बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में पढ़ाई जाएगी 'भूत विद्या'? अंधविश्वास करने से पहले जान लें सच्चाई

कहा जा रहा है कि अब विश्वविद्यालयों में कुछ नहीं तो बस भूत विद्या ही पढ़ाई जाएगी। इस तरह की पोस्ट के साथ पेपर कटिंग और न्यूज लिंक जमकर वायरल हो रहे हैं। कुछ लोग इस खबर के बाद से बीएचयू प्रशासन की आलोचना भी कर रहे हैं।

नई दिल्ली. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में बीते काफी दिनों से भूत-प्रेत विद्या पढ़ाए जाने की खबर वायरल हो रही है। कहा जा रहा है कि अब विश्वविद्यालयों में कुछ नहीं तो बस भूत विद्या ही पढ़ाई जाएगी। इस तरह की पोस्ट के साथ पेपर कटिंग और न्यूज लिंक जमकर वायरल हो रहे हैं। कुछ लोग इस खबर के बाद से बीएचयू प्रशासन की आलोचना भी कर रहे हैं। इस खबर को लेकर कई झूठे दावे भी किए जा रहे हैं कि अब बीएचयू में भूत-प्रेत का मेला लगेगा, झाड़-फूंक सिखाई जाएगी, यहां के बच्चे रौब से जादुई छड़ी लिए घूमेंगे? लेकिन सच्चाई किसी को नहीं पता कि आखिर ये कौन सा कोर्स है जो बीएचयू में पढ़ाया जाने वाला है? 

सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रही बीएचयू से जुड़ी इस खबर पर हमने थोड़ी जांच-पड़ताल की। हमने जानना चाहा कि क्या वाकई यूनिवर्सिटी में बच्चों को अब झाड़ फूंक सिखाए जाने की जरूरत है, आखिर क्यों देश की सबसे बेहतरीन यूनिवर्सिटीज में शामिल बीएचयू से ऐसी खबर सामने आई हैं। तो इसका माजरा कुछ और ही निकला है। 

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आयुर्वेद पढ़ेंगे बच्चे

तो हम आपको बता दें कि बीएचयू में कोई आयुर्वेद पढ़ाया जाएगा न कि कोई  झाड़-फूंक वाला कोर्स। दरअसल बीएचयू (BHU) में आयुर्वेद संकाय है और आयुर्वेद का आठवां अंग भूतविद्या है जिसमें मनुष्यों की मानसिक बीमारी और ऊपरी हवा, शक्तियों से पीड़ित लोगों का इलाज किया जाता है। इस आयुर्वेद संकाय के अंदर भूत विद्या का एक अलग यूनिट बनाया गया है। इसके साथ ही भूत विद्या का 6 महीने का सर्टिफिकेट कोर्स होगा। ये कोर्स जनवरी से शुरू होगा। बीएचयू (BHU) ऐसा करने वाला देश का पहला इंस्टीट्यूट है। जो डॉक्टर बीएएसएस (BAMS) और एमबीबीएस (MBBS) के डिग्रीधारी हैं, वो इस कोर्स में हिस्सा ले सकते हैं।

भूत विद्या आयुर्वेद की एक ब्रांच है- 

दरअसल भूत विद्या आयुर्वेद की एक ब्रांच है इसे समझिए जैसे मॉडर्न मेडिसिन में अलग-अलग ब्रांच होती हैं – बच्चों के डॉक्टर अलग होते हैं, सर्जरी के अलग, महिलाओं के अलग, वैसे ही आयुर्वेद में अलग-अलग ब्रांच होती हैं। इसके लिए अष्टांग आयुर्वेद, आयुर्वेद के आठ अंग आयुर्वेद की आठ ब्रांच।

1. शल्य
2. शालाक्य
3. कायचिकित्सा
4. कौमारभृत्य
5. अगदतंत्र
6. रसायनतंत्र
7. वाजीकरण
8. भूतविद्या

इस भूत विद्या को भूत-प्रेत वाली पढ़ाई कहना ठीक नहीं होगा, यहां भूत का मतलब है अदृश्य। भूत विद्या मतलब ऐसी बीमारियों की पढ़ाई जो अदृश्य या अज्ञात कारणों से होती हैं। मानसिक बीमारियां। ऐसे विकार जो मन में पैदा होते हैं और देह (शरीर) में तकलीफ देते हैं। बहुत सारे लोग आयुर्वेद को महज़ औषधियों और जड़ी-बूटियों के लिए जानते हैं लेकिन आयुर्वेद में न दिखने वाली बीमारियों का इलाज भी है। 

भूतविद्या आयुर्वेद का हिस्सा 

इन भूतों यानी रोगों के 28 प्रकार होते हैं। इन रोगों के डायग्नोसिस (पहचान) के तरीके होते हैं। जब रोग की पहचान हो जाती है, तो उस हिसाब से इलाज किया जाता है।हमारे समाज में भूत-प्रेत को लेकर बहुत अंधविश्वास है। लोग फर्ज़ी तांत्रिकों और बाबाओं के चक्कर में पड़ जाते हैं। झाड़-फूंक करवाते हैं। बीएचयू वाले भूत विद्या को इसलिए बढ़ावा दे रहे हैं ताकि लोग क्वालिफाइड डॉक्टर्स की सलाह ले सकें।

तो यह बात साफ होती है कि भूत विद्या भूत-प्रेत वाला कोर्स नहीं है लेकिन इस कोर्स की साइंटिफिक मेथड अब भी डाउटफुल हैं। भूतविद्या सुना और मज़ाक उड़ाने निकल पड़े,  हमें अंधा विश्वास भी नहीं होना चाहिए। इसे आयुर्वेद का हिस्सा मान हम सच मान सकते हैं लेकिन जैसे कि ये एक झूठ है कि BHU में भूत भगाने वाला एक कोर्स पढ़ाया जा रहा है, ये पूरी तरह गलत है। 

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