पहली भोजपुरी फिल्म के लिए ऐसी थी दीवानगी, देश के पहले राष्ट्रपति ने बिना ब्रेक देखी पूरी फिल्म
एंटरटेनमेंट डेस्क । 16 जुलाई को लखनऊ में सीएसपी फूड्स प्रेजेंट्स और फिलामची भोजपुरी ने फिल्मफेयर और फेमिना भोजपुरी आइकॉन के लिए सह-मेजबानी की है । इसके साथ भोजपुरी इंडस्ट्री के शुरू होने को लेकर लोगों की जिज्ञासा बढ़ गई है।
Rupesh Sahu | Published : Jul 21, 2023 9:57 AM IST / Updated: Jul 21 2023, 04:58 PM IST
भोजपुरी इंडस्ट्री बहुत तेज़ी से अपना दायरा बढ़ा रही है। पवन सिंह, खेसारी लाल यादव, अक्षरा सिंह, मोनालिसा जैसे एक्टर को पूरे देश में पहचान मिल चुकी है।
भोजपुरी इंडस्ट्री तेज़ी से अपना दायरा बढ़ा रही है । अब भोजपुरी भाषा के कई चैनल आ गए हैं। जिनमें 24 घंटे क्षेत्रीय भाषा की फिल्में दिखाई जाती है।
ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी भोजपुरी ( रीज़नल लैंग्वेज) की कई वेब सीरीज़ धूम मचा रही हैं । इस बीच भोजपुरी की पहली फिल्म को लेकर लोगों की जिज्ञासा बढ़ गई है।
भोजपुरी इंडस्ट्री की पहली फिल्म का नाम गंगा मइया तोहे पियरी चढइबो है। ये मूवी सुपहहिट रही थी । 22 फरवरी 1963 को यह फिल्म पटना के वीणा टाकीज में रिलीज़ की गई थी । इस मूवी को लेकर इतना जुनून था कि लोग टॉकीज के बाहर ही डेरा जमाए रहते थे । सैकड़ों किलमीटर दूर से आए लोगों को यदि एक दिन टिकट नहीं मिलती थी तो दूसरे दिना का इंतज़ार वही टेंट बनाकर करते थे। सड़कों पर बैलगाड़ियों की लम्बी कतारें लग जाया करती थी
पहली स्क्रीनिंग में ही इस मूवी ने जता दिया था कि इस इंडस्ट्री का सुनहरा भविष्य है। गंगा मइया तोहे पियरी चढइबो की पहली स्क्रीनिंग सदाकत आश्रम में रखी गई थी, देश के प्रथम राष्ट्रपति ने ये पूरी फिल्म देखी थी ।
गंगा मइया तोहे पियरी चढइबो विधवा पुनर्विवाह पर बेस्ड यह फिल्म वर्ष 1963 में रिलीज़ हुई थी । इसका डायरेक्शन कुंदन कुमार ने किया था । इस मूवी में कुमकुम, असीम कुमार और नजीर हुसैन ने लीड कैरेक्टर निभाया था।
मूवी का एक गाना लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी ने गाया था । हिंदी फिल्मों के फेमस गीतकार शैलेंद्र ने इस मूवी के गीत लिखे थे। म्यूजिक चित्रगुप्त का था ।
भोजपुरी में फिल्म बनाने का आइडिया एक्ट्रेस नरगिस की मां जद्दनवाई का था। ये बात उन्होंने बॉलीवुड के फेमस विलेन कन्हैयालाल से की थी । इसके बाद कन्हैया लाल ने हिन्दी फिल्मों के चरित्र अभिनेता नजीर हुसैन को इसके लिए इंस्पायर किया था ।
इसके बाद फिल्म पर काम शुरू हुआ । वहीं नाजिर हुसैन ने साल 1950 में एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद से इस बारे में बात की थी, राजेंद्र प्रसाद बिहार से आते थे, उन्हें ये बात जंच गई। इसके बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि भोजपुरी में फिल्म जरुर बनाई जाना चाहिए ।