CM योगी बोले- PM मोदी ने असंभव को किया संभव, 7 दिसंबर को पूर्वी यूपी का सपना होगा साकार

रविवार को मुख्यमंत्री गोरखनाथ मंदिर के तिलक हाल में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी सात दिसम्बर को पूर्वी यूपी के लिए सपना बन चुके तीन बड़े प्रोजेक्ट का उद्घाटन करने जा रहे हैं। यह सपने को साकार होते हुए 5 करोड़ की जनता देख रही है,जिसे पिछली सरकारों ने अपनी नाकामियों की वजह से नकार दिया था

गोरखपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के गोरखपुर दौरे को लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) नें जानकारी दी। उन्होने कहा कि सात दिसंबर को पूरी दुनिया देखेगी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वी यूपी के उस सपने को कैसे साकार किया, जिसकी उम्मीद यहां के लोग चार दशक से लगाए बैठे थे। साथ ही कहा कि जो काम विपक्ष के लिए नामुमकिन था, उसे मोदी ने मुमकिन कर दिखाया है। जिसे वो लोग असंभव कहते थे, वो सब आज संभव है।

पीएम 3 बड़े प्रोजेक्ट का उद्घाटन

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों सात दिसंबर को गोरखपुर खाद कारखाना, एम्स और आरएमआरसी के नौ लैब के लोकार्पण समारोह से पहले रविवार को मुख्यमंत्री गोरखनाथ मंदिर के तिलक हाल में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी सात दिसम्बर को पूर्वी यूपी के लिए सपना बन चुके तीन बड़े प्रोजेक्ट का उद्घाटन करने जा रहे हैं। यह सपने को साकार होते हुए 5 करोड़ की जनता देख रही है,जिसे पिछली सरकारों ने अपनी नाकामियों की वजह से नकार दिया था। साल 90 में यह खाद कारखाना बन्द हो गया था, 26 सालों तक सिर्फ आश्वासन दिए गए और इसकी वजह से किसान प्रभावित हुआ था और गोरखपुर के साथ पूर्वी यूपी के विकास पर असर पड़ा। अब यह सपना साकार हो चुका है। साल 2016 में मोदीजी ने इसका शिलान्यास किया। सात दिसम्बर को हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड कारखाना राष्ट्र को समर्पित होगा। 12 लाख टन यूरिया का यहां उत्पादन होगा।

योगी ने कहा कि बाढ़ और बीमारी के लिए जाने जाने वाले पूर्वी यूपी को लेकर पिछली सरकारों में संवेदना नही थी। इंसेफ्लाइटिस से 40 सालों में 50 हजार बच्चे यहां मौत के शिकार हुए। 2016 में मोदीजी ने गोरखपुर को एम्स दिया जो अब बनकर तैयार है। देश दुनिया में एम्स एक ब्रांड है जिसका उद्घाटन मोदीजी सात दिसम्बर को करेंगे। गोरखपुर में लैब न होने की वजह से 1977 में जाकर इंसेफ्लाइटिस का पता चल सका। यह जांच भी गोरखपुर के किसी लैब से नही बल्कि पुणे के लैब में हुई।

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