संसद के दोनों सदनों में नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) पास हो गया है ये विधेयक पाकिस्तान, बांग्लादेश और आफगानिस्तान में रह रहे धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता देने से जुड़ा है
नई दिल्ली: संसद के दोनों सदनों में नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) पास हो गया है। ये विधेयक पाकिस्तान, बांग्लादेश और आफगानिस्तान में रह रहे धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता देने से जुड़ा है।
संसद में विधेयक रखे जाने के साथ ही इसका विरोध हो रहा है। खासकर उत्तर पूर्व के राज्यों असम, त्रिपुरा और नागालैंड में भारी विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। नागरिकता विधेयक (CAB) के विरोध से जुड़े कई विजुअल भी सोशल मीडिया पर वायरल हैं।
वीडियो के साथ दावा क्या किया जा रहा है?
CAB के विरोध का एक ऐसा ही वीडियो तमाम वाट्सएप और सोशल साइट्स पर वायरल हो रहा है। इसे असम का बताया जा रहा है। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि, "असम में कैब का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने गोलियां बरसाईं। वीडियो में दो पुलिसकर्मी भीड़ पर फायर भी करते नजर आ रहे हैं। देखा जा सकता है कि फायर के बाद एक दो लोगों को गोली लगती है जिन्हें स्ट्रेचर पर लादकर इलाज के लिए ले जाया जा रहा है। सड़क पर लोगों का हुजूम है।"
वीडियो की सच्चाई क्या है?
वीडियो में जो कुछ दिख रहा है वो सच है। मगर वीडियो के साथ जो दावा किया जा रहा है वो भ्रामक है। वाट्सएप पर वायरल हो रहा वीडियो दरअसल, खूंटी (झारखंड) पुलिस के मॉकड्रिल का क्लिप भर है। ये वीडियो यूट्यूब पर दो साल पहले यानी 1 नवंबर 2017 के दिन अपलोड किया गया था। हमने कुछ रिपोर्ट्स खंगाली तो पता चला कि इस एरिया में 31 अक्तूबर के दिन पुलिस ने मॉक ड्रिल किया था।
पहले भी वायरल हो चुका है ये वीडियो
ये वीडियो इससे पहले भी सोशल मीडिया पर अलग-अलग जगहों का बता कर वायरल किया जा चुका है। इसे मंदसौर (मधी प्रदेश) में पुलिस पर किसानों की फायरिंग, पुलिस की ओर से 30 कश्मीरियों को किया गया शूट, बिहार में रेलवे के निजीकरण का विरोध कर रहे स्टूडेंट्स पर पुलिस फायरिंग के रूप में वायरल हुआ था।
फैक्ट चेक
असम में कैब का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग का वीडियो पूरी तरह से फेक है। पहली बात ये कि वीडियो मॉक ड्रिल का है। यानी नकली फायरिंग का है। और ये असम का बिल्कुल भी नहीं है।