अमिताभ बच्चन की वजह से दिलजीत दोसांझ को मिली खालिस्तानी पन्नू से धमकी, जानें क्या है पूरा मामला?

Published : Oct 29, 2025, 10:54 AM ISTUpdated : Oct 29, 2025, 10:57 AM IST
दिलजीत दोसांझ

सार

पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ को खालिस्तानी ग्रुप सिख फॉर जस्टिस (SFJ) से धमकी मिली है। उन्हें 1 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया में होने वाले अपने शो को रद्द करने के लिए कहा गया है। यह धमकी अमिताभ बच्चन के पैर छूने के कारण दी गई है।

पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ को 29 अक्टूबर को धमकी मिली है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया में 1 नवंबर को होने वाले उनके शो को बंद करने की बात कही गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके पीछे खालिस्तानी आतंकवादी ग्रूप सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) शामिल हैं। दिलजीत को अमिताभ बच्चन के पैर छूने की वजह से धमकी मिली है। एसएफजे प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कहा कि दोसांझ ने बॉलीवुड आइकन अमिताभ बच्चन के पैर छूकर ‘1984 के सिख नरसंहार के हर पीड़ित, हर विधवा और हर अनाथ का अपमान किया है।’

क्या है पूरा मामला?

दिलजीत दोसांझ 'कौन बनेगा करोड़पति' में स्पेशल गेस्ट बनकर शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने अमिताभ बच्चन के पैर छुए थे। शो का वो एपिसोड जिसमें दोसांझ भी शामिल होंगे, 31 अक्टूबर को प्रसारित होगा। वहीं अब एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, एसएफजे ने एक बयान में कहा कि पंजाबी एक्टर और सिंगर दिलजीत ने अमिताभ के पैर छूकर दिल्ली में 1984 के सिख विरोधी दंगों के हर पीड़ित का अपमान किया है। एसएफजे ने आरोप लगाया कि अमिताभ बच्चन ने 'खून का बदला खून' नरसंहार का नारा लगाकर भीड़ को उकसाया था। खालिस्तानी संगठन के अनुसार, अमिताभ के 'खून का बदला खून' के नारे ने हिंसा भड़का दी थी, जिसमें पूरे भारत में 30,000 से ज्यादा सिख पुरुष, महिलाएं और बच्चे मारे गए थे।

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खालिस्तानियों को क्यों आया गुस्सा?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पन्नू ने कहा, 'जिस व्यक्ति के शब्दों ने नरसंहार को जन्म दिया, उसके पैर छूकर दिलजीत दोसांझ ने 1984 के सिख नरसंहार के प्रत्येक पीड़ित, प्रत्येक विधवा और प्रत्येक अनाथ का अपमान किया है।' हालांकि, दिलजीत ने अभी तक एसएफजे की धमकी पर कोई बयान जारी नहीं किया है। आपको बता दें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या 31 अक्टूबर, 1984 को हुई थी और उसी साल 1 नवंबर को सिख विरोधी दंगे शुरू हुए थे। अमृतसर स्थित अकाल तख्त साहिब ने 1 नवंबर को सिख नरसंहार स्मृति दिवस ​​घोषित किया था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद दिल्ली में लगभग 2,800 और पूरे भारत में 3,300 से ज्यादा सिख मारे गए थे।

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