
जानेमाने कन्नड़ फिल्ममेकर यशवंत सरदेशपांडे का निधन हो गया है। खबरों की मानें तो उन्हें अचानक सीने में दर्द हुआ था। उन्हें आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने उनके निधन पर संवेदना व्यक्त करते हुए लिखा- ये जानकर दुख हो रहा है कि हमारे हुबली निवासी यशवंत सरदेशपांडे का निधन हो गया है। वे एक फेमस कन्नड़ रंगमंच एक्टर और नाटककार थे, जिन्होंने कई नाटकों में काम करने के साथ निर्देशन भी किया था। उनका नाटक ऑल द बेस्ट काफी सफल रहा'। बता दें कि यशवंत की पत्नी मालती और बेटी दोस्ती हैं।
यशवंत सरदेशपांडे का जन्म 13 जून, 1965 को विजयपुरा में श्रीधर और कल्पना के घर हुआ था। उन्होंने केंद्रीय विद्यालय और न्यू इंग्लिश स्कूल से पढ़ाई की थी। उन्होंने हरिहर स्थित किर्लोस्कर और केएसआरटीसी डिपो में डीजल मैकेनिक का कोर्स किया। रंगमंच में रुचि होने के कारण वे 1985-86 में नीनासम हेग्गोडु रिपर्टरी में शामिल हुए थे। उन्होंने आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए नाटकों और टीवी के लिए शोज का निर्देशन भी किया था। थिएटर टेक्निक सीखने के लिए उन्होंने नॉर्थ से लेकर साउथ तक ट्रैवल किया था। उन्होंने हेग्गोडु स्थित निनासम थिएटर इंस्टीट्यूट से थिएटर आर्ट्स में डिप्लोमा किया था। बाद में उन्होंने 1996 में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से सिनेमा और ड्रामा राइटिंग में सर्टिफिकेट कोर्स भी किया था। सरदेशपांडे को कन्नड़ थिएटर में उनके योगदान के लिए जाना जाता था।
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यशवंत सरदेशपांडे ने ऑल द बेस्ट के अलावा राशिचक्र, ओलेव जीवन सशक्तकारा, नीनानाद्रे नानीनेना, साही री साही, ओंदाता भत्रद्दु, अंधायुगा, साहेबारू बरुत्तारे, मिस पॉइंट, दिल मांगे मोर और हिंगाद्रे डॉट सहित कई कॉमेडी नाटकों में काम किया था। उन्होंने अपने करियर में 60 से ज्यादा नाटकों का निर्देशन किया था, जिनमें से कइयों के तो 500 से ज्यादा प्रदर्शन भी हुए थे। उन्होंने मर्म, अमृतधारे और रामा शामा भामा जैसी फिल्मों में भी काम किया था। उन्होंने करीब 16 नाटक लिखे और पापा पांडु और दशावतार सहित कई कन्नड़ टीवी सीरियलों में काम किया था। वे पुनीत राजकुमार द्वारा प्रस्तुत कन्नड़दा कोट्याधिपति में भी नजर आए थे। सरदेशपांडे ने कन्नड़, मराठी और हिंदी फिल्मों में काम किया था। कन्नड़ फिल्म रामा शामा भामा में उनके द्वारा लिखे गए डायलॉग्स के लिए उन्हें राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें 2010 में राज्योत्सव पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
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