा चुनाव के परिणाम आने के बाद अपने चुनावी खर्च का ब्यौरा आयोग को समुचित ढंग से नहीं दिया या बिल्कुल नहीं दिया। इन प्रमुख दलों में सर्वाधिक 12 उम्मीदवार राष्ट्रीय लोकदल के थे। इसके बाद छह उम्मीदवार पीस पार्टी के, पांच एनसीपी के, चार-चार उम्मीदवार सीपीआई और बसपा के थे। जबकि एआईएमआईएम के दो व निषाद पार्टी के दो उम्मीदवार थे। सीपीआईएमएल के भी दो उम्मीदार थे। कांग्रेस पार्टी के भी एक उम्मीदवार को चुनाव खर्च का विवरण न जमा किये जाने पर आयोग्य घोषित किया गया है। इन सभी को एक साल के लिए चुनाव लड़ने से रोका गया है यह अवधि अगले साल फरवरी-मार्च में होने वाले विधान सभा चुनाव के बाद ही खत्म होगी।
मगर इस बार के चुनाव में आयोग ने प्रत्याशियों के चुनाव खर्च की रोजाना मानीटरिंग किये जाने के लिए चुनाव खर्च पर्यवेक्षक के साथ ही आयकर विभाग के अधिकारियों के विशेष जांच दल भी सक्रिय किये जाने की व्यवस्था की है। मतदाताओं को वोट के बदले नोट और शराब के प्रलोभन आदि दिये जाने की भी सख्त निगरानी की जाएगी।
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