
एंटरटेनमेंट डेस्क। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शनिवार को कहा कि 'द केरल स्टोरी' को नेशनल अवार्ड दिए जाने के खिलाफ बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसी फिल्म को सम्मान देना सांप्रदायिक नफरत फैलाने के लिए फिल्मों के दुरुपयोग के प्रयासों का सपोर्ट करना ही माना जा सकता है। उन्होंने सांस्कृतिक संस्थाओं और फिल्म कम्युनिटी से एकजुट होकर ऐसे कदमों का विरोध करने की अपील की है। विजयन ने कहा कि यह "बेहद दुर्भाग्यपूर्ण" है कि एक ऐसी फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सम्मानित किया गया जो केरल की धर्मनिरपेक्ष परंपराओं का अपमान करती है और दुनिया के सामने उसे बदनाम करती है।
केरल फिल्म नीति पॉलिसी का उद्घाटन करने से पहले उन्होंने कहा, "यह भारतीय सिनेमा की महान सांस्कृतिक विरासत का भी अपमान करता है और यह मैसेज देता है कि कला का इस्तेमाल हमारे देश की धर्मनिरपेक्षता को नष्ट करने और उसकी जगह सांप्रदायिकता लाने के लिए किया जाना चाहिए।"
The Kerala Story की कहानी तीन यंग लड़कियों—शालिनी, गीता और निम्मी की लाइफ पर बेस्ड है, जो केरल में मुस्लिम कम्युनिटी के बीच पढ़ाई और दोस्ती करते हुए बड़ी होती हैं। कॉलेज में इनकी मुलाकात मुस्लिम लड़की फातिमा से होती है, जिसके बाद इनकी जिंदगी बदल जाती है। फातिमा “लव जिहाद” और कट्टरपंथी सोच से जुड़े ग्रुप की मेंबर है, जिसका मकसद हिंदू और अन्य धर्मों की लड़कियों को बहलाकर फुसलाकर इस्लाम कबूल करवाना और फिर उन्हें आतंकी संगठनों तक पहुंचाना है।
फिल्म में दिखाया गया है कि लड़कियों का ब्रेन वॉश किया जाता है। इनको अपने धर्म, परिवार और पहचान से तक दूर किया जाता है। इसमें शालिनी नाम की लड़की को प्यार का झांसा देकर अपनी पहचान, फैमिली और धर्म सब छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। इसके बाद में उसके साथ धोखा होता है और उसे ISIS में शामिल कराने के लिए सीरिया ट्रांसपोर्ट कर दिया जाता है। इसके बाद उसकी पूरी लाइफ बर्बाद हो जाती है।
द केरल स्टोरी में हिंदू लड़कियों को बरगलाने और उनका धर्म परिवर्तन कराने की कहानी को बड़ी साफगोई से बयां किया गया है। ये मूवी सवाल के साथ खत्म होती है कि समाज में सच और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा कैसे की जाए। फिल्म में उठाए गए मुद्दे पर पहले भी खूब हो हल्ला मचा था। वहीं अब इसे नेशनल अवार्ड मिलने पर सीएम विजयन ने सवाल उठाए हैं।