Fact Check : हर 100 साल में दुनिया पर पड़ रही नई महामारी की मार, जानें क्या है सच्चाई?

दुनिया के 162 देश कोरोना वायरस की चपेट में आ गए हैं। अब तक इससे करीब 7 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सोशल मीडिया पर कोरोना को लेकर तमाम प्रकार की जानकारियां शेयर की जा रहीं हैं। इनमें कुछ तो सही हैं और कुछ मात्र अफवाह हैं। इसी तरह से एक इंफोग्राफिक्स भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 17, 2020 7:56 AM IST / Updated: Apr 12 2020, 11:49 AM IST

नई दिल्ली. दुनिया के 162 देश कोरोना वायरस की चपेट में आ गए हैं। अब तक इससे करीब 7 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सोशल मीडिया पर कोरोना को लेकर तमाम प्रकार की जानकारियां शेयर की जा रहीं हैं। इनमें कुछ तो सही हैं और कुछ मात्र अफवाह हैं। इसी तरह से एक इंफोग्राफिक्स भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया जा रहा है कि हर 100 साल में दुनिया एक ऐसी महामारी का सामना कर रही है। इसी तरह से कोरोना को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह 400 साल में चौथी महामारी है।

क्या है दावा? फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम पर ऐसे कई पोस्टर वायरल किए जा रहे हैं। सभी में एक ही दावा है कि हर 100 साल में दुनिया को महामारी का सामना करना पड़ रहा है। फेसबुक पर वायरल एक पोस्ट में लिखा गया है, एक वैज्ञानिक सिद्धांत के अनुसार, प्रत्येक 100 वर्षों में कोई ना कोई महामारी जरूर होती है। प्रकृति वास्तव में रहस्यमयी है। 

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इतना ही नहीं पोस्ट में चार महामारियों का भी जिक्र है। पोस्ट के मुताबिक, 1720 में प्लेग, 1820 में कॉलेरा यानी हैजा, 1920 में स्पेनिश फ्लू और 2020 में कोरोना वायरस। यह संयोग है या और कुछ।
 




कई मीडिया रिपोर्ट्स में भी यह दावा किया गया है कि 400 साल में यह चौथी महामारी है। 

oneindia hindi ने अपने आर्टिकल जिसकी हेडलाइन है 'CID19: आखिर सच हुई वैश्विक आपदा को लेकर बाबा वेन्गा की भविष्यवाणी!' में इसका जिक्र किया है।




इसके अलावा आजतक ने भी अपने आर्टिकल जिसकी हेडलाइन 'हर 100 साल पर दुनिया में नई महामारी, 400 साल में 4 बड़ी त्रासदी' है, उसमें भी इसका जिक्र किया है।




क्या है सच्चाई? 
समाचार एजेंसी एएफपी ने इस दावे पर एक फैक्ट चेक रिपोर्ट लगाई है। रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोनावायरस का पहला मामला चीन के वुहान में दिसंबर 2019 में सामने आया था। इसके बाद यह दुनिया के 162 देशों में फैला। इसके चलते 7 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा कोरोना की चपेट में कई बड़ी सेलिब्रिटी भी आ चुके हैं। 

सोशल मीडिया पर किया जा रहा यह दावा झूठा है। पोस्ट में बताए गए प्रकोपों की साल को गलत तरीके से दिखाया गया है।

कब क्या हुआ? 

ब्लैक डेथ (यानी ग्रेट प्लेग)- पोस्ट में दावा किया गया है कि यह 1720 में फैला था। लेकिन अमेरिका के ह्यूमन जीनोम रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबित, ब्लैक डेथ सबसे पहले 1347 से 1351 में फैला था। यानी दावे की तारीख से करीब 400 साल पहले। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, प्लेग वायरस नहीं बैक्टीरिया से फैला था। 

कॉलेरा यानी हैजा- पोस्ट में दावा है कि यह 1820 में फैला। लेकिन 'द लैंसेट' के मेडिकल जर्नल के मुताबिक, कॉलेरा 1817 से 1923 के बीच 6 बार फैला। इसके अलावा यह 1961 में 7वीं बार फैला था। 

स्पेनिश फ्लू- यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, स्पेनिश फ्लू 1918 में फैला था। यानी पोस्ट में दावे से 2 साल पहले। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता ने भी एएफपी को बताया कि इस तरह का कोई संयोग नहीं है। 

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