लाखों का विदेशी पैकेज ठुकराने वाले साइंटिस्ट को PM मोदी ने DRDO में किया नियुक्त? क्या है सच्चाई

ड्रोन बनाने वाला प्रताप एन एम नाम का एक युवक आजकल सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। कर्नाटक के छोटे से गांव के रहने वाले प्रताप के बारे में कहा जा रहा है कि उसके पास फ्रांस से मोटी पगार वाली नौकरी का प्रस्ताव आया था, पर उसने मना कर दिया। दावा किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस 21 साल के काबिल लड़के को डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ) में वैज्ञानिक नियुक्त किया है।

Asianet News Hindi | Published : Jul 9, 2020 5:57 AM IST / Updated: Jul 09 2020, 11:41 AM IST

फैक्ट चेक डेस्क. Drone Scientist Pratap Appointed DRDO Fact Check: ड्रोन बनाने वाला प्रताप एन एम नाम का एक युवक आजकल सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। कर्नाटक के छोटे से गांव के रहने वाले प्रताप के बारे में कहा जा रहा है कि उसके पास फ्रांस से मोटी पगार वाली नौकरी का प्रस्ताव आया था, पर उसने मना कर दिया। दावा किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस 21 साल के काबिल लड़के को डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ) में वैज्ञानिक नियुक्त किया है।

आइए फैक्ट चेकिंग जानते हैं कि आखिर सच क्या है?

प्रताप एन एम ने कूड़े-कचरे से ड्रोन बनाकर पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन कर दिया है। इसके बाद वो सोशल मीडिया पर छा गए और लोग उनको शुभकामनाएं दे रहे हैं।

वायरल पोस्ट क्या है?

वायरल मैसेज में कहा जा रहा है, “यह हैं 21 वर्षीय प्रताप, महीने में 28 दिन वह विदेश यात्राएं करते हैं। उनके पास फ्रांस से नौकरी की पेशकश आई है जिसमें उन्हें 16 लाख रुपये पगार, 5 बीएचके फ्लैट और ढाई करोड़ रुपये की कार जैसी सुविधाएं देने की बात कही गई है। लेकिन, उन्होंने यह प्रस्ताव नामंजूर कर दिया है।”

क्या दावा किया जा रहा है?

इस दावे को फेसबुक और ट्विटर पर खूब शेयर किया जा रहा है। दावा है कि उसने विदेशी नौकरी ठुकरा दीं और अब पीएम मोदी ने उसे  डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ) में वैज्ञानिक नियुक्त कर दिया है।

फैक्ट चेकिंग

खोजने पर हमें Deccan Herald का एक आर्टिकल मिला, जिसमें प्रताप के बारे में बताया गया है। आर्टिकल के मुताबिक, प्रताप कर्नाटक के मंड्या शहर के रहने वाले हैं और वर्तमान में बेंगलुरु की एक स्टार्टअप कंपनी ‘एयरोव्हेल स्पेस एंड टेक’ में काम करते हैं। प्रताप के द्वारा बनाए गए ड्रोन्स को पिछले साल अगस्त में कर्नाटक में आई बाढ़ में बचाव कार्य में इस्तेमाल किया गया था। इसके लिए प्रताप की देश भर में खूब तारीफ हुई थी।

वायरल दोवों को देख खुद प्रताप ने मीडिया को बताया कि “यह सच है कि मेरे पास फ्रांस से नौकरी का प्रस्ताव आया था। नौकरी से जुड़ी सुविधाओं का जो ब्यौरा दिया गया है, वह भी ठीक है। मैंने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया, क्योंकि मैं बेंगलुरु में एक लैब सेटअप करना चाहता हूं। इस दावे में जो प्रधानमंत्री मोदी की ओर से मुझे डीआरडीओ में नियुक्त करने की बात कही जा रही है, वह गलत है।”

हालांकि, प्रताप के मुताबिक, एक प्रोजेक्ट के लिए उनको नई दिल्ली से फ़ोन जरूर आया था, लेकिन इसके बारे में उनको ज्यादा जानकारी नहीं है।

इसके साथ ही हमने ये भी देखा कि डीआरडीओ में बतौर वैज्ञानिक नियुक्ति के लिए कम से कम योग्यता क्या होनी चाहिए। भारत सरकार के रीक्रूटमेंट एंड एसेसमेंट सेंटर की वेबसाइट पर हमने पाया कि इसके लिए कम से कम मास्टर डिग्री होना जरूरी है। प्रताप ने यह बात साफ़ की थी कि उनके पास मास्टर डिग्री नहीं है।

ये निकला नतीजा

फैक्ट चेक से कहा जाता है कि, सोशल मीडिया पर प्रताप को लेकर किया जा रहा दावा पूरी तरह सच नहीं है। प्रताप बेहद काबिल ड्रोन साइंटिस्ट हैं, उनके पास फ्रांस से नौकरी का प्रस्ताव भी आया था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उन्हें डीआरडीओ में नियुक्त करने की बात गलत है।

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