Manoj Kumar Death: नहीं रहे भारत कुमार के नाम से फेमस मनोज कुमार, 87 की उम्र में ली अंतिम सांस

Published : Apr 04, 2025, 07:42 AM ISTUpdated : Apr 04, 2025, 08:05 AM IST
Manoj Kumar Death

सार

Manoj Kumar Death: वेटरन एक्टर मनोज कुमार का निधन हो गया है। वे 87 साल के थे। बताया जा रहा है कि वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने कई देशभक्ति फिल्में बनाई थीं।

Manoj Kumar Death: जानेमाने वेटरन एक्टर मनोज कुमार का 87 साल की उम्र में निधन हो गया है। बता दें कि वे समय से बीमार चल रहे थे और मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। अस्पताल में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में भरत कुमार के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कई देशभक्ति फिल्में बनाई थी। मनोज कुमार का असली नाम हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी था। उन्होंने बतौर एक्टर ही नहीं बल्कि प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के तौर पर भी फिल्म इंडस्ट्री में काम किया था। उन्होंने ऐसी कई फिल्में दी, जिन्हें आज भी याद किया जाता है।

पार्टीशन के बाद परिवार के साथ दिल्ली आए थे मनोज कुमार

बता दें कि मनोज कुमार जब 10 साल के थे तब उनका परिवार विभाजन के कारण जंडियाला शेर खान से दिल्ली आ गया। मनोज कुमार फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाने से पहले हिंदू कॉलेज से आर्ट में ग्रेजुएशन किया था। जब वे छोटे थे तो उन्हें एक्टर दिलीप कुमार, अशोक कुमार और कामिनी कौशल बहुत पसंद थे। उन्होंने शबनम में दिलीप कुमार के किरदार के नाम पर अपना नाम मनोज कुमार रखने का फैसला किया था। उन्होंने एक फैशन ब्रांड में काम किया था औ फिर उन्हें फिल्मों में काम करने का मौका मिला।

मनोज कुमार का फिल्मी सफर

मनोज कुमार के फिल्मी सफर की बात करें तो शुरुआती दौर में उन्होंने सहारा (1958), चांद (1959) और हनीमून (1960) जैसी फिल्मों में काम किया। उन्हें फिल्म कांच की गुड़िया (1961) में पहली बार लीड रोल प्ले करने का मौका मिला। इसके बाद पिया मिलन की आस (1961), सुहाग सिंदूर (1961), रेशमी रूमाल (1961) जैसी फिल्में आई, लेकिन इनमें से ज्यादातर फिल्में खास कमाल नहीं कर पाई। उनकी पहली सबसे बड़ी कमर्शियल हिट 1962 में आई विजय भट्ट की फिल्म हरियाली और रास्ता थी। इसमें उनके साथ माला सिन्हा थी। इसके बाद शादी (1962), डॉ. विद्या (1962) और गृहस्थी (1963) आई, तीनों ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने फिल्मों में काम करने के साथ डायरेक्शन करना भी शुरू किया। उन्होंने उपकार, पूरब और पश्चिम, शोर, रोटी कपड़ा और मकान, क्रांति, क्लर्क जैसी फिल्मों का डायरेक्शन किया।

 

 

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