बॉलीवुड के खूंखार विलेन में एक सदाशिव अमरापुरकर को गुजरे 11 साल पूरे हो गए हैं। उनका निधन 2014 को मुंबई में हुआ था। बॉलीवुड के साथ मराठी फिल्मों में काम करने वाले सदाशिव ने कुछ फिल्मों में कॉमेडी भी की। आपको उनके कुछ खास डायलॉग्स बताने जा रहे हैं।
मेरे आदमी दौलत खाते हैं, दौलत पीते हैं, दौलत जीते हैं, दौलत सोते हैं। (फिल्म एलान-ए-जंग 1989 में रिलीज हुई थी।)
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फिल्म आंखें
ईमानदारी कितनी भी बेवकूफ हो... आख़िर एक दिन उसकी तरक्की जरूर होती है और बेईमानी कितनी भी चालाक हो, एक दिन उसे जेल में जरूर जाना पड़ता है। (फिल्म आंखें 1993 में रिलीज हुई थी।)
तुमने समुंदर को ललकारा है... अब ऐसा तूफान आएगा, ऐसा सैलाब उठेगा कि तुम्हारा इश्क, जिसका जिक्र तुम्हें बहुत नाज है तिनके की तरह बह जाएगा, तबाह हो जाएगा, फना हो जाएगा। (फिल्म इश्क 1997 में रिलीज हुई थी।)
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फिल्म आंखें
कुर्बानी देगा कौन? - देगा कौन, देगा कौन, देगा कौन क्या... कमीने तू देगा कुर्बानी! (फिल्म आंखें 1993 में आई थी।)
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फिल्म मोहरा
बकरा खुद कसाई के घर के सामने जाकर कथक करने लगा तो उसे कौन बचा सकता है? फिल्म मोहरा 1994 में रिलीज हुई थी।)
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फिल्म इश्क
जब बाजी डुक्की और टिक्की से जीती जा सकती है तो उसके लिए इक्का निकालने की क्या जरूरत है। (फिल्म इश्क 1997 में रिलीज हुई थी।)
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फिल्म वीरू दादा
मेरे बाप ने मेरा नाम गुलानंद ऐसी ही नहीं रखा, जो लोग मेरे साथ आनंद से पेश आते हैं, उन्हें मैं गुलाब की खुशबू देता हूं और जो लोग मेरे साथ क्रोध से पेश आते हैं उन्हें मैं गुलाब के कांटों की तरह चुभने पर मजबूर हो जाता हूं। (फिल्म वीरू दादा 1990 में आई थी।)
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फिल्म आखिरी रास्ता
तुम क्या समझती हो कृष्ण भगवान तुम्हें बचाने आएंगे, वो महाभारत में आए थे, इस भारत में नहीं आएंगे। (फिल्म आखिरी रास्ता 1986 में रिलीज हुई थी।)