
Sarzameen Review: एंटरटेनमेंट डेस्क. पृथ्वीराज सुकुमारन, काजोल और इब्राहिम अली खान स्टारर फिल्म 'सरजमीं' जियो-हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही है। इस फिल्म में पिता-बेटे के उलझे हुए रिश्ते की एक कहानी को दिखाया गया है। जब से इस फिल्म का ट्रेलर आया था, तब से लोग इसकी रिलीज का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। ऐसे में अब फिल्म रिलीज हो गई है, तो आइए जानते हैं 'सरजमीं' का रिव्यू।
'सरजमीं' की कहानी कर्नल विजय मेनन (पृथ्वीराज सुकुमारन) के इर्द-गिर्द घूमती है। वो कश्मीर में तैनात होते हैं और अपने परिवार के साथ वहीं रहते हैं। विजय अपने बेटे हरमन (इब्राहिम) से शर्मिंदा होते हैं, क्योंकि वो हकलाता है। वहीं उनकी पत्नी मेहर (काजोल) उन्हें अपने बेटे के करीब लाने की पूरी कोशिश करती है। फिर कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब एक दिन, हरमन को आतंकवादी किडनैप कर लेते हैं और बदले में अपने दो साथियों की रिहाई की मांग करते हैं। विजय लगभग हार मान लेते हैं और देश के प्रति अपने कर्तव्य को पहले लाते है। हरमन को मृत मान लिया जाता है, तभी एक दिन, एक लड़के की एंट्री होती है, जो खुद को उनका खोया हुआ बेटा बताता है। ऐसे में यह तो फिल्म देखकर ही पता चलेगा कि क्या वो वाकई में उनका बेटा होता है या नहीं।
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कायोज ईरानी द्वारा निर्देशित, यह 'सरजमीं' देशभक्ति से ओतप्रोत फिल्म हो सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। वहीं कलाकारों के बीच कोई स्पार्क देखने को भी नहीं मिला। फिल्म में पृथ्वीराज, काजोल और इब्राहिम एक बार भी असली परिवार जैसे नहीं लगे। सरजमीन के निर्माता करण जौहर द्वारा निर्देशित, माई नेम इज खान (2010) में अपने बेटे को खोने वाली एक दुखी मां के रूप में काजोल ने कमाल की भूमिका निभाई थी, लेकिन यहां वो उस रूप में बिल्कुल नहीं नजर आईं। फिल्म देखकर ऐसा लगा, जैसे इसे जबर्दस्ती खींचा जा रहा हो। फिल्म में बोमन ईरानी, भी एक स्पेशल रोल में नजर आए, लेकिन वो फिल्म में कोई छाप नहीं छोड़ पाए। वहीं इब्राहिम की एक्टिंग भी दमदार नहीं लगी। ऐसे में हम इस फिल्म को 1.5 रेटिंग देंगे।