भारतीय सेना ने तेलंगाना के नगरपालिका प्रशासन मंत्री के टी रामाराव के हालिया दावे की जांच की है। मंत्री ने दावा किया था कि छावनी के आसपास की सड़कें अवरुद्ध होने से स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही है।
नई दिल्ली। भारतीय सेना ने तेलंगाना के नगरपालिका प्रशासन मंत्री के टी रामाराव के हालिया दावे की जांच की है। मंत्री ने दावा किया था कि छावनी के आसपास की सड़कें अवरुद्ध होने से स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही है। मंत्री ने सड़कों पर लगाए गए रोक को नहीं हटाने की स्थिति में छावनी क्षेत्रों में बिजली और पानी की आपूर्ति काट देने की धमकी दी थी। सेना ने मंत्री द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच की। जांच के बाद सेना की ओर से कहा गया कि कोई भी सड़क बंद नहीं है।
मंत्री केटीआर राव द्वारा तेलंगाना विधानसभा में रक्षा क्षेत्रों में बिजली और पानी की आपूर्ति पर हाल ही में की गई घोषणा से भारतीय सेना के अधिकारी नाखुश हैं। सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने एशियानेट न्यूज को बताया कि मंत्री के बयान ने तेलंगाना में तैनात हमारे जवानों और उनके परिवारों की भावनाओं को गहरा ठेस पहुंचाया है।
अधिकारियों ने कहा कि यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सेना के जवान सिकंदराबाद छावनी में केवल 1-2 साल की संक्षिप्त अवधि के लिए रहते हैं। चीन और पाकिस्तान से लगती अत्यधिक सक्रिय सीमा क्षेत्रों में तैनात होने से पहले जवानों को शांति कार्यकाल का लाभ उठाने के लिए यहां रखा जाता है। विरोधियों से देश की संप्रभुता और अखंडता को सुरक्षित रखने के लिए ये जवान सीमा पर तैनात रहते हैं। यह भी उल्लेख किया जाना चाहिए कि चीनी सैनिक मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर सीमा गतिरोध में उलझे हुए हैं, जबकि पाकिस्तान हमेशा छद्म युद्ध के माध्यम से भारत को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है।
मंत्री ने लगाए निराधार आरोप
सिकंदराबाद छावनी के सूत्रों का मानना है कि मंत्री द्वारा स्थानीय सैन्य प्राधिकरण के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं। राव ने कहा था कि सैन्य अधिकारी सड़कों को अवरुद्ध कर रहे हैं और विकास कार्यों को रोक रहे हैं जिससे नागरिकों को असुविधा हो रही है। छावनी के सैन्य नेतृत्व ने तथ्य-जांच की है और कहा है कि हाल के दिनों में कोई सड़क बंद नहीं हुई है और न ही इस संबंध में कोई शिकायत है।
सूत्रों ने आगे बताया कि इस साल गणतंत्र दिवस पर भी छावनी की सड़कें खुली रहीं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक संसदीय स्थायी समिति ने पिछले साल सिकंदराबाद छावनी का दौरा किया था और छावनी क्षेत्र में सड़कों को खोलने की व्यवस्था की समीक्षा करने के बाद पूरी तरह से संतुष्ट होकर लौटी थी। जहां तक सामरिक नाला विकास कार्यक्रम का संबंध है स्थानीय सैन्य अधिकारियों ने कोई बाधा नहीं डाली है। इस परियोजना पर अभी तक राज्य सरकार से कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है।
अन्य परियोजना के बारे में बात करते हुए जो मेहदीपट्टनम गैरीसन के पास एक प्रस्तावित 'स्काई वॉक' से संबंधित है, सूत्रों ने कहा कि इसके संबंध में अधिकारियों द्वारा 'अनापत्ति प्रमाणपत्र' की सिफारिश पहले ही की जा चुकी है। यह जनहित में है। बलकापुर नाला पर बांध (जो कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम द्वारा निर्मित सीवेज डायवर्जन व्यवस्था है) के संबंध में सेना के अधिकारी ने कहा कि हमने पहले ही निगम को सभी आवश्यक सहायता का आश्वासन दिया है।
पिछले साल भारतीय सेना ने इस संबंध में स्थानीय सांसद असदुद्दीन ओवैसी को जवाब दिया था। अधिकारी ने यह भी याद किया कि कैसे राज्य में तैनात भारतीय सेना की इकाइयों और कर्मियों ने कोविड -19 महामारी के दौरान और 2020 की बाढ़ के दौरान स्थानीय लोगों की बेहतरी में मदद की।
क्षेत्र में सेना की गतिविधियों के बारे में किसी भी गलतफहमी को दूर करने के प्रयास में सूत्रों ने कहा कि चेन्नई स्थित सेना के दक्षिण भारत क्षेत्र के जीओसी भी आने वाले दिनों में मंत्री से मिलेंगे। भारतीय सेना हमेशा 'राष्ट्र पहले' रखती है और किसी भी संकट की स्थिति में हमेशा पहली प्रतिक्रिया देगी। सूत्रों ने कहा कि राज्य और केंद्र के बीच राजनीतिक टकराव तेलंगाना में तैनात सेना कर्मियों और उनके परिवारों के प्रशासन और कल्याण की कीमत पर नहीं आना चाहिए।
बता दें कि मंत्री ने यह भी कहा था कि केंद्र ने अभी भी अक्टूबर 2020 में हैदराबाद में बाढ़ के लिए राहत राशि का वितरण नहीं किया है। 40 वर्ग किमी में फैला सिकंदराबाद छावनी बोर्ड 2.25 लाख से अधिक की आबादी के साथ देश भर में 62 छावनियों में से दूसरा सबसे बड़ा है।