एंटरटेनमेंट और मीडिया इंडस्ट्री में है मुस्लिमों का दबदबा, यकीन ना हो तो सबूत देख लीजिए

इंडियन एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से मुस्लिम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। फिर चाहे यहां अली अब्बास जफ़र जैसे डायरेक्टर हों या फिर जावेद अख्तर और इरशाद कामिल जैसे गीतकार। यहां तक कि मीडिया इंडस्ट्री में भी मुस्लिम प्रोफेशनल्स अपनी पहचान बखूबी बना रहे हैं।

बीते कुछ सालों में भारत की मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में अपना मुकाम बनाने बनाने वाले मुस्लिमों में उल्लेखनीय बढ़त देखी गई है। एक्टर्स-डायरेक्टर्स से लेकर राइटर्स और प्रोड्यूसर्स तक में इंडियन मुस्लिम अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं और देश के समृद्ध और विविधता से भरे सांस्कृतिक परिदृश्य में अपना योगदान दे रहे हैं। यह उस नैरेटिव से बिल्कुल अलग है, जिसमें कहा जाता है कि मुस्लिम देश की अहम कल्चरल और सोशल स्पेस से गायब हैं।

इस ट्रेंड का सबसे सटीक उदाहरणों में से एक भारत की सबसे संपन्न फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड में मुस्लिम अभिनेताओं का उदय रहा है। इनमें से शाहरुख़ खान, आमिर खान, सलमान खान जैसे कई एक्टर्स ने घर-घर में अपनी पहचान बनाई है और आज इंडियन सिनेमा के सबसे सक्सेसफुल एक्टर्स में शामिल हैं। इन एस्टाब्लिस हो चुके एक्टर्स के अलावा नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, गौहर खान और हुमा कुरैशी जैसे कई उभरते सितारे भी हैं, जो यहां अपनी पहचान बना रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ एक्टर्स ही इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में नाम कमा रहे हैं।मुस्लिम राइटर, डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स भी फिल्म इंडस्ट्री की ग्रोथ और डेवलपमेंट में अपना योगदान दे रहे हैं। उदाहरण के लिए अली अब्बास ज़फर, जो कि मुस्लिम डायरेक्टर हैं, जिन्होंने 'सुल्तान' और 'टाइगर जिंदा है' जैसी हिट फ़िल्में दी हैं।

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मुस्लिम इंडिया के अन्य एंटरटेनमेंट फील्ड जैसे कि म्यूजिक और टीवी पर भी पहचान बना रहे हैं। मुस्लिम सिंगर्स और संगीतकार दशकों से इंडियन म्यूजिक इंडस्ट्री का अभिन्न अंग हैं और उनमें से कई ने हिट सॉन्ग्स और एल्बम का निर्माण जारी रखा है। भारत के सबसे जाने-माने मुस्लिम म्यूजिशियंस में एक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान है, जो कि प्रसिद्ध शहनाई वादक रहे हैं। उन्हें 2001 में देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। दूसरे प्रसिद्ध मुस्लिम संगीतकार तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन हैं, जिन्होंने दुनियाभर के संगीत में योगदान दिया। सरोद वादक अमजद अली खान हैं, जिन्होंने क्लासिक म्यूजिक में अहम योगदान के लिए कई सम्मान अपने नाम किए। ए. आर. रहमान हैं, जिन्होंने हिंदी, अंग्रेजी, तमिल सिनेमा में अपने काम के दम पर इंटरनेशनल लेवल पर कई अवॉर्ड जीते हैं।

भारत के म्यूजिक परिदृश्य में मुस्लिम गीतकारों ने भी अहम योगदान दिया है। बॉलीवुड के सबसे जाने-माने गीतकारों में एक जावेद अख्तर हैं, जिन्हें इंडियन सिनेमा की कुछ बड़ी फिल्मों में गाने लिखने के लिए कई अवॉर्ड दिए हैं। इसी तरह अन्य मुस्लिम गीतकार इरशाद कामिल हैं, जिन्होंने 'जब वी मेट', 'रॉकस्टार' और 'तमाशा' जैसी फिल्मों में गाने लिखे हैं।

एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के अलावा मीडिया परिदृश्य में भी मुस्लिम पत्रकार अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। CNN-IBN की पत्रकार और एंकर मारिया शकील और ABP न्यूज की एंकर रुबिका लियाकत सालों से नेशनल टीवी पर प्राइम टाइम की डिबेट को लीड कर रही हैं। फिर सीमा चिश्ती, आरिफा खानम और जावेद अंसारी जैसे सीनियर जर्नलिस्ट हैं। इन पत्रकारों ने ना केवल अहम स्टोरीज ब्रेक की हैं और उनका तीखा एनालिसिस भी दिया है। बल्कि यथास्थिति को चुनौती देते हुए इंडियन मीडिया में अपनी जवाबदेही और ट्रांसपेरेंसी को प्रमोट किया है।

मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में मुस्लिमों का उदय इंडिया के कल्चरल लैंडस्केप की बढ़ती विविधता और समावेशिता का प्रतिबिंब है। यह भारत के मुस्लिम आर्टिस्ट्स के टैलेंट और क्रिएटिविटी का एक वसीयतनामा है, जो इंडस्ट्री की ग्रोथ और डेवलपमेंट में अहम योगदान निभा रहे हैं। हालांकि, यह याद रखना जरूरी है कि जब रीप्रेजेंटेशन और डाइवर्सिटी की बात आती है तो इंडस्ट्री को अभी भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मुस्लिम एक्टर्स, प्रोफेशनल्स और जर्नलिस्ट्स की सफलता के बावजूद इंडस्ट्री में अभी भी हाशिए पर रहने वाले दलितों और LGBTQ जैसे अन्य समुदायों के रीप्रेजेंटेशन की जरूरत है।

अंत में इंडिया के मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में मुस्लिमों का उदय एक पॉजिटिव डेवलपमेंट है, जो कि इंडिया के कल्चरल लैंडस्केप की डाइवर्सिटी और समृद्धि को दर्शाता है। इससे हममें पता चलता है कि आज ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं हैं, जहां मुस्लिम अपनी पहचान नहीं बना रहे हैं और भारत की ग्रोथ स्टोरी सभी क्षेत्रों के लोगों से मिलकर बनी है। सिर्फ योग्यता ही इंडिया में सफलता की बाधाओं को तय करती है और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में टैलेंट मायने रखता है, पहचान नहीं। टैलेंटेड लोगों को हमेशा अपनी जगह मिल जाती है। यह एक ट्रेंड है, जिसके जारी रहने की संभावना है। ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम प्रोफेशनल्स इंडस्ट्री में आएंगे और इसकी ग्रोथ और डेवलपमेंट में अपना योगदान देंगे।

सौजन्य : आवाज़ द वॉयस

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