बड़े पिता की एक सीख और सक्सेज होते चले गए आमिर खान, खुद एक्टर ने बताया वो किस्सा

Published : Sep 04, 2025, 01:04 PM IST
 Aamir Khan

सार

आमिर खान को बड़े पापा नासिर हुसैन से सीख मिली—कहानी हो या फिल्म, उसका कॉन्सेप्ट एक लाइन में होना चाहिए। दंगल, तारे जमीन पर, सितारे जमीन पर की सक्सेस इस नसीहत पर मुहर लगाती है।  

Nasir Hussain taught Aamir Khan a lesson: आमिर खान अपनी फिल्मों में कॉन्सेप्ट की क्लियरिटी के लिए जाने जाते हैं। उनकी फिल्में मूल विषय से भटकती नहीं हैं। दरअसल कहानी को एक लाइन में कह देने की सीख उन्हें अपने बड़े पिता और फेमस मेकर नासिर हुसैन से मिली थी। आमिर करियर के शुरुआती दौर में नासिर को असिस्ट करते थे, वे हमेशा कहते थे, "अपनी स्टोरी को केवल एक लाइन में बयां करिए"। उनका मानना था कि किसी भी फिल्म की कहानी का कॉन्सेप्ट एकदम क्लियर होना चाहिए।

आमिर ने हाल ही में लल्लन टॉप के साथ एक इंटरव्यू में बताया है कि चाहे कितनी भी बड़ी फिल्म हो, उसका सब्जेक्ट मूल विचार कभी भटकना नहीं चाहिए; वह जितने सिंपल तरीके से कहा जाएगा, उतना ही प्रभावशाली होगा। जब आमिर खान खुद फिल्म निर्माण के क्षेत्र में आए तो अपने अंकल नासिर को बात को भूले नहीं। हालांकि पहले वो मानते थे कि कोई राइटर पूरे दिन में अपनी कहानी सुनाता है, अब उसे एक लाइन में कैसे बताया जा सकता है। लेकिन जब वे थोड़ा मैच्योर हुए तो उन्हें समझ आया कि आप अपने दर्शकों को क्या दिखाना चाहते हैं। इसकी लाइन आपके दिमाग में एकदम साफ होना चाहिए।

आमिर खान एक्टिंग में कहानी की स्पष्टता को बेहद महत्व देते हैं। वे कई बार पटकथा को पढ़ते हैं. अपने को-एक्टर्स को साथ में रखकर कहानी सुनना पसंद करते हैं। ताकि सभी को सभी के किरदार और उसकी सोच पूरी तरह समझ सकें। आमिर के मुताबिक, क्लियर प्रिमिस (मूल उद्देश्य) पहले ही पार्ट में आ जाना चाहिए, दर्शकों को बांधे रखना है तो उसे पहले ही कॉन्सेप्ट कर दीजिए। उनके इस सोच ने उन्हें परफेक्शनिस्ट बना दिया और अब उनकी हर फिल्म में गहराई दिखाई देती है।

उनके प्रोडक्शन की फिल्मों में ये खासियत साफ दिखाई देती है। आमिर खान प्रोडक्शंस की पहली फिल्म 'लगान' (2001) थी, जिसे ऑस्कर में नॉमिनेशन मिला था। इसके बाद 'तारे ज़मीन पर' (2007), जिसमें बच्चों की एजुकेशन सिस्टम और इमोशन की कहानी एक इफेक्टिव लाइन में समेटा गया थी। 'दंगल' (2016) में भी बेटियों के लिए सीधी, सपाट और सशक्त कहानी दिखाई गई। 'दिल चाहता है', 'रंग दे बसंती', 'सत्यमेव जयते' जैसे प्रोजेक्ट्स भी अपने विषयों पर डटे रहे। ये उनकी सफलता की सबसे अहम कड़ी है।

 

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