इसके बाद फिल्म पर काम शुरू हुआ । वहीं नाजिर हुसैन ने साल 1950 में एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद से इस बारे में बात की थी, राजेंद्र प्रसाद बिहार से आते थे, उन्हें ये बात जंच गई। इसके बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि भोजपुरी में फिल्म जरुर बनाई जाना चाहिए ।