Sikandar Review: सलमान खान और रश्मिका मंदाना की फिल्म सिकंदर रविवार को रिलीज हुई। फिल्म का रिव्यू सामने आ गया है और बताया जा रहा है कि मूवी बेदम है।
Salman Khan Sikandar Review: सलमान खान और रश्मिका मंदाना की मोस्ट अवेटेड फिल्म सिकंदर रविवार को दुनियाभर के सिनेमाघरों में रिलीज हुई। सलमान की फिल्म को साउथ के जानेमाने डायरेक्टर एआर मुरुगदास ने निर्देशित किया है। हालांकि, फिल्म की कहानी, स्टार कास्ट की एक्टिंग में जरा भी दम नजर नहीं आ रहा है। वहीं, फिल्म में कई खामियां भी है, जिन्हें बेहतर एडिटिंग के साथ सुधारा जा सकता था। बता दें कि प्रोड्यूसर साजिद नाडियाडवाला की फिल्म सिकंदर का बजट 200 करोड़ है और इनमें कट्टपा के नाम से फेमस सत्यराज ने विलेन का रोल प्ले किया है।
फिल्म सिकंदर की कहानी राजकोट के राजा संजय राजकोट के ईद-गिर्द घूमती है, जिसका रोल सलमान खान प्ले कर रहे हैं। उन्हें राजकोट की जनता भगवान मानती है और उन्हें पूजती है। फिल्म की शुरुआत में मिनिस्टर के बेटे अर्जुन (प्रतीक बब्बर) को फ्लाइट में एक महिला के साथ गलत करते दिखाया जाता है। वहीं, मौके पर पहुंचकर संजयस अर्जुन को अच्छी तरह से सबक सिखाता है। अर्जुन इस बेइज्जती से बुरी तरह बौखला जाता है और संजय से बदला लेना चाहता है। इन्हीं सब को देखते हुए मिनिस्टर के गुंडे संजय के पीछे पड़ जाते हैं। बदले की इस लड़ाई के दौरान संजय अपनी पत्नी साईंश्री को खो देता है, जिसका रोल रश्मिका मंदाना ने निभाया है। इसके बाद शुरू होता है असली खेल। दरअसल, साईंश्री मरने से पहले अपना अंगदान करती है, जो 3 अलग-अलग लोगों की जान बचाते हैं। इन्हीं तीनों की जान के पीछे मिनिस्टर के गुंडे पड़े जाते हैं। इन तीनों की जान बचाने और अपनी पत्नी की मौत का बदला लेने सिकंदर राजकोट से मुंबई आता है। क्या वो अपने मकसद में कामयाब होता है, क्या वो अपना बदला पूरा कर पाता, क्यों वो उन तीन लोगों की जान बचा पाता.. ये सब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
फिल्म सिकंदर में संजय राजकोट का रोल प्ले कर रहे सलमान खान की एक्टिंग में कोई नयापन नजर नहीं है। फिल्म में सलमान ने एक्शन जबरदस्त किए, लेकिन उनके ह्यूमर, कॉमेडी और डायलॉग्स खास नहीं रहे। वे इमेशनल डायलॉग्स भी पूरे इमोशन के साथ नहीं बोल पाए। रश्मिका मंदाना के पास स्क्रीनटाइम बहुत कम रहा, फिर भी उन्होंने अपना काम ठीकठाक किया है। शरमन जोशी अपने किरदार में किसी भी एंगल से फिट नहीं बैठते हैं। प्रतीक बब्बर, सत्यराज और किशोर कुमार ने अपने किरदार में पूरा दम लगाने की कोशिश की हालांकि, वे ओवर एक्टिंग करते ज्यादा नजर आए।
गजनी जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म देने वाले राइटर और डायरेक्टर एआर मुरुगदास की अब तक की ये उनकी सबसे हल्की और कमजोर फिल्म लगी। कहानी के शुरुआत से आखिर तक प्लॉट में कई कमियां नजर आईं। स्क्रीनप्ले में कई खामियां साफ दिखीं। फिल्म के कई सीन ऐसे हैं जिन्हें सिर्फ फिलर के तौर पर यूज किया गया है। अगर ये सीन्स नहीं भी होते तो फिल्म पर कोई खास असर नहीं पड़ता। फिल्म में इमोशन्स और लॉजिक की ढेरों कमियां है। फिल्म के संगीत की बात करें तो ये लोगों को इम्प्रेस करने में फेल रहा। बैकग्राउंड में कुछ संगीत अच्छा बन पड़ा बाकी ओवरऑल खास नहीं रहा। अगर आप सलमान के फैन है और उनके एक्शन देखना चाहते है तो फिल्म देखने जाए।