धर्मेंद्र की आखिरी फिल्म 'इक्कीस' की रिलीज को कुछ ही दिन शेष बचे है। इस बीच 89 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए धर्मेंद्र का आखिरी इंटरव्यू सामने आया है, जिसमें उन्होंने बच्चन फैमिली के बारे में बात की थी। जानिए धरम जी ने क्या कुछ कहा था.…
बॉलीवुड हंगामा की रिपोर्ट के मुताबिक़, मौत से कुछ महीने पहले धर्मेंद्र ने सुभाष के. झा से बातचीत में 'इक्कीस' की शूटिंग से जुड़ा अनुभव शेयर किया था। उन्होंने कहा था, "यह मेरे लिए बहुत ही इमोशनल अनुभव है। 'इक्कीस' करना मेरा अपने तरीके से से भारतीय सशत्र बालों को आदरांजलि देना है। मैंने रामानंद सागर की फिल्म 'ललकार' में सालों पहले सिपाही का रोल निभाया था। मुझे इस वर्दी में खुद पर बहुत गर्व हुआ था।"
'इक्कीस' में धर्मेंद्र ने अमिताभ बच्चन के नाती अगस्त्य नंदा के पिता की भूमिका निभाई है। उन्होंने अगस्त्य की तारीफ़ करते हुए कहा था, "वह बहुत प्यारा बच्चा है और बहुत ही टैलेंटेड है। बिलकुल अपने नाना-नानी जैसा है। मुझे ऐसा लगा जैसे वह मेरा ही नाती है।"
34
धर्मेंद्र ने बच्चन फैमिली के बारे में क्या कुछ कहा था?
इसी इंटरव्यू में धर्मेंद्र ने बच्चन फैमिली के बारे में कहा था, "बच्चन परिवार के साथ मेरे ताल्लुकात बहुत पुराने हैं। मैंने अगस्त्य के नाना-नानी अमिताभ बच्चन और जया बच्चन के साथ काम किया है। दोनों ही मुझसे बहुत प्यार करते हैं। असल में जया तो कहती हैं कि वे मेरी फैन हैं। जया ईशा (धर्मेंद्र-हेमा मालिनी की बेटी) को बहुत पसंद करती हैं। मुझे अभिषेक के साथ काम करने का मौका नहीं मिला। लेकिन वह बहुत ही संस्कारों वाला लड़का है। अब मैं अगस्त्य के साथ उसकी पहली फिल्म में काम कर रहा हूं।" इस पर इंटरव्यू लेने वाले ने बताया कि अगस्त्य पहले एक फिल्म (द आर्चीज) कर चुके हैं तो धरम जी हैरान रह गए और बोले, "उसने की है? मुझे नहीं पता था।"
धर्मेंद्र ने श्रीराम राघवन के बारे में क्या कहा था?
धर्मेंद्र ने इस इंटरव्यू में 'इक्कीस' के डायरेक्टर श्रीराम राघवन की तारीफ़ की और कहा, "मैंने उनके साथ 'जॉनी गद्दार' में काम किया था और अब 'इक्कीस' कर रहा हूं। वे बहुत ही टैलेंटेड डायरेक्टर हैं। वे जानते हैं कि वे क्या कर रहे हैं।" बता दें कि 1 जनवरी 2026 को रिलीज होने जा रही 'इक्कीस' 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के हीरो सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल की जिंदगी पर आधारित वॉर ड्रामा फिल्म है, जिन्होंने 21 की उम्र में देश सेवा में अपनी जान कुर्बान कर दी थी। मरणोपरांत उन्हें सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।