अखिलेश की 'शागिर्द' ने PM मोदी को दिखाया था काला झंडा, अब सुल्तानपुर में करेंगी प्रियंका का बेड़ा पार?

Published : Dec 18, 2021, 07:31 PM ISTUpdated : Dec 18, 2021, 07:34 PM IST
अखिलेश की 'शागिर्द' ने PM मोदी को दिखाया था काला झंडा, अब सुल्तानपुर में करेंगी प्रियंका का बेड़ा पार?

सार

अखिलेश यादव को सुलतानपुर से बड़ा झटका लगा है, वो भी अमेठी की राजनैतिक भूमि से। वो ऐसे कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर लोकार्पण करने पहुंचे पीएम मोदी की सुरक्षा को भेदकर उन्हें काला झंडा दिखाने वाली सपा नेत्री रीता यादव ने आज साइकिल की सवारी छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। समाजवादी पार्टी में अब महिलाओं का सम्मान रहा नहीं।   

अमेठी: सपा प्रमुख अखिलेश यादव कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Soniya Gandhi) के संसदीय क्षेत्र में रथ यात्रा लेकर पहुंचे हैं। आज उनका दूसरे दिन का दौरा है। इस बीच अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को सुलतानपुर से बड़ा झटका लगा है, वो भी अमेठी की राजनैतिक भूमि से। वो ऐसे कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर लोकार्पण करने पहुंचे पीएम मोदी की सुरक्षा को भेदकर उन्हें काला झंडा दिखाने वाली सपा नेत्री रीता यादव ने आज साइकिल की सवारी छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। समाजवादी पार्टी में अब महिलाओं का सम्मान रहा नहीं। 

सपा में अपमान महसूस होने के बाद कांग्रेस रीता में आईं

रीता यादव ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री की जनसभा में मौत के कुएं में कूदकर झंडा दिखाने का काम किया था। सात साल से हम संघर्ष कर रहे हैं। 16 नवंबर को हमारी गिरफ्तारी हुई, 17 नवंबर को अखिलेश यादव सुलतानपुर आए थे और उन्होंने हमारा नाम तक नहीं लिया। हम इंतजार करते रहे राष्ट्रीय अध्यक्ष हमें जरुर बुलाएंगे, पट्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष आए हमने लेटर भिजवाया लेकिन उन्होने हमारा नाम तक नहीं लिया। इसी वजह से हमने समाजवादी पार्टी को छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन किया है। सुलतानपुर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अभिषेक राणा ने प्रियंका गांधी को हमारे बारे में बताया, उन्होंने लखनऊ में हमें बुलाकर सम्मान दिया। अब सबको बढ़ाने का काम मैं करूंगी।

बता दें कि रीता यादव ने पीएम की सुरक्षा व्यवस्था में लगी जिला पुलिस और केंद्रीय फोर्स के अभेद्य सुरक्षा कवच को भेदकर मंच के पास पहुंचकर और पीएम को काला झंडा दिखाते हुए योगी-मोदी मुर्दाबाद के नारे लगा डाले थे। इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेजा था। दो दिन बाद वो जेल से रिहा हुई थीं। हैरत की बात यह है कि रीता के इस कदम के उठाने के बाद ठीक दूसरे दिन अखिलेश यादव भी सुलतानपुर के अरवल कीरी पहुंचे थे लेकिन न उन्होंने उनका नाम लिया न ही सपाइयों ने उनकी मदद की थी।

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