अयोध्या को त्रेता युग के अनुरूप गढ़ने की योजना तैयार हो रही है। रामायण कालीन प्रसंगों के अनुसार मूर्तियों और सुंदर दृश्य सजाए जाने के साथ ही इसे पर्यटन के अनुरूप विकसित करने का भी प्लान है। त्रेता युगीन अयोध्या में 6 द्वार होंगे।
अनुराग शुक्ला
अयोध्या. मंदिर निर्माण के साथ अयोध्या को त्रेता युग के अनुरूप गढ़ने की योजना बन चुकी है। केंद्र व प्रदेश सरकार की मंसा थी, कि सरयू तट से ही शहर का आधुनिकतम स्वरूप रामायण संस्कृत के अनुरूप दिखे। इसी के चलते पुरातन संस्कृति को मूर्त रूप देने का खाका खींचा गया। सहादतगंज हाईवे से नया घाट के दोनों तरफ रामायण कालीन प्रसंगों की मूर्तियों व सुंदर दृश्य से सजाए जाने की योजना है। हाइवे से सटे माझाबरहटा क्षेत्र को पर्यटन के अनुरूप विकसित करने का प्लान है। इसी के समानांतर शाहनवाज व तिहुरा ग्राम सभा को मिलाकर 1100 एकड़ क्षेत्रफल में नव्य अयोध्या का प्रस्ताव है। जिसमें विभिन्न प्रदेशों के अलावा विभिन्न देशों के भी सांस्कृतिक केंद्र यहां स्थापित होंगे। हाइवे से सटे अंतररष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में नया म्यूजियम तैयार हो रहा है। सरयू तट पर भजन संध्या स्थल का निर्माण पूरा हो चुका है। वहीं राम की पैड़ी की रीमॉडलिंग करवाकर अनवरत जल प्रवाह की योजना को मूर्त रूप दे दिया गया है। राम मंदिर पहुंचने के लिए एनएच 27 से मुहवरा बाजार होते हुए कॉरीडोर के रूप में फुट ओवर ब्रिज के निर्माण का शिलान्यास व भूमिपूजन हो चुका है।
अयोध्या में प्रवेश के होंगे 6 प्रवेश द्वार ,परिसर को रामायण कालीन बनाने की तैयारी
राम मंदिर का निर्माण शुरू होते ही उसे विश्व का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल बनाने की योजना पर काम शुरू है। पूरे परिसर में रामायण कालीन ढांचे का पूरा एहसास कराने की तैयारी है। त्रेता युग की अयोध्या को पुनर्जीवित करने की योजना श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बनाई है। मंदिर परिसर में घुसने के बाद भगवान श्री राम के समय की पौराणिकता का एहसास हो इसके लिए ट्रस्ट ने पूरी भूमि का सर्वे कर अतिऐतिहासिक और प्राचीन संदर्भ को प्रदर्शित करने वाले 11 स्थान चिन्हित किए हैं। जिसका ब्लूप्रिंट ट्रस्ट ने बनाकर मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा को भेज दिया है। नगर में प्रवेश करने के लिए 6 द्वार निश्चित किए गए हैं। परिसर के अंदर रामायण कालीन संग्रहालय अत्याधुनिक सुविधा युक्त यात्री विश्रामालय व पुस्तकालय सहित सीता रसोई ,यज्ञशाला ,गौशाला व सत्संग सभागार का भी निर्माण कराया जाएगा। राम मंदिर निर्माण का क्षेत्रफल बढ़ने के कारण पूरे परिसर के क्षेत्रफल को 108 एकड़ तक विस्तार करने की योजना है।