
The Pickup Review: 'द पिकअप’ की कहानी शुरू होती है रसेल (Eddie Murphy) और ट्रेविस (Pete Davidson) के सीन से, जो एक ना चाहते हुए भी दोस्ती में जुड़ जाते हैं। वे केके पामर के गैंग के साथ मिलकर एक अनोखे तरीके से चोरी (Heist) को अंजाम देने की प्लानिंग करते हैं। इस सब में कई बार बड़ी अजीबोगरीब हास्य पैदा होता है। बड़े ही और ऊलजलूल ट्विस्ट आते हैं। Eva Longoria जो रसेल की पत्नी के किरदार में हैं, वे भी इस चोरी की प्लानिंग में अचानक शामिल होती हैं, जिससे पूरी गैंग का डाइनामिक्स बदल जाता है। फिल्म की स्टोरी एक कार और उसके इर्द-गिर्द घुमती घटनाओं तक सीमित रहती है, जिससे कोई बड़ा प्लॉट निर्मित नहीं हो पाता। वहीं फिल्म बोरियत भी लगने लगती है।
एडी मर्फी, जिन्होंने हमें बेवर्ली हिल्स कॉप और कमिंग टू अमेरिका जैसी फ़िल्में दीं, फ़िल्म में ज़्यादातर समय ऐसे दिखते हैं जैसे वे फिल्म के टेक के बीच में मन ही मन अपने घर के लिए कुछ सामान ऑर्डर कर रहे हों। हालांकि, वे कई बार कॉमिक टाइमिंग में सक्सेसफुल भी हुए हैं। वहीं पीट डेविडसन ने एक नशेड़ी किरदार में है। कई सीन में वे असर डालते दिख रहे हैं।
केके पामर जिन्होंने डकैती गैंग के मास्टरमाइंड की भूमिका निभाई है, वे अपने किरदार में पूरी तरह डूबे हुए दिखाई दे रहे हैं। डेविडसन के साथ उनकी केमिस्ट्री दर्शकों को कुछ खास पसंद नहीं आई है। दोनों एक सीन एक फ्रेम वाले सीन में वो बात नजर नहीं आई है। उनका किरदार एक घायल और और समाज से बाहर की गई किसी महिला की तरह है। रसेल की पत्नी, नताली की इस पार्टी जरा देर से एंट्री होती है। ईवा लोंगोरिया, अपनी फास्ट टाइमिंग और बेतरीन एक्टिंस से इस मूवी की सबसे मजबूत एक्टर दिखती हैं।
‘The Pickup’ कॉमेडी (Comedy) के पंच में कमजोर दिखती है। Eddie Murphy, हमेशा की तरह, कुछ सीन में हंसाने में सफल रहते हैं, वहीं Pete Davidson नशेड़ी दोस्त के रोल में ठीक-ठाक हैं। Keke Palmer का किरदार गंभीर दिखता है, लेकिन उनकी और Davidson की केमिस्ट्री असर नहीं छोड़ती। Eva Longoria अपने छोटे रोल में चमकती हैं। क्रिस्टोफर लेनर्ट्ज़ का संगीत और सिनेमैटोग्राफी भी ऐवरेज है। फिल्म में गिने-चुने मजेदार पल हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह एक एवरेज एंटरटेनर है जिसे आप चाहें तो एक बार देख सकते हैं, मगर उम्मीदें कम रखें।
क्रिस्टोफर लेनर्ट्ज़ का म्यूजिक ने असर छो़ड़ा है। लेकिन क्लाइमेक्स में वो कहानी से ज्यादा मेहनत करता दिखता है। बैक ग्राउंड स्कोर ठीक है। ये फिल्म की स्पीड को मेंटेन रखने की कोशिश करता है। फिल्म की सिनमैटोग्राफी भी ठीकठाक है। फिल्म एक गाड़ी के इर्द गिर्द घूमती है तो दृश्यों में वो पैनापन मिसिंग हो जाता है। डायरेक्टर ने अपनी काबिलियत दिखाने की कोशिश जरुर की है, लेकिन वे इसमें बहुत ज्यादा सफल नहीं हुए हैं।